अल्प वृष्टि : ग्लोबल वार्मिंग ने बढ़ाया संकट

Last Updated 31 Jan 2024 01:14:37 PM IST

अमूमन दिसम्बर और जनवरी के शीतकालीन महीनों में उत्तर भारत के राज्यों में समुचित शीतकालीन वर्षा के साथ पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी का होना लाजिमी रहता है। लेकिन इस बार दिसम्बर में वर्षा की भारी कमी के साथ एक से 23 जनवरी तक उत्तर पश्चिम भारत के छह राज्यों में बारिश ही नही हुई।


अल्प वृष्टि : ग्लोबल वार्मिंग ने बढ़ाया संकट

दो राज्यों हिमाचल और उत्तराखंड में 99% कम बारिश हुई। इसके पीछे मजबूत पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरवेंस) की अनुपस्थित को बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मौसम में असामान्यता का यह जो पैटर्न है, ग्लोबल वार्मिंंग का भी असर है।

Global Warming : पश्चिमी विक्षोभ, अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान होते हैं, जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उठकर भारत के हिमालय की ओर आते हैं, और ऊंचे पहाड़ों पर इन पश्चिम विक्षोभ के कारण शीतकालीन बर्फवारी होती है, और ये भारत के निचले पहाड़ी राज्यों के मैदानी इलाकों में वर्षा लेकर आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है की बारिश की कमी होने से इन दोनों शीतकालीन महीनों में घना कोहरा और कम से कम दो सप्ताह तक मैदानी इलाकों के राज्यों में शीतलहर के साथ बेहद ठंड के दिन रहे और अभी भी ठंड ने पीछा नहीं छोड़ा है। आंकड़ों के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कई वर्षो में इस वर्ष सबसे अधिक शीत लहर रही है। 

Global Warming : जनवरी के महीने में ठंड के साथ कोहरे ने भी बहुत परेशान किया। हाल यह है कि अच्छी विजिबिलिटी नहीं रहने के कारण आम जीवन बहुत ही प्रभावित है। हर साल आने वाले मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के नहीं आने के कारण उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों में घने कोहरे की चादर छाई रही है। हालत यह है कि जनवरी का महीना समाप्त होने को जा रहा है लेकिन कोहरे से पीछा नहीं छूट रहा। मौसम के जानकारों का कहना है कि कोहरा छाने के लिए हल्की हवा, कम तापमान, साफ आसमान और हवा में अधिक नमी चाहिए होती है, और पूरे जनवरी माह में उत्तर पश्चिम भारत के मौसम में यह सब मौजूद रहा। हालांकि कुछ पश्चिमी विक्षोभ एक के बाद एक आए लेकिन ये कमजोर विक्षोभ पहाड़ों को वह स्थिति नहीं दे पाए कि वर्षा  और बर्फबारी हो। वल्कि नमी को बढ़ा रहे हैं। जब कोहरा रहता है तो यह सूर्य की गर्मी को नीचे नहीं आने देता और तापमान को भी नहीं बढ़ाता, इससे इलाकों में ठंडक बढ़ जाती है।

Global Warming : आईएमडी के आंकड़ों को देखा जाए तो जनवरी  23 जनवरी तक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ में कहीं भी बारिश नहीं हुई तो हिमाचल, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में 99% वर्षा की कमी देखी गई। पूर्वोत्तर राज्यों में जहां मानसून के महीनों में भी वर्षा की कमी देखी गई थी वहां भी मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में 100% वर्षा की कमी दर्ज की गई। महत्त्वपूर्ण बात यह भी कि आम तौर पर हर साल दिसम्बर और जनवरी में 5 से 7 सक्रिय और मजबूत पश्चिमी विक्षोभ आते हैं जो उत्तर पश्चिम भारत को बर्फबारी और वर्षा से प्रभावित करते हैं। लेकिन इस बार इन महीनों में दो ही विक्षोभ आए जिनका प्रभाव गुजरात, उत्तरी महाराष्ट्र और पूर्वी राजस्थान में रहा।

Global Warming : ‘डाउन टू अर्थ’ ने पिछले 1 अक्टूबर, 23 से 23 जनवरी, 24 के बीच आईएमडी के डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि इस दौरान 21 पश्चिम विक्षोभ आए जिनमें चार विक्षोभ ही सक्रिय रहे। मौसम विभाग के अनुसार अभी जनवरी के अंतिम और फरवरी के पहले सप्ताह में दो पश्चिमी विक्षोभ के पूर्वानुमान के कारण पश्चिमी उत्तर पश्चिम भारत में मौसम में बदलाव आने के पूरे आसार हैं। 29 जनवरी से 4 फरवरी तक अगले 7 दिनों में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल सहित कई राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने का अनुमान है।

Global Warming : मौसम विभाग की जनवरी में राज्यवार साप्ताहिक रिपोर्ट को देखें तो 18-24 जनवरी के बीच 14 राज्यों में वर्षा ही नहीं हुई जबकि 13 राज्यों में 79-99 प्रतिशत तक वर्षा नहीं होना पाया गया। 1-24 जनवरी के 3 सप्ताहों के आंकड़े देखने पर पाया गया कि इस दौरान 9 राज्यों में बिल्कुल वर्षा नहीं हुई जिनमें पूर्वोत्तर के मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के साथ उत्तर पश्चिम भारत के हरियाणा और पंजाब राज्यों सहित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़ और दादर नगर हवेली और दमन व दीव भी शामिल रहे जबकि 7 राज्यों में 98 से 99 प्रतिशत वर्षा कम हुई।

Global Warming : इसी क्रम में आईएमडी की 29 जनवरी की रिपोर्ट पर दृष्टिपात करें तो 29 जनवरी तक मणिपुर, हरियाणा, पंजाब के अलावा चंडीगढ़, लद्दाख और दादर एंड नगर हवेली व दमन दीव में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई जबकि 16 राज्यों में 60-99 प्रतिशत कम वर्षा होने के आंकड़े हैं। दिसम्बर और जनवरी में उत्तर भारत के राज्यों में बर्फबारी और बारिश का न होना क्षेत्र में रबी की पैदावार को भी प्रभावित कर सकता है।  इस बार पहाड़ी राज्यों में जनवरी में बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं हुई। बारिश और बर्फबारी की कमी का असर हिमालय के ग्लेशियर और उस क्षेत्र के जल संसाधनों पर भी पड़ रहा है क्योंकि शीतकालीन वर्षा का असर लोगों के भोजन और जल की आवश्यकताओं के लिए बेहद जरूरी है। पहाड़ों में हिमनदी, जलधाराओं और बर्फ  के ग्लेशियरों के धीरे-धीरे पिघलने पर गर्मिंयों में नदियां जल से समृद्ध होती हैं।

अनिरुद्ध गौड़


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