खेल : ओलंपिक की राह आसान कर रहे राज्य

Last Updated 17 Oct 2023 01:37:22 PM IST

बीते एक दशक से भारतीय खेल संस्कृति नवजागरण के दौर में है। नतीजा है कि पहले ओलंपिक 2020 और फिर राष्ट्रमंडल खेलों के बाद अब चीन के हांगझू में आयोजित एशियाई खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने उम्दा प्रदर्शन किया है।


खेल : ओलंपिक की राह आसान कर रहे राज्य

 एशियाई खेलों में 107 पदक के साथ भारत पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा। जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा था, लेकिन 16 स्वर्ण पदक के साथ हमारे खाते में सिर्फ 70 पदक ही आए थे।

इस बार हमारे खिलाड़ियों ने इतिहास रचते हुए पहली बार पदकों की संख्या तीन अंकों तक पहुंचाई। इस सच से हम मुंह नहीं फेर सकते कि 383 पदक के साथ चीन, 188 पदक के साथ जापान और 190 पदक के साथ कोरिया का प्रदर्शन हमसे काफी बेहतर रहा, लेकिन खेल संस्कृति के नवजागरण का यह लाभ तो जरूर हुआ कि भारतीय खिलाड़ियों ने 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक जीतकर एशिया खेलों में एक नया मनदंड स्थापित कर दिया। भारत का एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन 2024 में होने वाले ओलंपिक की तैयारियों के लिहाज से काफी खास है। साथ ही 2028 ओलंपिक तक पदक तालिका में शीर्ष 10 में आने के लक्ष्य को पाने की कोशिश में जुटे भारतीय खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन भी है। खास तौर पर दशकों से भारत जिस खेल संस्कृति को स्थापित करने की सिर्फ  योजनाएं बनता रहा, बीते एक दशक में सरकार और जनता की भागीदारी से वह धरातल पर उतरने लगा है। आज खेल और खिलाड़ियों की पहचान के मामले में एक लोकतांत्रिक और विकेंद्रित चरित्र उभर कर सामने आया है। कई राज्य जो पहले खेलों में काफी पीछे थे, उनकी भागीदारी बढ़ने लगी है।

एशियाई खेलों में सफलता का करीब से विश्लेषण करें, तो हम पाएंगे कि पदक जीतने वालों में खेल का पॉवर हाउस कहे जाने वाले हरियाणा और पंजाब के साथ नए राज्यों ने भी कमाल किया है। मसलन, भारत को 107 में से 55 पदक एकल प्रतियोगिताओं में मिले, बाकी टीम खेलों में। एकल पदक जीतने के मामले में हरियाणा 19 पदकों के साथ पहले स्थान पर रहा, तो उत्तर प्रदेश सात पदकों के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया। उत्तर प्रदेश पदकों के मामले में तेलंगाना, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे पहले से खेलों में अव्वल प्रदेश की श्रेणी में शामिल हो गया। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उड़ीसा जैसे प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया। देश के सबसे बड़े सूबे का खेलों में हिस्सेदारी बढ़ना भारत के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण और लाभकारी है। हम कह सकते हैं कि मेजर ध्यानचंद की धरती उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नई खेल नीति तैयार कर प्रदेश में खेलों को नई दिशा दी है। मिशन ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के विभिन्न जिलों में हॉकी, तैराकी, वॉलीबाल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स, फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबाल, कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, हैंडबाल, जूडो, बैडमिंटन और तीरंदाजी के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। विस्तरीय कोच के साथ एथलीटों के खानपान (डाइट) पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। खेल को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने पदक विजेताओं के इनाम में भी बढ़ोतरी की है।

प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का नतीजा है कि एशियाई खेलों में यूपी के खिलाड़ियों ने कमाल किया। काबिले गौर है कि खेल संस्कृति के नवजागरण के इस दौर में सरकार और खेलों के विकास के लिए काम करने वाली संस्थाओं को समझ आ गई है कि देश को खेल में महाशक्ति बनाना है तो पंचायत और जिला स्तर पर आधुनिक सुविधाएं मुहैया करानी होगी। इसी कड़ी में कई राज्य सरकारें ओलंपिक पदक विजेता खिलाड़ियों के गांव या उसके आसपास के क्षेत्रों में स्टेडियम या ट्रेनिंग सेंटर बनाने की घोषणाएं कर रही हैं और उस पर तेजी से काम कर रही है। 2028 ओलंपिक में शीर्ष 10 में जगह बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें खेल सुविधाओं के विकास पर जोर दे रही है। इस दिशा में कई राज्यों ने बेहतरीन काम किए हैं। इन राज्यों में किसी एक या दो खेलों के विकास और सर्वश्रेष्ठ एथलीट तैयार करने पर काम किया जा रहा है।

मसलन, खेल प्रदेश कहे जाने वाले झारखंड में फुटबॉल प्रतिभाओं को तैयार किया जा रहा। राज्य के कई खिलाड़ियों ने हाल के दिनों में फुटबॉल में देश और दुनिया में अपनी धमाकेदार दस्तक दी है। फीफा महिला र्वल्ड कप अंडर 17 में झारखंड की चार खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय टीम में शामिल होकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। ओडिशा ने खुद को खेल राज्य के रूप में स्थापित कर लिया है। आज हॉकी के किसी ऑयोजन की बात होती है तो वैिक खिलाड़ी भी इसी राज्य के स्टेडियम में खेलना पसंद करते हैं। आज हम कह सकते हैं कि आजादी के बाद खेलों के विकास को लेकर भले ही सरकारों ने उदासीनता दिखाई हो, लेकिन अब ऐसा नहीं है। राज्यों के प्रयासों से लगता है कि मिशन ओलंपिक को लेकर देश ने जो सपना संजोया है, वह साकार होने की राह पर है।

संदीप भूषण


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