डिजिटल अर्थव्यवस्था : नया लाभप्रद परिदृश्य

Last Updated 10 Feb 2022 12:09:57 AM IST

यकीनन देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का नया लाभप्रद परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है।


डिजिटल अर्थव्यवस्था : नया लाभप्रद परिदृश्य

एक ओर करोड़ों लोगों की सुविधा और उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ने तथा दूसरी ओर रोजगार सहित नये आर्थिक मौके तेजी से बढ़ने की संभावनाएं निर्मिंत हो रही हैं। इसमें दो मत नहीं हैं कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल कारोबार बढ़ने के साथ-साथ डिजिटल रोजगार भी बढ़ रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में नये रोजगार दिखाई देने लगे हैं, जिनके बारे में कल्पना भी नहीं की जाती थी। मैकेंजी की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में 2025 तक करीब छह से साढ़े छह करोड़ रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं, वहीं इसकी वजह से करीब चार से साढ़े चार करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि दुनियाभर में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार तेजी से खत्म हो रहे हैं, वहीं डिजिटल क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।   
2022-23 के बजट प्रावधानों में विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए चमकीला अध्याय लिखा गया है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकों की स्थापना करेंगे। डाकघर भी ऑनलाइन सेवाएं मुहैया कराएंगे। डेढ़ लाख डाकघर कोर बैंकिंग से जुड़ेंगे। बैंक से पोस्ट ऑफिस के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर भी किया जा सकेगा। डाकघर के लिए भी एटीएम सुविधा मुहैया कराई जाएगी। 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए स्पैक्ट्रम की नीलामी होगी। इसके बाद निजी दूरसंचार कंपनियां देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत कर पाएंगी। 5जी सुविधा प्रारंभ होने के बाद उपयोगकर्ता अपने 5जी स्मार्टफोन का और बेहतर तरीके से उपयोग कर सकेंगे। 5जी के आने से देशभर में इंटरनेट यूजर्स को हाई-स्पीड नेट सर्फिंग और फास्ट वीडियो स्ट्रीमिंग का बिल्कुल नया लाभ भी मिलेगा। पीएम ई-विद्या के ‘वन क्लास, वन टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 से 200 टीवी चैनलों तक बढ़ाया जाएगा। डिजिटल यूनिर्वसटिी भी बनाई जाएगी। बजट के प्रावधानों के तहत खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल किया जाना सुनिश्चित किया गया है, जिससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों के छिड़काव में मदद मिलेगी। फसल मूल्यांकन के साथ ही भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के साथ किसानों को कृषि संबंधी सेवाएं डिजिटल प्रदान की जाएंगी।

केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा उनकी खरीद के उपयोग के लिए पूर्ण पेपरलेस एंड-टू-एंड ऑनलाइन ई-बिल प्रणाली शुरू की जाएगी। केंद्र सरकार एंड टू एंड बिलिंग पेमेंट सिस्टम बनाएगी। इससे पेपरलेस ई-बिल की सुविधा मिलेगी। बिल ट्रांसफर करने और कहीं से भी दावों को ट्रैक करने में सक्षम किया जाएगा। ई-पासपोर्ट व्यवस्था भी आकार लेते हुए दिखाई देगी। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा व्यवस्था भी डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाएगी। रिजर्व बैंक द्वारा ब्लॉक चेन और अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) जारी की जाएगी। इससे ऑनलाइन लेन देन और सुरक्षित बनेगा तथा इसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होगा। डिजिटल रुपया अभी जो हमारी फिजिकल करंसी (भौतिक मुद्रा) है, उसका ही डिजिटल स्वरूप होगा। इसको फिजिकल करंसी से एक्सचेंज (विनिमय) किया जा सकेगा। अटलांटिक काउंसिल के मुताबिक जनवरी, 2022 तक 9 देशों में डिजिटल मुद्रा जारी हुई हैं। इन देशों को डिजिटल मुद्रा के लाभ मिले हैं। अब भारत में भी डिजिटल मुद्रा के आकार लेने से भारतीय अर्थव्यवस्था को आंतरिक और वैश्विक लेन देन के लाभ मिल सकेंगे। निश्चित रूप से भारत में पिछले 6-7 वर्षो में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण रेखांकित किए जा सकते हैं। जन धन बैंक खातों, लोगों को आधार के सहारे मिली डिजिटल पहचान तथा डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद आधार हैं।
देश में सरकारी सेवाओं के लिए डिजिटलीकरण को अधिकतम प्रोत्साहन और 44 करोड़ से अधिक जन धन खातों में कोरोनाकाल में धन हस्तांतरण से डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है। कोरोनाकाल के कारण देश-दुनिया की कारोबारी गतिविधियां तेजी से ऑनलाइन हुई हैं, अतएव वर्क फ्रॉम होम और आउटसोर्सिंग को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिलने से भारत की डिजिटल कारोबार की अहमियत बढ़ी है।
निस्संदेह बढ़ते डिजिटलीकरण, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या, मोबाइल और डेटा पैकेज, दोनों के सस्ता होने से भी डिजिटल कारोबार बढ़ा है। मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रैफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारत में ब्राडबैंड उपयोग करने वालों की संख्या मार्च, 2014 के 6.1 करोड़ से बढ़कर जून, 2021 में 79 करोड़ पहुंच चुकी है। विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019-20 में डिजिटल भुगतान बाजार का जो आकार रहा है, वह 2024-25 तक तीन गुना से भी अधिक स्तर पर पहुंच जाना अनुमानित है। 2020 में भारत में 25.5 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए तो चीन में 15.6 अरब और यूके में 2.8 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए। अमेरिका में मात्र 1.2 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन ही हो सके।  
इसमें दो मत नहीं कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था अब तक के विभिन्न प्रोत्साहनों से तेजी से आगे बढ़ी है। लेकिन अभी डिजिटल अर्थव्यवस्था की डगर पर दिखाई दे रहीं विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों की ओर ध्यान दिया जाना होगा। डिजिटल अर्थव्यवस्था की बुनियादी जरूरत कंप्यूटर और इंटरनेट तक अधिकांश लोगों की पहुंच बढ़ाई जानी होगी। उम्मीद करें कि देश में डिजिटल इंडिया अभियान तेजी से आगे बढ़ेगा और इस दशक में वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में देश की हिस्सेदारी उभर कर दिखाई देगी। देश-दुनिया में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत सृजित हो रहे नये रोजगार और आर्थिक मौके बढ़ी संख्या में भारतीय युवाओं की मुट्ठियों में आते हुए दिखाई देंगे।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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