मुद्दा : भारत की आत्मा हैं श्रीराम
भारत में भगवान राम का अर्थ सिर्फ भगवान नहीं वह भारत के जन-जन का आदर्श और राष्ट्र की आत्मा है।
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वो सिर्फ हिंदुओं के देवता नहीं हैं वो एक विचार हैं। जो भारत के जन जन में व्याप्त है। भारत के संविधान में भी श्री राम के चित्र की अहमियत को वर्णित किया गया है। भारतीय पुराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम को सबसे उत्तम मर्यादा पुरुषोत्तम पुरुष कहा गया है। उनका व्यक्तित्व आदशरे से परिपूर्ण था। राम के आदर्शमय जीवन से राम का व्यक्तित्व समझा जा सकता है।
इस युग को हम कलयुग न भी माने तो इस आधुनिक युग में प्राचीन समय की अपेक्षा विज्ञान और भौतिक सुविधाओं का विस्तार हुआ है परन्तु मनुष्य की नैतिकता का पतन भी धीरे-धीरे हुआ है। रिश्ते नाते अब औपचारिक रह गए है। सबकुछ स्वार्थ और धन पर आश्रित हो गया है। धर्म का धीरे-धीरे क्षरण हो रहा है। अब एक कहावत सार्थक हो रही है कि राम को खोजना दुर्भर है परन्तु रावण हर जगह दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे में इस आधुनिक युग में श्री राम की प्रासंगिकता बढ़ जाती है। अगर हमें श्री राम को आस्था के साथ वैज्ञानिक और संविधानिक पहलू से समझना है तो हमें जीवन को गहराई से समझना होगा।
आज भारत में हम प्रजातंत्र की बात करते हैं। हमारा संविधान हमें लोकतंत्रीय व्यवस्था का हिस्सा बनाता है। श्री राम की राजकीय कार्यव्यवस्था लोकतंत्र पर आधारित थी। श्री राम ने अपने व्यक्तित्व को इस प्रकार व्यवस्थित किया था कि आज भी उनके कार्य, निर्णय और शासन को याद किया जाता है। राम के पास अनंत शक्तियां थी परन्तु उनका उपयोग उन्होंने प्रजा की भलाई के लिए किया ना कि उनके विरुद्ध, परन्तु रावण ने अपनी दैवीय शक्तियों का दुरूपयोग किया। रावण ने शक्तियों का प्रदर्शन किया परन्तु राम ने मर्यादा और विनम्रता का।
उन्होंने हमेशा लोकतंत्र, लोकमत और प्रजा की भलाई के लिए ही कार्य किया। वर्तमान नेतृत्वकर्ताओ, शासनकर्ताओं और राजनीतिज्ञ व प्रशासनिक पद पर बैठे लोगों को उनसे सीख लेनी चाहिए। रामराज्य में किसी को अकारण दंड नही दिया जाता था और ना ही लोगो में भेदभाव और पक्षपात किया जाता था। श्री राम की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक खूबी यह थी कि वह कार्यों का विभाजन करते थे। दूसरों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए वह नेतृत्व का मौका उन्हें देते थे। वह उनमें लीडरशिप के गुणों को विकसित करने में और स्वंतंत्र निर्णय लेने में सहायक की भूमिका निभाते थे। जब वह वनवास पर अयोध्या से निकले तो वह दो लोगों के समूह के साथ निकले। उनकी धर्मपत्नी माता सीता और उनके भाई लक्ष्मण उनके साथ थे। तीनों ने मिलकर वन जीवन में टीम वर्क के साथ कार्य किया और जरूरत पड़ने पर श्री राम ने नेतृत्व को हस्तांतरित भी किया।
उन्होंने सभी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके स्किल्स या गुणों के विस्तार पर कार्य किया। श्री राम ने रणनीति, मूल्य, विश्वास, प्रोत्साहन, श्रेय, दूसरों की बातों को ध्यान और धीरज से सुनना और पारदर्शिता को अपने सामने रखा और अपने वनवास काल में एक बड़ी टीम को जोड़कर सभी को नेतृत्व करने का मौका दिया। भरत, लक्ष्मन, सुग्रीव, अंगद, हनुमान, जाम्वत, नल-नील, विभीषण आदि सभी उसके उदाहरण हैं। हर संस्थान को, राजनीतिक पार्टी, प्रशासनिक और शासन के कार्यालयों सहित देश के हित में कार्य करने वालें संगठनों को उनकी इस कार्यप्रणाली और विश्वास करने की नीति को अपनाना चाहिए।
संविधान सभा ने भगवान राम को आदर्श मानते हुए भारतीय संविधान में उन्हें स्थान दिया है। इसको निम्न प्रकार से समझ सकते हैं। संविधान सभा में जब भारत के संविधान की रचना अंतिम चरण में थी, तब डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रस्तुत ड्राफ्ट के पारित होते ही संविधान की मुख्य प्रतिलिपि में कला-कृतियों के चितण्रपर चर्चा हुई। इस कार्य हेतु सर्वसम्मति से उस समय के प्रसिद्ध चित्रकार श्री नन्दलाल बोस, शांति निकेतन को अधिकृत किया गया। बोस एवं उनकी टीम ने भारतीय इतिहास के चुनिंदा महात्माओं, गुरु ओं, शासकों एवं पौराणिक पात्रों को दर्शाते हुए विभिन्न चित्रों को संविधान के अलग-अलग भागों में सजाया। प्रत्येक चित्र अपने स्थान पर भारतवर्ष की अनंत विरासत से एक संदेश और उद्देश्य को व्यक्त करता है। संविधान का भाग 3-जिसमें हमारे मौलिक अधिकार पर चर्चा है-पर श्री राम, सीता जी एवं लक्ष्मण जी का चित्र है।
आज भी भगवान राम को लेकर अलग-अलग प्रकार की बहस समाज के अंदर होती रहती है। कुछ का मानना है कि श्री राम भगवान नहीं थे वो भारत के राजा था। कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों का कहना है कि भगवान राम, वाल्मीकि कृत रामायण के एक काल्पनिक पात्र थे। इतिहासकार कामिल बुल्के ने भगवान राम की प्रमाणिकता पर शोध किया। उन्होंने पूरी दुनिया में रामायण से जुड़े तीन सौ तथ्यों की पहचान की। विभर में बिखरे शिलालेख, भित्ति चित्र, सिक्के, रामसेतु अन्य पुरातत्विक अवशेष, प्राचीन भाषा के ग्रंथ आदि से भगवान राम के होने की पुष्टि होती है। भगवान राम भारत में सिर्फ उत्साही नारा लगाने का विषय नहीं है। वो भारत आदर्श है। भारत में राम की आत्मा वास करती है। भारत के सभी धर्मो के मूल में राम है।
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