हिंडनबर्ग रिपोर्ट : यूं ही ऐतबार ठीक नहीं

Last Updated 16 Feb 2023 01:47:11 PM IST

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने झटके में अडाणी के साम्राज्य को तबाह कर दिया। चंद ही दिनों में दुनिया के रईसों की सूची में शीर्ष दूसरे स्थान से अडाणी 21वें स्थान पर पहुंच गए।


हिंडनबर्ग रिपोर्ट : यूं ही ऐतबार ठीक नहीं

रिपोर्ट के असर को देखते हुए कहा जा सकता है कि ऐसी रिपोर्टे किसी भी कंपनी को बर्बाद कर सकती हैं क्योंकि आरोपित को खुद को निर्दोष साबित करना होता है, जोकि आसान नहीं होता।

अधिकांश निवेशक नकारात्मक खबर से बदहवास हो जाते हैं। वे भीड़ के साथ चलते हैं। रेटिंग एजेंसियां भी भीड़ के साथ चलती हैं। वैिक रेटिंग एजेंसी मूडी’ज ने 13 फरवरी, 2023 को अडाणी समूह की 4 कंपनियों के आउटलुक को स्टेबल से निगेटिव कर दिया है। सवाल है कि क्या पहले यह एजेंसी सो रही थी? हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से निवेशक इतने आतंकित हो गए कि अडाणी समूह के प्रमुख उपक्रम अडाणी इंटरप्राइजेज के शेयर अपने सार्वजनिक निर्गम के आधार मूल्य से नीचे चले गए और अडाणी समूह को उन्हें वापस लेना पड़ा। विश्लेषक कह रहे हैं कि अडाणी समूह के शेयरों का मूल्यांकन पहले से ही ज्यादा था। गिरावट के बाद उनकी वास्तविक कीमत सामने आई है, लेकिन सवाल है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद ही अडाणी समूह के शेयर अपनी वास्तविक कीमत पर क्यों आए? निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कहना पड़ा कि अडाणी समूह की वित्तीय स्थिति मजबूत है, और किसी निवेशक को डरने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि अडाणी के बैंक ऋण डिफाल्ट होने की आशंका नहीं है क्योंकि अडाणी समूह ऋण की किस्त एवं ब्याज समय पर चुका रहा है। लिहाजा, भारतीय बैंकों के डूबने का खतरा  नहीं है। चूंकि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का 31 दिसम्बर, 2022 तक अडाणी समूह में 35,917.31 करोड़ रुपये का निवेश था और इसकी कुल संपत्ति 36 लाख करोड़ रुपये की है, इसलिए एलआईसी के डूबने का अंदेशा बेबुनियाद है। भारतीय स्टेट बैंक ने अडाणी समूह को 27 हजार करोड़ का ऋण दिया है, जो इस बैंक की पूंजी का महज 0.88 प्रतिशत है। पंजाब नेशनल बैंक ने समूह को 7000 करोड़ का ऋण दिया है, जबकि जम्मू-कश्मीर बैंक ने 250 करोड़ का ऋण अडाणी समूह को दिया है। सभी बैंकों का कर्ज स्टैंर्डड है, और कंपनी समय पर किस्त एवं ब्याज बैंकों को चुका रही है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म सीएसएलए के अनुसार अडाणी समूह पर कुल 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें से भारतीय बैंकों की हिस्सेदारी 80 हजार करोड़ रुपये से कम है, जिसमें निजी बैंकों की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत है। वैश्विक फर्म जेफरीज के अनुसार अडाणी समूह को दिया गया कर्ज नियामकों द्वारा तय दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। रिजर्व बैंक ने भी साफ किया है कि भारतीय बैंकों ने दिशा-निर्देशों के तहत समूह को कर्ज दिए हैं।  

