शिक्षा पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा
वैश्विक रिपोर्ट का अनुमान है कि अत्यधिक गर्मी के कारण बच्चों की स्कूली शिक्षा में डेढ़ साल तक की कमी आ सकती है। हाल के दशकों में हुई शिक्षा उपलब्धियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है।
![]() प्रभावित होती शिक्षा |
गर्मी, जंगलों की आग, तूफान, बाढ, सूखा, बीमारियां और समुद्र का बढता स्तर शिक्षा परिणामों को प्रभावित करता है। यूनिस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी टीम, जलवायु संचार व शिक्षा निगरानी एवं मूल्याकंन परियोजना और कनाडाई विविद्यालय द्वारा संकलित रिपोर्ट के अनुसार बीते बीस वर्षो में चरम मौसम की घटनाओं के कारण कम से कम 75% समय स्कूल बंद रहे, जिससे पचास लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।
बता रहे हैं, औसत से दो डिग्री अधिक तापमान का सामना करने वाले बच्चे औसत तापमान वाले बच्चों की तुलना में डेढ़ वर्ष कम शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में चरम मौसम की घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित दस देशों में से आठ या तो निम्न या निम्नमध्य आय वाले हैं।
यूनिसेफ के अनुसार, 2024 में दुनिया भर में कम से कम 24.2 करोड़ छात्रों की शिक्षा चरम मौसम के कारण बाधित हुई। पूर्व में भी विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि छात्रों पर उस तापमान का गहरा असर होता है, जिसके वे अभ्यस्त नहीं होते। तापमान में आने वाले जबरदस्त परिवर्तन सिर्फ पढाई के समय को ही नहीं प्रभावित करते बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असरकारक होते हैं।
जलभराव, सड़कों की दुर्दशा व परिवहन संबंधी दिक्कतों के चलते कितने छात्र स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं, इस पर कोई प्रमाणिक अध्ययन नहीं किया जाता। स्कूली शिक्षा व स्वशिक्षा की गुणवत्ता में भारी अंतर होता है। बावजूद इसके मौसमी मार से शिक्षा को बचाने के लिए ऐसे तरीके प्रयोग में लाने की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, जिनकी मदद से स्वअध्ययन व इंटरनेट द्वारा पढ़ाई संभव हो सके।
भारत में स्थिति और भी इसलिए बिगड़ जाती है क्योंकि यहां ढेरों स्कूलों के पास ढंग का भवन तक नहीं है। बिजली कनेक्शन या पंखों की हालात किसी से छिपी नहीं है।
बेशक मौसम के चरम का असर शारीरिक होने के अतिरिक्त मानसिक भी कम नहीं होता। भीषण गरमी में पढ़ाई संभव नहीं होती। बल्कि मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ध्यान केंद्रित करने, समझ व निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है। चूंकि यह वैश्विक समस्या है, इसलिए बगैर देरी किए सामूहिक रूप से इससे निपटना होगा।
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