उत्तर प्रदेश : अवसंरचना विकास से बदली तस्वीर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था, ‘अमेरिका की सड़कें इसलिए अच्छी नहीं हैं कि यहां के लोग अमीर हैं, बल्कि अमेरिकी सड़कें अच्छी हैं, इसलिए अमेरिका अमीर है।’
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उनका यह कथन कई मायनों में किसी भी देश या राज्य की तरक्की के लिए सोलह आने खरा नजर आता है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश ने पिछले पांच सालों में ऊंची उड़ान भरी है। कई एक्सप्रेस-वे, गांव की गलियों से लेकर ब्लॉक, तहसील, जिला, प्रदेश मुख्यालय, प्रदेश से जुड़ने वाले दूसरे प्रदेशों और देश की सीमाओं तक जाने वाली सड़कें बनाई जा रही हैं। तेजी से बढ़ती एयर कनेक्टिविटी, मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रेल, 10 शहरों में मेट्रो, ग्रेटर नोएडा में विस्तरीय मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब उत्तर प्रदेश में र्वल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप कर रहा है।
पूर्वाचल, गोरखपुर लिंक, बलिया लिंक, बुंदेलखंड, लखनऊ-कानपुर, गंगा, वाराणसी-कोलकाता और गोरखपुर-सिलिगुड़ी एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने वाले साबित होंगे। लखनऊ से गाजीपुर तक 341 किमी. लंबे पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे पर आवागमन शुरू हो चुका है। 27 किमी. लंबे बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को मंजूरी दी जा चुकी है। इससे लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर आदि जिले के लोग लखनऊ और दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में अब कम समय में यात्रा कर रहे हैं। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे आजमगढ़ जिले से गोरखपुर तक करीब साढ़े 91 किमी. लंबा बन रहा है। इसका मुख्य कैरिज-वे जल्द खुलने की संभावना है। इसे गोरखपुर जिले के बाईपास से आजमगढ़ जिले तक जोड़ा गया है। इससे गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ आदि जिले के लोग लाभान्वित होंगे। आसपास के जिलों के सामाजिक-आर्थिक विकास, कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। दशकों से पिछड़ा बुंदेलखंड अब सीधे दिल्ली से जुड़ने वाला है। डीएनडी फ्लाई-वे नौ किमी., नोएड-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे 24 किमी., यमुना एक्सप्रेस-वे 165 किमी., आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे 135 किमी. और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 296 किमी. कुल 630 किमी. की यात्रा दिल्ली से चित्रकूट तक निर्बाध गति से की जा सकेगी। बुंदलेखंड एक्सप्रेस-वे लोगों को दिल्ली सहित अन्य राज्यों से भी जोड़ेगा। इससे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा आदि जिलों के लोग लाभान्वित होंगे। बुंदेलखंड का सीधा दिल्ली से जुड़ने का लाभ लोगों को मिलेगा और पिछड़ेपन के दाग से बुंदेलखंड मुक्त हो सकेगा।
गंगा नदी के समानांतर हरिद्वार से वाराणसी तक एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है। पहले चरण में 36 हजार करोड़ की लागत से मेरठ से प्रयागराज तक बन रहा 596 किमी. लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे छह लेन चौड़ा होगा और आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। मेरठ-बुलंदशहर राष्ट्रीय राजमार्ग 334 से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज बाईपास पर समाप्त होगा। लखनऊ-कानपुर, वाराणसी-कोलकाता और गोरखपुर-सिलिगुड़ी एक्सप्रेस-वे प्रदेश की दशा-दिशा बदलने वाले हैं। राज्य सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे, लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे, पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के किनारे उद्योगों के लिए करीब 67 सौ एकड़ भूमि आरक्षित की है। इससे निवेश भी आएगा और रोजगार सृजन भी होगा। वायु सेवा की बेहतरीन कनेक्टिविटी के नजरिए से उत्तर प्रदेश में तेजी से वायु सेवा का विस्तार हो रहा है। उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले तक केवल दो एयरपोर्ट-लखनऊ और काशी- क्रियाशील थे। हालांकि इस बीच एक और कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट संचालित हो चुका है। एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट जेवर और अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। देश के अंदर पांच वर्ष में बेहतरीन वायु सेवा की कनेक्टिविटी के लिए किसी राज्य ने अच्छी प्रगति की है, तो उत्तर प्रदेश है। मर्यादा पुरु षोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा अयोध्या अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील होने पर उत्तर प्रदेश पांच अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला पहला राज्य होगा। प्रदेश में नौ एयरपोर्ट क्रियाशील हैं, और 10 नए एयरपोर्ट के लिए कार्यवाही चल रही है। जब 10 नए एयरपोर्ट क्रियाशील हो जाएंगे, तो 19 एयरपोर्ट वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा। उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले तक केवल 25 गंतव्यों के लिए वायु सेवा थी जबकि अब 75 गंतव्यों के लिए के लिए वायु सेवा है।
उत्तर प्रदेश ने शहरों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए बड़ी पहल की है। उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा शहरों में मेट्रो चल रही है। गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के साथ मेट्रो की सेवाएं लखनऊ में हैं। ‘आईआईटी, कानपुर से मोतीझील’ तक नौ किमी. लंबे एलीवेटेड प्रॉयरिटी कॉरिडोर का संचालन शुरू हो गया है जबकि गोरखपुर में मेट्रो लाइट सेवा के लिए राज्य सरकार से परियोजना की डीपीआर मंजूर कर केंद्र सरकार को भेज दी है। राज्य सरकार ने बजट में विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के तहत पूर्वाचल की विशेष योजनाओं के लिए 300 करोड़ और बुंदेलखंड क्षेत्र की विशेष योजनाओं के लिए 210 करोड़ अलग से दिए हैं। मेट्रो से तेज चलने वाली देश की पहली रैपिड रेल का निर्माण मेरठ से नई दिल्ली वाया गाजियाबाद हो रहा है।
मेरठ-गाजियाबाद-दिल्ली रैपिड रेल का प्राथमिक खंड 2023 और परियोजना 2025 तक पूरी होने की संभावना है। ग्रेटर नोएडा जल्द ही विस्तरीय मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब बनने वाला है। 7725 करोड़ के निवेश से बनने वाले मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब आने वाले समय में यूपी के विकास की नई गाथा लिखेंगे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश ने इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के जो कार्य किए हैं, वे नये भारत के नये उत्तर प्रदेश की नींव का पत्थर कहे जा सकते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के यह र्वल्ड प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश को आने वाले दिनों में उन राज्यों की श्रेणी में पहुंचाने वाले हैं, जिन्हें आम तौर पर विकसित कहा जाता है। एक्सप्रेस वे और अन्य सड़कों के माध्यम से उत्तर प्रदेश देश-दुनिया से तो जुड़ेगा ही, बड़े पैमाने पर निवेश भी आकर्षित होंगे और लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा।
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