सवाल है कि भारतीय और विदेशी बैंकों ने तय दिशा-निर्देशों के अंतर्गत अडाणी समूह को ऋण दिए हैं, और अडाणी समूह बैंकों को समय पर किस्त और ब्याज का भुगतान कर रहा है, तो क्यों कहा जा रहा है कि भारतीय बैंकों द्वारा अडाणी समूह को दिए गए ऋण डूब जाएंगे? बता दें कि न्यूयॉर्क शहर में अवस्थित हिंडनबर्ग अनुसंधान करने वाली छोटी सी कंपनी है, जो शेयर, क्रेडिट और डेरिवेटिव बाजार का विश्लेषण करती है। श्रीनाथन एंडरसन ने 2017 में इसकी स्थापना की थी। यह मोटे तौर पर अनुसंधान के जरिए कॉरपोरेट धोखाधड़ी उजागर करने का काम करती है। इसने 25 जनवरी, 2023 को जारी एक रिपोर्ट जारी में कहा कि अडाणी समूह बीते कई सालों से शेयरों में और कंपनियों की बैलेंसशीट में हेराफेरी करके निवेशकों और कर्ज प्रदाताओं के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। यह रिपोर्ट अडाणी इंटरप्राइजेज के 20000 करोड़ के एफपीओ लाने से ठीक पहले जारी की गई। लिहाजा, हिंडनबर्ग की मंशा पर भी सवाल हैं? मार्च, 2020 तक देश में कुल 4.09 करोड़ डीमैटखाते थे, जो अगस्त, 2022 में बढ़कर 10 करोड़ हो गए। एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 10.05 करोड़ डीमैटखाते हैं, जो बताते हैं कि बड़ी संख्या में निवेशक शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं।

अडाणी मामले में बड़ी संख्या में निवेशकों को नुकसान होने की वजह से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चला गया। अदालत ने शेयर बाजार के लिए नियामकीय तंत्र को और मजबूत बनाने पर जोर दिया ताकि निवेशकों को नुकसान नहीं उठाना पड़े। यह सही भी है, क्योंकि सटोरियों की वजह से छोटे निवेशकों को शेयर बाजार में आये दिन नुकसान उठाना पड़ता है। अदालत ने केंद्र सरकार को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिए भी कहा। शेयर बाजार का नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) है, जो सूचीबद्ध कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखता है। कोई सूचीबद्ध कंपनी सेबी के साथ किए गए करारनामा से इतर काम करती है, तो सेबी उस पर कार्रवाई करती है। सेबी कृत्रिम तरीके से शेयरों की कीमतों को बढ़ाने या नीचे गिराने वाले दलालों पर भी लगाम लगाती है।

शेयर का अर्थ होता है हिस्सा। शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों को शेयर ब्रोकर की मदद से खरीदा-बेचा जाता है यानी कंपनियों के हिस्सों की खरीद-बिक्री की जाती है। शेयर बाजार में ब्रांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव भी खरीदे-बेचे जाते हैं। सूचीबद्ध कंपनी पूंजी उगाहने के लिए शेयर जारी करती है। जितना निवेशक शेयर खरीदते हैं, उतना उनका कंपनी पर मालिकाना हक हो जाता है। निवेशक अपने हिस्से के शेयर को ब्रोकर की मदद से शेयर बाजार में कभी भी बेच सकते हैं। ब्रोकर इसके लिए निवेशकों से कुछ शुल्क लेते हैं। किसी कंपनी के कामकाज का मूल्यांकन ऑर्डर मिलने-नहीं मिलने, नतीजे बेहतर रहने, मुनाफा बढ़ने-घटने, आयात या निर्यात होने-नहीं होने, कारखाने या फैक्ट्री में कामकाज ठप पड़ने, उत्पादन घटने-बढ़ने, तैयार माल का विपणन नहीं होने, कंपनी के बारे मीडिया में अच्छी-बुरी खबर के प्रचार-प्रसार आदि के आधार पर किया जाता है, और इसी आधार पर शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है। आम तौर पर अर्थतंत्र की समझ न होने या कंपनी की वित्तीय स्थिति से अनभिज्ञ होने या लालच की वजह से निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है। मौजूदा समय में निवेशकों को किसी रिपोर्ट पर ऐतबार करने की जगह खुद से मामले के गुण-दोष का आकलन करना चाहिए खासकर तब, जब अडाणी समूह को दिए गए कर्ज में लगभग 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी विदेशी बैंकों की है, और अभी तक रिपोर्ट की सत्यता साबित नहीं हुई है।

सतीश सिंह


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