मुद्दा : बरकरार रहे खाकी की धमक

Last Updated 18 Feb 2023 01:39:21 PM IST

देशभर से पुलिसवालों पर हमला करने की घटनाएं देखने-सुनने को मिलती रहती है।


मुद्दा : बरकरार रहे खाकी की धमक

खाकी के रूतबे को कमजोर करने की ऐसी वारदात कमोबेश सभी राज्यों का मसला है, मगर बिहार में हाल के वर्षो में खाकी के प्रति हिंसक हो जाने की प्रवृत्ति ज्यादा तेज हो चली है। विशेष कर शराबबंदी और अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई करने गई पुलिस बदमाशों के सीधे निशाने पर है। दरअसल, बदमाशों में खत्म होती खाकी की धमक का सीधा असर पुलिस की साख पर देखने को मिल रहा है।
नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार 2021 में पूरे देश में पुलिस और सरकारी अधिकारियों पर भीड़ या असमाजिक तत्वों के हमले के 334 मामले दर्ज हुए, जिनमें सर्वाधिक 97 कांड बिहार में, 46 मध्य प्रदेश और 31 कांड तेलंगाना में दर्ज हुए। इसी तरह 2020 के कुल मामलों में बिहार में 77 दर्ज हुए थे। आखिर पुलिस पर हमला हाल के दिनों में क्यों बढ़ा है? डेढ़ दशक पहले तक पुलिस की तो छोड़िए गांव के चौकीदार को देख कर अपराधी भाग खड़े होते थे, लेकिन आज के हालात बिल्कुल बदल गए हैं। बदमाश सरेआम थाने पर हमला कर अपने साथियों को छुड़ा ले जाते हैं। इस बदलाव का प्रमुख कारण राजनीति में अपराधियों की तेजी से बढ़ी घुसपैठ है।  यह घटनाएं तो बदमाशों में खाकी के खत्म होते खौफ की बानगी भर हैं। उत्तर प्रदेश की बात करें तो सरकार ने खुद विधानसभा में (वर्ष 2016) एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया था कि पुलिस पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। बिहार की बात करें तो हाल में अररिया जिले के फारबिसगंज, पटना में राजीव नगर, बक्सर के चौसा सहित समस्तीपुर, छपरा, हाजीपुर, बांका एवं कटिहार जिलों जिलों में पुलिस पर हमले हुए हैं। कहीं-कहीं पुलिस के हथियार छीनने के प्रयास किए गए। सवाल है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सहित विधि-व्यवस्था एवं विशेष परिस्थितियों की जिम्मेदारी संभाल रही पुलिस के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? बिहार में पुलिस पर ज्यादातर हमले अवैध शराब एवं बालू खनन के विरुद्ध छापेमारी सहित अपराधियों की गिरफ्तारी के दरमियान घट रही हैं। कभी अनायास दुर्घटना विशेष पर भी स्थिति भयावह हो जाती है। इन घटनाओं के नेपथ्य में जाना होगा। बिहार में शराब प्रतिबंधित है। कुछ लोग देसी शराब निर्माण एवं बिक्री के धंधे में पीढ़ियों से परंपरागत रूप से जुड़े हुए हैं। कुछ लोग शराबबंदी के बाद कम समय और कम पूंजी में अधिक मुनाफा की होड़ में इस धंधे को आत्मसात कर लिये हैं। हाल के दशकों में बालू व्यवसाय में तुरंत अमीर बनने के लालच में बड़ा समूह लग गया है। धनवान बनने की राह में जब पुलिस रोड़ा बनती है तो ये लोग उनसे भी खौफ नहीं खाते हैं। अमूमन घटनाओं में पुलिस पर हमला की शुरु आत प्रतिरोध से होता है, जिसे पुलिस अपने कुशल रणनीति से निबट भी सकती है। पुलिस की प्रकृति हाल के वर्षो में बदली है। पहले पुलिस फोर्स थी, लेकिन आज पुलिस सेवा के रूप में देखी जा रही है। मामला अपराध का हो या विषम परिस्थिति में सहयोग का, आम से लेकर खास तक की निगाहें उसपर टिक जाती हैं, मगर अफसोस की बात है कि आमजन की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाली खाकी खुद भी सुरक्षित नहीं है। कभी-कभी त्वरित घटना के आकलन का पुलिस के पास वक्त भी नहीं होता। वैसे पुलिस से वर्तमान दौर में अनावश्यक बल प्रयोग की अपेक्षा उचित नहीं है। हां, इस मामले में लीडरशिप भी एक प्रमुख कारक है। घटनाओं के विश्लेषण में राजनीतिक और प्रशासनिक लीडरशीप काफी मायने रखती है। दूसरी तरफ पुलिस को बदलते दौर में अपनी रणनीति पर भी विचार करना होगा। पुलिस को हर क्षेत्र में पेट्रोलिंग करते हुए पब्लिक-पुलिस दोस्ती के धागे को मजबूत बनाना होगा, क्योंकि अब अंग्रेजी राज नहीं रहा, जो लाल टोपी देख लोग घरों में घुस जाएंगे। पुलिस की मानसिक स्थिति पर लगातार चोट पहुंचाया जा रहा है, इसपर भी गौर फरमाना होगा।
वैसे खाकी के इकबाल को केवल बदमाश ही चुनौती नहीं दे रहे हैं। महकमे के भीतर भी पुलिसवालों की साख को कमजोर करने का खेल चलता है। मसलन; हाल ही में एक एएसपी द्वारा अपने मातहत सिपाहियों से मसाज कराने की घटना निचले क्रम के अधिकारियों के मनोबल को नुकसान ही पहुंचाएगी। कई बार नेताओं द्वारा वर्दी उतरवाने की धमकी से भी पुलिस मनोबल खोती है। अपराधियों की गिरफ्तारी, अवैध कारोबारों पर छापेमारी तथा दर्ज मामलों की गहराई एवं पारदर्शिता के साथ अनुसंधान में लगी पुलिस बल को अगर स्वयं प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़े तो यह सिस्टम के लिए ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में पुलिस के लिए बेस्ट लीडरशिप, बुनियादी एवं तकनीकी सुविधाएं, मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन, प्रॉपर प्रिपरेशन और बदलते परिवेश के अनुरूप प्रशिक्षण अत्यावश्यक है।  हां, खाकी पर हमला करने वालों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल से सजा दिलाई जाए तभीबदमाशों में खाकी का खौफ रहेगा।

डॉ. भीम सिंह भवेश


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment