ऑनलाइन कर्ज : कठोर कानून से ही बचेंगे

Last Updated 02 Nov 2023 01:42:41 PM IST

ऑनलाइन सस्ते कर्ज के चक्कर में फंस कर मध्य प्रदेश के एक परिवार ने हाल में जीवन लीला समाप्त कर ली। रीवा जिले के निवासी भूपेंद्र विकर्मा वर्क फ्रॉम होम के लालच में आकर सस्ते कर्ज के जाल में फंस गए जिसके बाद जालसाजों ने ऐप डाउनलोड करवा कर मोबाइल और लैपटॉप हैक कर लिया और रिश्तेदारों को अश्लील वीडियो भेजने की धमकी देकर 17 लाख रुपये की ब्लैकमेलिंग की। तंग आकर पति-पत्नी ने दो बच्चों के साथ सुसाइड कर ली।


ऑनलाइन कर्ज : कठोर कानून से ही बचेंगे

ऐसी घटनाएं हमारे समाज का हिस्सा बनती जा रही हैं। बीते दिनों पुणो के एक व्यवसायी को कनाडा में रहने वाले उनके एक रिश्तेदार का फोन आया कि उनका वीजा रद्द होने वाला है, जिसके लिए उन्हें तत्काल पैसे की आवश्यकता है। इस पर विश्वास करने का नतीजा हुआ कि उनके साथ 3.7 लाख रुपये की ठगी हो गई। हैदराबाद पुलिस ने एचपी की एलपीजी डीलरशिप देने और पार्टटाइम जॉब ऑफर के नाम पर दो मामलों में एक करोड़ रु पये से अधिक की ठगी का खुलासा किया। देश में साइबर अपराध चरम पर हैं। साइबर अपराध का केंद्र कहे जाने वाला झारखंड का जामताड़ा और हरियाणा के नूंह के साथ ही राजस्थान का भरतपुर और उत्तर प्रदेश का मथुरा भी साइबर अपराध में तेजी से उभर रहे हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के स्टार्टअप संबंधी एक अध्ययन के मुताबिक, 80 प्रतिशत साइबर अपराध देश के शीर्ष 10 जिलों में होते हैं। संस्थान में स्थापित गैर-लाभकारी स्टार्टअप फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (एफसीआरएफ) ने अपने नवीनतम अध्ययन पत्र ‘डीप डाइव इन टू साइबर क्राइम ट्रेंड्स इम्पेक्टिंग इंडिया’ में दावा किया गया है कि भरतपुर में 18 प्रतिशत, मथुरा में 12, नूंह में 11, देवघर में 10, जामताड़ा में 9.6, गुरुग्राम में 8.1, अलवर में 5.1, बोकारो में 2.4 और गिरिडीह में 2.3 प्रतिशत साइबर अपराध को अंजाम दिया जाता है। नूंह में तो बकायदा साइबर ठगी के लिए कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जहां 40 हजार से एक लाख रुपये में ठगी के गुर सिखाए जाते हैं। ऑनलाइन लेक्चर देकर गांव-गांव में साइबर ठगों की फौज तैयार की जाती है।  

तमाम एडवाइजरी और जागरूकता के बावजूद लोग साइबर ठगों के चंगुल में फंस जाते हैं। ये ठग विभिन्न ऐप के जरिए जालसाजी का काला कारोबार संचालित कर रहे हैं। देश में जैसे-जैसे ऑनलाइन गतिविधियां बढ़ रही हैं, साइबर अपराध में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। अभी त्योहारी सीजन में ऑनलाइन ऑफर लोगों को खूब भा रहे हैं। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स आइयटम को लेकर लोग सोशल मीडिया के अलावा ई-कॉमर्स वेबसाइट्स भी खंगाल रहे हैं। त्योहारी सीजन में आकषर्क ऑफर्स की भरमार है, जगह जगह सेल और विज्ञापन छाए हुए हैं, इनकी आड़ में साइबर फ्रॉड एक्टिव होकर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं।

खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की 30-40 फीसद कीमत में सेल के ऑफर खास तौर पर युवाओं को साइबर ठगों का शिकार बना रहे हैं। बात देश की आधी आबादी की करें तो एक तिहाई महिलाएं किसी न किसी प्रकार की साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं जबकि महज 35 प्रतिशत महिलाओं ने ही इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। 47 प्रतिशत महिलाओं ने तो शिकायत तक दर्ज नहीं कराई। आंकड़ों के मुताबिक, 18 प्रतिशत महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्हें तो पता ही नहीं होता कि उनके साथ साइबर ठगी हो चुकी है। देखा जाए तो जानकारी का अभाव साइबर ठगी का सबसे बड़ा कारण है। आम नागरिक को पता ही नहीं है कि उसके साथ साइबर ठगी होने के बाद उसे कहां एवं किस प्रकार शिकायत दर्ज कराना है। 2022 में साइबर ठगी के कुल 800,944 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें करीब 42.2 करोड़ नागरिक प्रभावित हुए थे जबकि 6 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि शामिल थी।

माना जाता है कि वैश्विक स्तर पर प्रति दिन लगभग 2,328 साइबर ठगी के मामले घटित होते हैं। 2001-2021 तक 21 वर्षो के दौरान साइबर ठगी के मामलों में 2,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान होने की बात कही गई। अनुमान है कि साइबर ठगी से ठगों को प्रति वर्ष 1.50 लाख करोड़ रु पये की कमाई होती है और प्रति वर्ष लगभग 43 प्रतिशत साइबर ठगी के हमले छोटे व्यवसायियों पर होते हैं। ऐसे में हमें साइबर अपराध से बचने के लिए अपने फोन का पार्सवड मजबूत बनाने के साथ समय-समय पर इसे बदलना भी चाहिए। जूस जैकिंग, फेक जॉब ऑफर, यूपीआई रिफंड स्कैम आदि से भी बचना चाहिए। गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार वेरिफिकेशन और ऑथेंटिकेशन जैसे उपाय आइडेंटिटी फ्रॉड की आशंका को 90 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। हम अपने डाटा और ट्रांजैक्शन की सुरक्षा के लिए डिजिटल सिग्नेचर, बायोमीट्रिक्स, मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन और एन्क्रिप्शन जैसे उपाय सीख सकते हैं।

सोनम लववंशी


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