आधार : पहचान पत्र को करेगा एकीकृत?
पिछले वर्षो में आधार कार्ड की महत्ता तेजी से बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना हो, सार्वजनिक वितरण प्रणाली हो, वृद्धावस्था पेंशन हो या बेरोजगारी भत्ता, किसी भी योजना का उपभोग आधार कार्ड के बिना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य हो गया है।
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लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में हालिया संशोधन, जिसके अंतर्गत मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाना है, आधार कार्ड के बढ़ते महत्त्व का ही परिचायक है
देश में संसदीय चुनावों को सुचारु रूप से चलाने के लिए 1950 में ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम बनाया गया था। 1950 का अधिनियम चुनावों के लिए सीटों के आवंटन और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन, मतदाताओं की योग्यता और मतदाता सूची तैयार करने की व्याख्या करता है। 1951 में अधिनियम का विस्तार कर चुनावों के संचालन और चुनावों से संबंधित अपराधों और विवादों का प्रावधान किया गया। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत स्वायत्त संस्था के तौर पर की गई थी। चुनाव आयोग ने पिछले कई वर्षो में तकनीक के उपयोग से त्रुटिहीन, पारदर्शी और पक्षपातरहित चुनाव कराने की दिशा में नये आयाम हासिल किए हैं। हालांकि फर्जी वोटिंग और एक ही नागरिक का अनेक जगहों पर मतदाता के तौर पर नामांकित होना अभी भी बड़ी समस्या है। इन्हीं समस्याओं के निदान के लिए भारत सरकार ने 20 दिसम्बर, 2021 को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसको संसद के दोनों सदनों ने पारित भी कर दिया।
नये संशोधित नियम के अनुसार अब मतदाता पंजीकरण के लिए पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड प्रस्तुत करना होगा। मतदाता पहले से ही पंजीकृत है तो उसके पहचान का सत्यापन आधार कार्ड से किया जाएगा। हालांकि आधार कार्ड की अनुपलब्धता और त्रुटि होने की स्थिति में दूसरे पहचान पत्र को पेश करने का प्रावधान भी है। पहले मतदाता पंजी में अर्हता सिर्फ साल की शुरु आत में 1 जनवरी को तय की जाती थी। इसका मतलब 2 जनवरी को 18 वर्ष पुरा करने वाले नागरिक को मतदाता सूची में सम्मिलित होने के लिए अगले वर्ष की 1 जनवरी तक इंतजार करना पड़ता था। संशोधित नियम के अनुसार अब वर्ष में 4 बार 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 वर्ष पुरा करने वाले नागरिक भी मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं।
आधार कार्ड में व्यक्ति से जुड़े बायोमेट्रिक डाटा के अलावा अन्य निजी जानकारी को संग्रहित किया जाता है, जिसके कारण सत्यापन आसान हो जाता है। लेकिन आधार कार्ड में संग्रहित व्यक्तिगत जानकारी का दुरु पयोग भी संभव है। 2021 में पुदुचेरी के निकाय चुनाव में आधार डाटा के गलत इस्तेमाल की बात सामने आई। आधार कार्ड में कई विसंगतियां पाई गई हैं, जैसे नाम, पिता का नाम, पता इत्यादि में त्रुटियां, फिंगरप्रिंट अथवा अन्य बायोमेट्रिक डाटा में असमानता। 2018 में प्राप्त डाटा के अनुसार सरकारी सेवाओं के सत्यापन में विफलता 12% तक थी, उसी प्रकार अन्य सुविधाओं से आधार कार्ड को जोड़ने की कवायद में विसंगतियों में वृद्धि ही पाई गई। जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका अहम हो जाती है। संबंधित अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि आधार में त्रुटियों और अन्य विसंगतियों की स्थिति में मतदाताओं को ज्यादा परेशानी न हो। उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर और लंबी कतारों से भी बचाना होगा अन्यथा भविष्य में मतदान के लिए इच्छुक होने के बावजूद कुछ मतदाता अपने अधिकार का उपयोग नहीं कर पाएंगे। यह सुनिश्चित करना भी अनिवार्य हो जाता है कि किसी भी परिस्थिति में नागरिकों के व्यक्तिगत आंकड़ों का दुरु पयोग न हो पाए। दरअसल, आधार कार्ड को ज्यादा सुरक्षित बनाया जाना चाहिए और साइबर खतरों से बचने के लिए डेटा को एन्क्रिप्टेड रूप में स्टोर किया जाना चाहिए।
विभिन्न आईडी काडरे के लिंकेज से उत्पन्न परेशानियों से बचने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र बनाने की संभावनाओं का विश्लेषण करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षो में, सरकारी पहलों के कारण, आधार कार्ड को अधिकांश सरकारी, स्वायत्त और निजी संगठनों में पहचान का स्वीकार्य प्रमाण माना जाने लगा है। वोटर आईडी कार्ड से लिंक होने के बाद पहचान पत्र के रूप में आधार की स्वीकार्य और बढ़ेगी। आधार पहले से ही पैन कार्ड, बैंक खातों, राशन कार्ड और ज्यादातर सरकारी योजनाओं के साथ जुड़ा हुआ है; आगे चलकर ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य आवश्यक पहचान पत्रों को जोड़कर आधार को एकीकृत पहचान पत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिकांश फैसलों में आधार के जबरन इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है, लेकिन नागरिकों, निवासियों और प्रवासियों से जुड़ी जरूरी जानकारी को एक ही पहचान पत्र में शामिल करने से बेहतर प्रशासन सुनिश्चित होगा।
डिजिटल इंडिया पहलों और तकनीकी प्रगति को देखते हुए, इस लक्ष्य को प्राप्त करना अब दुर्गम नहीं है।
(लेखक आईटी विषयों के विशेषज्ञ हैं)
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