बतंगड़ बेतुक : चुनाव ने कोरोनामुक्त किया बिहार
हमारा फोन बज रहा था, देखा तो झल्लन घनघना रहा था। हमने फोन उठाया, कान पर लगाया तो झल्लन का चिंतित स्वर कर्णपटल से टकराया, ‘काहे ददाजू, हम ठीये पर बहुत इंतजार किये पर आप दिखाई नहीं दिये, सब खैरियत तो है, हमें चिंता खाये जा रही है, आपको लेकर डराये जा रही है?’
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हमने कहा, ‘क्या बताएं झल्लन, कोरोना की मार दरवाजे पर दस्तक दे रही है इसलिए बाहर निकलने की हिम्मत जवाब दे रही है।’ झल्लन बोला, ‘ऐसा क्या हुआ ददाजू जो इतना हता लग रहे हैं, आप तो जिंदादिल इंसान हैं फिर आपके स्वर क्यों बदल रहे हैं?’ झल्लन की आवाज में परेशानी उद्भूत हुई जो हमें साफ-साफ महसूस हुई। हमने कहा, ‘हमारे अड़ोस-पड़ोस में कुछ लोग पॉजिटिव पाये गये हैं, बस इसी को लेकर कालोनी के लोग घबराये हुए हैं। सबको कह दिया है कि घर से बाहर न आयें, बिना ना-नुकुर घर में क्वारंटीन हो जायें। बुजुगरे के लिए ये हिदायत कुछ ज्यादा ही कड़ी है, बस इसी की मार हमारी पार्क यात्रा पर पड़ी है।’
झल्लन बोला, ‘यहां भी यही हाल है ददाजू, हमारे आस-पास भी कई लोग पॉजिटिव निकल आये हैं, कुछ-कुछ लक्षण हमारे अंदर भी उभर आये हैं, पर हम सोच रहे हैं ददाजू कि घबराएं या नहीं घबराएं और अगर घबराएं तो घबराकर आखिर क्या करें, कहां जायें। सो, हम फैसला किये हैं कि हम कतई नहीं घबराएंगे, बिहार का मॉडल अपनाएंगे, कोरोना से दो-दो हाथ करेंगे और ससुरे को जरूर हराएंगे।’ हमने कहा, ‘सही फैसला किये हो झल्लन, आखिर घबराने से हाथ में क्या आएगा, हमारी घबराहट देखकर कोरोना पलट थोड़े ही जाएगा, पर ये बिहार का मॉडल क्या है जो तू हमारे सामने रख रहा है और जिसके बूते कोरोना से लड़ने की बात कर रहा है?’ झल्लन बोला, ‘का ददाजू, न तो आप चुनाव प्रचार में शामिल हुए, न किसी वोट खिंचाऊ हुल्लड़-हंगामे में दाखिल हुए, फिर कैसे समझ पाते कि बिहार क्या कमाल दिखा दिये हैं, चुनाव का ऊंट इस करवट बैठे या उस करवट, पर बिहारी मिलकर कोरोना को हरा दिये हैं, अपना दम दिखा दिये हैं।’
हमने कहा, ‘बिहार ने कोरोना को हरा दिया है, कैसी बात कर रहा है, क्या तूने पउवा चढ़ा लिया है?’ झल्लन बोला, ‘पउआ नहीं चढ़ाए हैं जो देखे, सुने, भोगे हैं वही बताए हैं।’ हमने कहा, ‘तूने कहां देखा, सुना कि बिहार ने कोरोना को हरा दिया है, न हम टीवी पर सुने, न अखबार में पढ़े, फिर तूने ये समाचार कहां से पा लिया है?’ झल्लन बोला, ‘सुनो ददाजू, हर बात न टीवी पे दिखाई जाती है, न अखबार में बताई जाती है, न हर किसी को सुनाई जाती है। जो खुद समझ ले वो खिलाड़ी है, जो न समझे वह अनाड़ी है।’ हमने कहा, ‘तू बात बता रहा है या बातों की जलेबी बना रहा है। इस समय किसी चैनल पर दंगल और किसी पर कुती हो रही है, कहीं इसकी तो कहीं उसकी जीत की दावेदारी हो रही है, सब जबर्दस्त तू-तू मैं-मैं कर रहे हैं, चोंचें लड़ा रहे हैं, अपनी-अपनी खुन्नस के पाठ एक-दूसरे को पढ़ा रहे हैं। पर बिहार ने कोरोना पर जीत पा ली है, ऐसी बात तो कहीं नहीं हो रही है, इसीलिए हमें तेरी बात पर हैरानी हो रही है।’ झल्लन बोला, ‘देखो ददाजू, बिहार के चुनाव कोरोना काल के पहले चुनाव थे जिसमें सब लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लिये, सब एक-दूसरे को गरियाए-थुकियाए, एक-दूसरे पर चीखे-चिल्लाए, एक-दूसरे को बिहार का दुश्मन बताए, सब अपनी-अपनी जीत के फायदे और दूसरे की जीत के नुकसान गिनाए, सब कहे कि वे सत्ता में आ जाएंगे तो महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, बीमारी, भ्रष्टाचार, अनाचार, दुराचार सब हवा हो जाएंगे, और वे सत्ता में आकर हर बीमारी की लाइलाज दवा हो जाएंगे। सब बिहार को बेंगलुरू बनाने के अपने-अपने नुस्खे सुझाए पर कोरोना की तरफ कोई उंगली नहीं उठाए। न मास्क पहना न दो गज की दूरी लिये, सब जुड़-जुड़कर, सट-सटकर सभा-जुलूस में हिस्सेदारी किये, कोरोना भी कहीं आस-पास है इस पर कोई ध्यान नहीं दिये। जब दुश्मन पर न कोई ध्यान दे, न उसका संज्ञान ले और उसे निपट फालतू चीज मान ले तो दुश्मन तो वैसे ही निपट जाता है, उसका भय-खौफ मिट जाता है। तो हमारे बिहारी भाई वही हिम्मत दिखाए, न उसके होने पे ध्यान दिये, न उसके डर से घबराए। सो, हम निष्कर्ष निकाल लिये कि कोरोना जो किये सो किये, पर हमारा बहादुर बिहार कोरोना को सपटा दिये।’
हमने कहा, ‘देख झल्लन, जिन लोगों ने चुनाव के जुनून में कोरोना की अनदेखी की उन्होंने बहादुरी नहीं मूर्खता दिखाने का काम किया है, उन्होंने लाखों बिहारियों के जीवन को संकट में डाल दिया है। पर कोरोना छोड़, ये बता तेरे महामूर्ख जनता दल का क्या हुआ, जिसे तूने हमेशा जीता हुआ बताया पर इधर एग्जिट पोल में उसका नाम तक नहीं आया?’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, हम नहीं जानते कि एग्जिट पोल किसे जीता दिखाए किसे हारा बताए और गिनती के बाद क्या परिणाम आएंगे, पर हमारे महामूर्ख जनता दल के महामूर्ख मतदाता अपनी जीत का झंडा इधर से उधर लहराएंगे और ऐसे ही लोकतंत्र को बचाएंगे।’
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