तेलंगाना : राष्ट्रीय बनाम क्षेत्रीय

Last Updated 21 Oct 2023 01:22:55 PM IST

आचलिक राज्य तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रीय दलों-भाजपा और कांग्रेस-का प्रदेशीय पार्टी पर जमकर हमला हो रहा है। नरेन्द्र मोदी की राय में के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) आर्थिक अपराध जांच एजेंसियों से बचने की कोशिश में ‘भ्रष्टों का महागठबंधन’ रच रहे हैं।


तेलंगाना : राष्ट्रीय बनाम क्षेत्रीय

मोदी की कोशिश है कि कर्नाटक में भाजपा की पराजय के बाद दक्षिण भारत में ठौर पाने हेतु हैदराबाद अभियान में तेजी लाएं। उधर, राहुल गांधी केसीआर की भारतीय राष्ट्र समिति को भाजपा की ‘बी’ टीम करार दे चुके हैं। ‘भाजपा की रिश्तेदार पार्टी’ भी कहा राहुल गांधी ने। कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे स्व. वाइएस राजशेखर रेड्डी की पुत्री शर्मिंला चंद्रशेखर पर ‘भ्रष्ट पारिवारिक राज’ कायम करने का आरोप लगाती हैं। प्रमाण भी दे देती हैं। मुख्यमंत्री के पुत्र केटी रामा राव पिता की काबीना में मंत्री हैं। करीमनगर जिले से विधायक हैं। मुख्यमंत्री की बेटी कविता निजामाबाद से सांसद हैं। खबर चलाई गई थी कि कविता ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर कांग्रेस में भर्ती होना चाहा था। मुख्यमंत्री के भतीजे हरीश राव सिद्धिपेट से विधायक हैं, और सिंचाई विभाग के काबीना मंत्री हैं। चंद्रशेखर राव की नौ बहन और अग्रज सभी मुख्यमंत्री के सरकारी आवास (प्रगति भवन) के वासी हैं। हालांकि चंद्रशेखर राव का राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन बड़ा खास रहा है।

छात्र नेता के रूप में उन्होंने राजनीतिक जीवन शुरू किया। वे एक रोजगार सलाहकार थे, जो कामगारों को खाड़ी देशों में भेजते थे। वे एनटी रामाराव की तेलुगू देशम पार्टी से 1985 में विधायक चुने गए। 1987-88 तक आंध्र प्रदेश में राज्यमंत्री रहे। फिर 1997-99 तक केंद्रीय मंत्री रहे। वे आंध्र प्रदेश विधानसभा में 1999 से 2001 तक उपाध्यक्ष भी रहे। इसी पद से इस्तीफा देने के बाद तेलुगू देशम से बाहर आ गए और एकसूत्री एजेंडा के तहत तेलंगाना राष्ट्र समिति की स्थापना की। जब विधानसभा चुनाव की करवट सुनाई पड़ी तो भारतीय राष्ट्र समिति की सरकार ने नवरात्रि के प्रथम दिन से ही वोटर लुभावनी घोषणाएं कर डालीं। इस घोषणा पत्र के मुताबिक सभी योग्य परिवारों को चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाया जाएगा। राज्य की जनता के लिए ‘रायथु बंधु’ योजना के तहत मिलने वाली राशि 10,000 से बढ़ाकर 16,000 रु पये तक किए जाने का ऐलान किया गया। चंद्रशेखर राव ने कहा :‘दिव्यांगों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 6000 रु पये तक बढ़ाया जा रहा है।’ तेलंगाना में बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को बीमा योजना का भी लाभ मिलेगा। जनता को सरकार ने पांच लाख रु पये तक का बीमा दिए जाने की सुविधा दी है। दस लाख रु पये की अनुदान वाली दलित बंधु योजना को भी जारी रखा जाएगा। घोषणा पत्र के मुताबिक आरोग्य रक्षा योजना और ‘आरोग्य श्री’ भीम योजना का कवरेज सरकार ने बढ़ाकर 15 लाख रुपए करने का फैसला किया है। राव ने कहा : ‘हर राशन कार्ड धारक को चावल देने के लिए तेलंगाना अन्नपूर्णा योजना को बंद नहीं किया जाएगा।’

