ईएफटीए से व्यापार समझौता
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को बताया कि भारत और चार देशों के यूरोपीय समूह ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) आगामी एक अक्टूबर से लागू होगा।
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आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विटजरलैंड ईएफटीए के सदस्य देश हैं। इस समूह का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार स्विटजरलैंड है। बाकी के तीन देशों के साथ भारत का व्यापार बनिस्बत कम है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कारोबारी मामलों में मानसिक अस्थिरता और हर छोटे-बड़े देश पर टैरिफ थोपने की आतुरता के चलते ईएफटीए के तहत मिलने वाली बाजार पहुंच निश्चित ही भारत के लिए उत्साहजनक घटनाक्रम है।
इस बाजार पेशकश में 100 फीसद गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर टैरिफ में रियायत शामिल हैं। समझौते में भारत 82.7 फीसद टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है, जो ईएफटीए के 95.3 फीसद निर्यात को कवर करती है। दूसरी तरफ, ईएफटीए ने अपनी 92.2 फीसद टैरिफ लाइनों की पेशकश की है। जाहिर है कि इससे दोनों पक्ष लाभान्वित हो सकेंगे। बताया गया है कि समझौता लागू होने से देश में दस लाख से ज्यादा नौकरियां निकलेंगी।
साथ ही, घरेलू ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाले स्विस उत्पाद जैसे घड़ियां, चॉकलेट, बिस्कुट आदि कम कीमत पर उपलब्ध हो सकेंगे। समझौते से भारी मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आने तथा कई क्षेत्रों में परस्पर आर्थिक सहयोग गहराने की संभावना है। बीते 10 वर्षो में 50 अरब डॉलर का एफडीआई इन देशों से भारत पहुंचा था। उम्मीद है कि एफटीए के कार्यान्यन से अगले 5 वर्षो में 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त विदेशी निवेश इन देशों से भारत पहुंचेगा।
दोनों पक्षों के बीच हुआ समझौता नतीजाकुन होने के लिए जरूरी है कि व्यापार, निवेश और व्यावसायिक साझेदारी को बढ़ावा मिले। दोनों ओर के कारोबारियों के लिए व्यापार-अनुकूल माहौल बने। इसके लिए डेडिकेटेड भारत-ईएफटीए डेस्क शुरू की जा रही है, जो सरकारों और निजी कंपनियों, दोनों के लिए एकल खिड़की प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगी। विभिन्न देशों के ऐसे छोटे कारोबारी समूहों या ब्लॉकों के बीच होने वाले व्यापार समझौतों से अमेरिका जैसे बड़े देशों की दादागीरी पर यकीनन अंकुश लग सकेगा।
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