सामयिक : दुनिया की नजर भारत पर
इस साल जब से रूस और यूक्रेन के बीच गतिरोध बढ़ा है, खासकर जबसे रूस ने सैन्य कार्रवाई शुरू की है, तब से पूरी दुनिया की नजर भारत पर है।
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कई विश्व नेता भारत से यह उम्मीद कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस-यूक्रेन के मौजूदा टकराव को समाप्त करने के लिए कोई सर्वमान्य फॉर्मूला पेश करेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले सात साल के दौरान भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा की ओर इंगित करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे पहले भारत की ओर इतनी उम्मीद से नहीं देखा गया था, उस समय भी जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री हुआ करती थीं और पूरी दुनिया अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो संधि और सोवियत रूस के नेतृत्व वाले वारसा संधि में बंटी हुई थी और शीतयुद्ध अपने शबाब पर था, लेकिन आज पूरी दुनिया की लीडरशिप भारत की ओर से किसी ठोस पहल की उम्मीद कर रही है।
इसके बावजूद बुधवार को भारत लगातार तीसरी बार यूक्रेन संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोच्च संस्था की बैठक में हुए मतदान में अनुपस्थित रहा। यूक्रेन के खिलाफ हमले के प्रस्ताव पर भारत के रु ख पर सबकी नजर थी, लेकिन चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों ने न तो इसके पक्ष में वोट किया और न ही इसका विरोध किया। रूस-यूक्रेन के बढ़ते संकट के बीच एक सप्ताह से भी कम समय में यह तीसरा ऐसा प्रस्ताव है। यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले की निंदा करने वाले यूएनजीए के इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 सदस्यों ने वोटिंग की। वहीं, 5 ने इसके विरोध में वोट किया। भारत सहित 35 देशों ने इस प्रस्ताव से दूरी बनाई।
भारत की तटस्थ नीति को कूटनीतिक गलियारे में रूस का अप्रत्यक्ष समर्थन बताया जा रहा है। हालांकि राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि भारत का तटस्थ रहना अमेरिका को यह संदेश देना है कि भारत डेमोक्रेट के परंपरागत रूस-विरोधी मानसिकता का आंख मूंद कर समर्थन नहीं कर सकता। भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह दौर निकल गया जब भारत की छवि किसी के पिछलग्गू देश की हुआ करती थी। यह नया भारत है और कोई भी कदम अपने नागरिकों के व्यापक हित में उठाता है। उसी विदेश नीति के तहत भारतीय प्रतिनिधि तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में सर्वमान्य हल की पैरवी करते हुए वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहा। वस्तुत: नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत किसी भी तरह भावुकता में नहीं बल्कि देश के व्यापक हित में अपनी विदेश नीति के तहत फैसला ले रहा है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर गलतबयानी करते भारत सरकार की छात्र विरोधी इमेज पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बारे में एक युवती एक्सपोज भी हुई, जबकि हकीकत यह है कि जो लोग यूक्रेन से सुरक्षित स्वदेश लौट रहे हैं, उन्होंने कहा कि इस पूरे यूक्रेन संकट के दौरान वहां से सकुशल निकलने के बाद लग रहा है कि भारतीय पासपोर्ट की कितनी अहमियत है। जाहरि है नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय को भारतीय होने पर गर्व हो रहा है, क्योंकि दूसरे देशों के नागरिकों की हालत बहुत चिंताजनक है।
जैसा कि सर्वविदित है यूक्रेन में अभी भी भारतीय समुदाय के काफी लोग फंसे हुए हैं। उनको सकुशल निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत संजीदा है। इसीलिए उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर बुधवार को रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बातचीत की। उधर मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के साथ बातचीत में पुतिन ने यूक्रेन की सेना पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि यूक्रेनी सेना ने वहां मौजूद भारतीय छात्रों को बंधक बना लिया है और वे उन्हें मानव शील्ड के तौर पर प्रयोग कर रहे हैं। इसके साथ यूक्रेन की सेना भारतीयों को रूसी क्षेत्र में जाने से रोक रही है। भारत जवाहरलाल नेहरू के समय से गुटिनरपेक्ष आंदोलन में सक्रिय रहा, यह परंपरा कांग्रेस के दूसरे प्रधानमंत्रियों ने जारी रखी, लेकिन नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति अलहदा है। उन्होंने अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा कैसे बढ़ेगी और भारत विश्व राजनीति में किस तरह से हस्तक्षेप करेगा। पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हुए, मोदी ने अमेरिका जैसी महाशक्ति के साथ-साथ यूरोपीय देशों के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाए रखा। उसी के चलते आज दुनिया की नजर भारत पर है।
कई मुद्दों पर कठोर रु ख अख्तियार करना और सही निर्णय लेना मोदी की कार्यशैली की विशेषता रही है। कोई क्या सोचता है, इस पर ध्यान न देते हुए किसी नीति या निर्णय से देश को किस तरह ज्यादा फायदा होगा, मोदी इस दिशा में सोचते रहे हैं और मोदी की यह कुशलता कई बार नजर आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर ही युद्ध अंतर्गत क्षेत्रों से भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया गया है। ‘ऑपरेशन गंगा’ भारत सरकार द्वारा मानवीय सहायता प्रदान करने और यूक्रेन पर 2022 के रूसी आक्रमण के बीच भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए जारी एक ऑपरेशन है। इसमें उन लोगों की सहायता शामिल है, जो रोमानिया, हंगरी, पोलैंड, मोल्दोवा, स्लोवाकिया के पड़ोसी देशों में चले गए हैं। नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार भारत के चार केंद्रीय मंत्री ‘ऑपरेशन गंगा’ में जुटे हुए हैं।
इस ऑपरेशन को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू और पूर्व सेना प्रमुख सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह देख रहे हैं। भारत पहुंचने पर हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री पहुंचकर छात्रों का कुशल-क्षेम पूछना तथा उनके आगे जाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं। फिलहाल भारत मौजूदा विवाद में यूक्रेन और रूस दोनों के दृष्टिकोण से वाकिफ है। वह दुनिया के सभी देशों से दोस्ताना संबंध बनाए रखने का पक्षधर रहा है। अपनी इसी नीति के तहत भारत नपी-तुली प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत ने अपनी विदेश नीति के तहत साफ कर दिया है कि रूस-यूक्रेन विवाद में वह परोक्ष रूप से किसी तरफ नहीं है।
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