वैश्विकी : अमेरिका में मंदिर निशाने पर
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में स्वामी नारायण मंदिर को खालिस्तान समर्थक तत्वों ने निशाना बनाया है। शुक्रवार को मंदिर की बाहरी दीवारों पर नारे लिखकर इसे विद्रूप किया गया।
वैश्विकी : अमेरिका में मंदिर निशाने पर |
नारों में आतंकवादी भिंडरवाले को शहीद बताया गया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अशोभनीय टिप्पणी की गई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए कहा है कि अमेरिका में उग्रवादी और पृथकतावादी तत्वों की गतिविधियां चलाने की छूट दी जा रही है। घटना की सैनफ्रांसिस्को में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने अमेरिकी अधिकारियों और स्थानीय पुलिस से शिकायत की है। स्थानीय प्रशासन के अनुसार यह पहली बार नहीं है, जब सैनफ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थक तत्वों ने ऐसी हरकत की है। कुछ महीने पहले वाणिज्य दूतावास में आगजनी की कोशिश की गई थी। उस घटना के संबंध में न तो कोई गिरफ्तारी हुई और न ही किसी को सजा मिली। जाहिर है कि अमेरिका इस तरह की भारत विरोधी गतिविधियों को गंभीरता से नहीं लेता।
विदेश मंत्री जयशंकर की प्रतिक्रिया बहुत संयत है। यह भी कहा जा सकता है कि कनाडा के मामले में भारत ने जैसा सख्त रुख अपनाया था वैसा अमेरिका के मामले में नहीं हो रहा है। क्या इसे दब्बूपन माना जा सकता है। दूसरी ओर अमेरिका ने आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को बचाने के लिए मोदी सरकार को ही कठघरे में खड़ा करने का दुस्साहस किया। लगता है कि अमेरिका संदेश देना चाहता है कि हमारी खुफिया एजेंसियां किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रच सकती हैं लेकिन आप हमारे किसी अपराधी को भी नहीं छू सकते। भारत जैसा संप्रभु देश इसे कतई स्वीकार नहीं कर सकता। द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल भारत पर नहीं है। अमेरिका को भी भारत के हितों का ध्यान रखना होगा।
अब यह स्पष्ट है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में मनमुटाव है तो टकराव में बदल सकता है। इससे केवल भारत को ही नहीं, बल्कि अमेरिका को भी नुकसान होगा। पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचे जाने के मामले में संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की भूमिका को लेकर भी बहुत से सवाल खड़े होते हैं। क्या एफबीआई ने प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब करने की साजिश रची थी? एफबीआई अमेरिका की घरेलू राजनीति में दखलंदाजी करती रही है। इसकी चपेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी आए हैं। राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के मामले में एफबीआई की भूमिका संदिग्ध रही। हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी ने एफबीआई पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विवेक ने तो इतना तक कहा है कि यदि वह राष्ट्रपति बने तो एफबीआई को भंग कर देंगे।
अमेरिकी संसद पर जनवरी, 2021 में हुए हमले के सिलसिले में एफबीआई की भूमिका रहस्यमय थी। विवेक का आरोप है कि एफबीआई ने जान-बूझकर ट्रंप समर्थकों को संसद भवन में घुसने के लिए उकसाया ताकि निवर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ मामला बनाया जा सके। किसी व्यक्ति या गुट को फंसाने के लिए एफबीआई अपने एजेंटों को साजिश रचने और उसमें शामिल होने का कुचक्र रचती है। बाद में अपने एजेंटों को छुड़वा लेती है। एफबीआई ने भारत की विदेश खुफिया एजेंसी रॉ के खिलाफ भी ऐसा ही जाल फैलाया था। पूरे प्रकरण के जरिए मोदी की छवि पर कलंक लगाने की कोशिश की गई। प्रधानमंत्री मोदी जब अमेरिका या किसी पश्चिमी देश की यात्रा करेंगे तो ये आरोप उनका पीछा करते रहेंगे। पन्नू केस में जब अमेरिकी अदालत में कार्यवाही शुरू होगी तब भारत के खिलाफ आरोप बार-बार दुहराए जाएंगे। यह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों से कई गुणा अधिक घातक होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का नियंतण्रअस्वीकार किए जाने के बाद अमेरिकी मीडिया और विश्लेषक यह दावा करने लगे थे कि भारत राजनयिक रूप से अलग-थलग पड़ गया है। ट्रूडो भी इसे अपनी जीत बताने का दंभ भर रहे थे। लेकिन अल्प सूचना पर भी फ्रांस के राष्ट्रति मैक्रों ने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का न्योता स्वीकार कर साबित कर दिया कि भारत और प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर आंच आने वाली नहीं है।
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