वैश्विकी : पश्चिम एशिया में युद्ध के पचास दिन

Last Updated 26 Nov 2023 01:36:39 PM IST

इस्राइल और हमास के बीच पिछले पचास दिन से जारी युद्ध के दौरान खुशी की एक बात यह है कि सीमित पैमाने पर बंधकों की रिहाई का काम शुरू हुआ है।


वैश्विकी : पश्चिम एशिया में युद्ध के पचास दिन

हमास की भूमिगत सुरंगों में रखे गए 13 इस्रइली जिनमें 4 बच्चे शमिल हैं तेलअवीव पहुंच गए। डॉक्टर-मनोचिकित्सकों ने बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की। जांच के बाद कहा कि ये सभी शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। डॉक्टरों ने बच्चों की दशा पर खुशी और संतोष व्यक्त किया। यह बात इस्रइल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर करती है कि गाजा में 5000 से अधिक बच्चे मारे गए हैं और लाखों बच्चे जाड़े के मौसम में तंबुओं में रह रहे हैं।

इन बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य की चिंता करना भी इस्रइल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है। संघर्ष के आरंभिक दौर में इस्रइल और पश्चिमी देशों की मीडिया की ओर से प्रचार किया गया कि हमास के लड़ाकुओं ने बच्चों के सिर कलम कर दिए। हमास की बर्बर छवि जाहिर करने के लिए ऐसे समाचार प्रसारित किए गए, लेकिन बंधकों के साथ हमास ने जैसा व्यवहार किया उससे यह तथ्य सामने आता है कि मानवता की भावना अभी जिंदा है। इसका तकाजा है कि गाजा में खूनखराबा तत्काल रोका जाए तथा स्थायी युद्धविराम लागू की जाए। इतना ही नहीं तबाही के शिकार उत्तरी गाजा में पुनर्निर्माण के लिए  अभी से प्रयास शुरू किए जाएं। आज के माहौल में ऐसा हो सकेगा, इसकी संभावना कम है।

अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन से इस्रइल कुछ दिन बाद फिर बमबारी शुरू कर देगा और दुनिया चुपचाप दर्शक बनी रहेगी। गाजा में युद्ध के 50 दिन बाद कौन जीता कौन हारा इसका तात्कालिक लेखा-जोखा नहीं लिया जा सकता। हमास का नेतृत्व अभी सुरक्षित और सक्रिय है। अमेरिका के अखबार ‘व्ॉल स्ट्रीट जर्नल’ के अनुसार अब तक हमास के करीब 1000 लड़ाकू मारे गए हैं। हमास के लड़ाकुओं की संख्या 30 हजार के आसपास है। इस सैन्य ताकत को समाप्त करने में इस्रइल को कितना समय लगेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

सबसे भयावह स्थिति उस समय पैदा होगी जब इस्रइल दक्षिणी गाजा में सैनिक कार्रवाई शुरू करता है। उत्तरी गाजा से उजाड़े गए लाखों लोगों ने इसी इलाके में शरण ले रखी है। इस क्षेत्र को खाली कर किसी अन्य इलाके में जाने की गुंजाइश अब नहीं है। इस्रइल के कुछ युद्ध विशेषज्ञों ने फिलिस्तीनियों को साइनाइ इलाके में जाने के लिए मजबूर करने का सुझाव पेश किया है। यह इलाका मिस्र के अधीन है तथा राष्ट्रपति अब्दुल फतह अलसीसी ने कहा है कि वह इस बात को बर्दाश्त नहीं करेंगे। गाजा को खाली कराने का फिलिस्तीनी गुट ही नहीं अरब और मुस्लिम गुट भी पुरजोर विरोध करेंगे।

गाजा त्रासदी को लेकर पूरी दुनिया उद्वेलित है। इस्रइल के पैरोकार देशों में लाखों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक अनोखे घटनाक्रम में आस्ट्रेलिया के मेलबर्न और सिडनी में स्कूली बच्चे क्लास छोड़कर सड़कों पर उतर आए। पश्चिमी देशों के नेता, बुद्धिजीवी और मीडिया लोगों को गुमराह करार दे रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाया जा रहा है। यह निष्कर्ष निकालना गलत होगा कि विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग जेहाद और मजहबी कट्टरता का समर्थन कर रहे हैं। हमास और हिजबुल्लाह के लोगों को भी समझना होगा कि विश्व जनमत जेहादी विचारधारा और मजहब पर आधारित हुकूमत का समर्थन नहीं कर रहा। वास्तव में गाजा के घटनाक्रम ने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के नए रूपों के बारे में नई जनचेतना पैदा कर दी है। यही कारण है कि क्यूबा के राष्ट्रपति स्वयं विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करते दिखे। बोलीविया ने इस्रइल से कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए जबकि दक्षिण अफ्रीका की संसद में ऐसा ही कदम उठाने की मांग वाला प्रस्ताव पारित हुआ।

गौर करने वाली बात यह है कि ये तीनों देश मुस्लिम बहुसंख्या वाले देश नहीं हैं। दूसरी ओर किसी भी अरब और मुस्लिम देश ने इस्रइल के साथ संबंध नहीं तोड़े हैं। भारत, रूस और चीन ने घटनाक्रम के इसी उलझे रूप को ध्यान में रखकर अपना रवैया तय किया है। भविष्य के घटनाक्रम के आधार पर ये देश अपने रवैये में अवश्य बदलाव कर सकते हैं।

डॉ. दिलीप चौबे


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