इन समस्त घोषणाओं से भले ही राव की चुनावी विजय की संभावनाएं बढ़ी हों पर भाजपा नेताओं ने भी प्रतिकार में राज्य शासन की विफलताओं पर चोट की है। मोदी ने स्वयं तो कोई व्यक्तिगत हमला नहीं किया पर अपने भाषणों द्वारा विकास की विभिन्न योजनाओं पर टिप्पणी जरूर की। हमला गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जरूर किया है। वंशवाद पर तो खुलकर। आरोप था कि सरकारी तंत्र और परिवार द्वारा नियंत्रण में अंतर मिटा दिया गया। यह भी घोषित कर दिया कि भाजपा सरकार हैदराबाद का पुराना नाम भाग्यनगर रख देगी। भाजपा नेताओं का इल्जाम था कि ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादेमुस्लमीन और भारतीय राष्ट्र समिति ने मिलकर हिन्दुओं पर अत्याचार किए हैं। अमित शाह का सीधा लांछन था कि चंद्रशेखर राव ने 17 सितम्बर, 1948 वाला ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ ही नहीं मनाया। कारण केवल यही था कि मुसलमान वोट पा सकें। निजाम हैदराबाद उस्मान अली स्वतंत्र राष्ट्रीयता बनाए रखना चाहते थे। तब हैदराबाद राज्य निजाम शासन के अधीन था। भारत में इसका विलय करवाने के लिए ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम से अभियान चलाया गया था, जो 17 सितम्बर, 1948 को पूरा हुआ था। शाह ने मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव का जिक्र करते हुए कहा : ‘कई लोगों ने चुनावों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया, लेकिन जब वे सत्ता में आए तो रजाकारों (निजाम शासन के सशस्त्र समर्थक) के भय से अपने वादों से मुकर गए।’

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने एक दांव तो चला। कितना कारगर होगा यह समय ही बताएगा। तेलंगाना राज्य भाजपा अध्यक्ष बंडी संजय कुमार की जगह जी. किशन रेड्डी को नामित किया गया है। कुमार की काफी आलोचना हो रही थी। हुजूराबाद के विधायक ईतेल राजेंद्र को तेलंगाना प्रदेश चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष नामित किया गया है। इस नवनामित राज्य भाजपा समिति पर खासा दायित्व है कि पड़ोसी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पराजय का असर तेलंगाना पर न पड़े। इस बीच, भाजपा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव का लगातार अपमान करने का लांछन लगाकर तेलंगाना बिड्डा (पुत्र) की उपेक्षा का सोनिया गांधी पर दोषारोपण हुआ है। इससे लाभ उठाने का प्रयास चंद्रशेखर राव कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मोदी से मांग की कि नरसिंह राव को भारत रत्न दिया जाए। इस सिलसिले में पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी वाणी देवी को विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित कर दिया। इन दोनों कारणों से पुराने कांग्रेसियों को चंद्रशेखर राव के प्रति कृतज्ञता बोध तो हुआ है। एक राजनीतिक अभियान, जो गत जनवरी से चंद्रशेखर राव ने चलाया था, का कितना प्रभाव बचा है, यह प्रश्न बन रहा है।

तीन मुख्यमंत्री तथा अखिलेश यादव को मिलाकर 8 जनवरी, 2023 के दिन हैदराबाद के निकट खम्मम शहर में रैली की गई थी। इसमें केजरीवाल, पंजाब के भगवत सिंह मान, केरल के पिनरायी विजयन शामिल हुए थे। रैली शानदार थी पर साल भर बाद इसका असर कितना बाकी रहेगा, यह परिणाम ही बताएगा। इन सारे विश्लेषणों तथा आकलनों में एक तथ्य गौरतलब है जो चंद्रशेखर राव के विरु द्ध चल रहा है। इसके प्रतिरोध में मुख्यमंत्री बार-बार दुहराते हैं कि उनका दल न तो भाजपा की ‘बी पार्टी’ है, और न कांग्रेस की ‘ए पार्टी’। वोटर कितना विश्वास करेगा? अगले माह पता चलेगा।

के. विक्रम राव


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