अंडर-19 : छठा खिताब पाने की रह गई कसक
आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत की किस्मत एक बार फिर दगा दे गई। भारत को अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 79 रन से हार का सामना करना पड़ा।
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इस तरह से क्रिकेट पर ऑस्ट्रेलियाई दबदबे पर एक बार फिर मुहर लग गई। भारत पिछले कुछ समय में ऑस्ट्रेलिया के हाथों विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और आईसीसी विश्व कप में हार चुका है और अब यह एक और हार दर्ज हो गई है। इस तरह ऑस्ट्रेलिया इस चैंपियनशिप में चौथा खिताब जीतकर भारतीय दबदबे को चुनौती देने के करीब आ गया है। भारत ने अब तक इस चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा पांच खिताब जीते हैं।
पिछले साल के आखिर में भारतीय टीम आईसीसी विश्व कप में दबदबे वाला प्रदर्शन करके फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। उससे पहले उसे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। लगभग इसी तरह की स्थिति का भारत को इस अंडर-19 विश्व कप में सामना करना पड़ा। आस्ट्रेलिया के हैरी डिक्सन (42), वेबगेन (48) और हरजस सिंह (55) के सहयोग से 253 रन बनाने से वह ड्राइवर सीट पर बैठ गई थी। इस लक्ष्य को पाने के लिए भारतीय टीम सही मायनों में गंभीरता से प्रयास करती कभी नजर ही नहीं आई। यह सही है कि भारत को शुरुआत में ही चार झटके लग जाने पर उसकी स्थिति कमजोर नजर आने लगी थी, लेकिन आदर्श सिंह और पी मोलिया के खेलते समय तक हालात सामान्य होने लगे थे।
आदर्श और मोलिया धीरे-धीरे विकेट पर जमने का प्रयास कर रहे थे और इस जोड़ी के जब पैर विकेट पर जमते दिखने लगे; तब ही मोलिया ने एंडरसन की एक गेंद पर छक्का लगाने का प्रयास करके विकेट खो दिया और भारत की स्थिति कमजोर कर दी। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय बल्लेबाजों ने यदि विकेट पर जमकर खेलने का प्रयास किया होता तो लक्ष्य इतना बड़ा नहीं था कि इसे पाया नहीं जा सकता था। भारतीय बल्लेबाजों के गलत शॉट सलेक्शन ने भी स्थिति कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई। भारतीय कप्तान उदय सहारन ने भी माना कि विकेट पर ज्यादा समय बिताने में असफल रहने और खराब शॉट खेलने की वजह से हम खिताब जीतने में असफल रहे।
भारतीय कप्तान इस चैंपियनशिप में अच्छे फैसलों वाली छवि बनाने में जरूर कामयाब हुए। पर फाइनल में उनके कुछ फैसलों को टीम पर दवाब बनाने वाला माना जा सकता है। नमन तिवारी भारतीय टीम के प्रमुख पेस गेंदबाज हैं। पर उन्हें कप्तान उदय सहारन ने पहले ओवर में पिटने पर हटा दिया। यही नहीं उनके लगाए स्पिनर ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों पर कोई प्रभाव छोड़ने में कामयब नहीं हो सके। कप्तान ने नमन को जब याद किया, तब तक टीम शुरुआत में लगे पहले झटके से पूरी तरह उभर चुकी थी। सही मायनों में भारतीय गेंदबाज ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर दवाब बनाने में असफल रहे। यह सही है कि सहारन अपना नाम भारत के लिए विजेता बनने वाले कप्तानों मोहम्मद कैफ, विराट कोहली, उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ के साथ अपना नाम शुमार नहीं करा सके। पर इस चैंपियनशिप से भारत को कुछ भविष्य के सितारे जरूर मिल गए हैं।
इनमें सचिन धास, खुद कप्तान उदय सहारन, मुशीर खान, लिम्बानी, उदय तिवारी और सौम्य पांडे के नाम लिए जा सकते हैं। सभी जानते हैं कि अंडर-19 विश्व कप किसी भी क्रिकेटर के लिए आगे बढ़ने में पहली सीढ़ी का काम करती है। पर इसमें चमक बिखेरने वाली प्रतिभाओं को राष्ट्रीय टीम में स्थान बनाने में दो-तीन साल लग जाते हैं। पर इस विश्व कप से यह जरूर पता चल जाता है कि अब किन खिलाड़ियों पर फोकस किया जाए। सहारन, धास और खान तीनों ऐसे बल्लेबाज हैं, जिनमें भविष्य के स्टार की झलक दिखती है। सहारन तो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 397 रन बनाने वाले रहे। इसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं। सहारन की सबसे बड़ी खूबर लंगर डालकर खेलने की क्षमता होना है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम को संकट से निकालने की जरूरत थी, वह विकेट पर डटे रहे और इसमें उन्हें सचिन धास को भरपूर सहयोग मिला है।
सहारन ने सबसे ज्यादा रन जरूर बनाए पर वह खेले गए सातों मैचों में से किसी में भी प्लेयर ऑफ द मैच नहीं बने। इसकी वजह उनका हमेशा सहायक की भूमिका में रहना है। वह सचिन धास का तो नाम ही तेंदुलकर के नाम पर रखा गया है। उनके लगाए शॉट तेंदुलकर की याद दिला देते हैं। इसी तरह मुशीर अपने भाई सरफराज की तरह ही प्रतिभाशाली हैं। वह दो शतकों और एक अर्धशतक से 360 रन बनाकर दूसरे स्थान पर रहे। बल्लेबाजों की तरह ही पेस गेंदबाज राज लिम्बानी और नमन तिवारी के साथ स्पिनर सौम्य पांडे में काबिलियत है कि वे सही मौका मिलने पर आने वाले वर्षो में टीम इंडिया का हिस्सा बन सकते हैं। लिम्बानी की सबसे बड़ी खूबी विकेट से उछाल लेने और गेंद को तेजी से अंदर लाने की हैं। वहीं अभी से जडेजा कहे जाने वाले स्पिनर सौम्य पांडे इस चैंपियनशिप में भारत के लिए सबसे ज्यादा 18 विकेट लेने वाले हैं। जरूरत इन सभी प्रतिभाओं को अच्छे से मांजने की है।
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