बतंगड़ बेतुक : झल्लन लाया अपना विजन डाक्यूमेंट
झल्लन हमारे पास आकर बोला, ‘ददाजू, हम भी एक पॉलिटिकल आउटफिट खड़ा किये हैं और अभी-अभी उसका विजन डाक्यूमेंट फिनिश किये हैं।’
बतंगड़ बेतुक : झल्लन लाया अपना विजन डाक्यूमेंट |
हमने उसे हैरत से ऊपर से नीचे तक निहारा, फिर उचारा, ‘अरे, तूने कब राजनीतिक दल खड़ा कर लिया, इसके बारे में न हमने कहीं पढ़ा न कहीं सुनाई दिया?’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, पॉलिटिकल पार्टी तो अभी हम दिमाग में ही खड़ा किये हैं, पर उसका घोषणापत्र पहले ही बना लिये हैं। बाकी सब नेता-बुद्धिजीवी अपनी-अपनी जोड़-जुगाड़ में लगे हैं सो हम किसी से राय मशवरा नहीं कर पाये हैं, अकेले आप ही निठल्ले बैठे हो सो अपना घोषणापत्र आपको दिखाने चले आये हैं।’
हमने कहा, ‘ये क्या उलटवासी कर रहा है झल्लन, पार्टी का अता-पता नहीं है, पर उसका घोषणापत्र बना लाया है और हम कोई नेता-वेता तो हैं नहीं, फिर हमें काहे दिखाने चला आया है?’ झल्लन बोला, ‘देखिए ददाजू, हम राज की नीति थोड़ी उलट दिये हैं और रीति थोड़ी पलट दिये हैं। लोग पहले पार्टी बनाते हैं, फिर उसके हिसाब से अपना विजन डाक्यूमेंट लाते हैं, पर हम पहले विजन डाक्यूमेंट जारी करेंगे इसके बाद पार्टी बनाएंगे और तय करेंगे कि अपनी पार्टी में किसे जोड़ेंगे, किसे घटाएंगे।’
हमने जबरन अपनी हंसी दबाई, फिर बात आगे बढ़ाई, ‘हमारे पास चश्मा नहीं है, सो तेरा घोषणापत्र या विजन डाक्यूमेंट पढ़ तो नहीं पाएंगे, अगर तू पढ़ता जाएगा तो हम सुनते जरूर जाएंगे।’ झल्लन बोला, ‘तो ददाजू विजन यह है कि हम अपने लोकतंत्र का और अधिक पतन नहीं होने देंगे और किसी भी सूरत में किसी के अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे। नेताओं, पूंजीपतियों और अफसरों ने वैसे तो सारे अधिकार अपने लिए आरक्षित कर लिये हैं और तीनों मिलकर अपने अधिकारों का खूब उपयोग भी कर लिये हैं, लेकिन हम उनके अधिकारों में कोई दखल नहीं दे पाएंगे इसलिए अपने विजन डाक्यूमेंट में उनका नाम नहीं लाएंगे। हमारे एजेंडे में जो बाकी लोग हैं हम उनकी बात कर रहे हैं और यहां उन्हीं के अधिकारों का जिक्र कर रहे हैं। जिन्हें रोजगार मिला हुआ है उन्हें रोजगारी का अधिकार देंगे और जो बेरोजगार हैं उन्हें बेरोजगारी का अधिकार देंगे, जो पढ़े-लिखे हैं उन्हें पढ़ने-लिखने का अधिकार देंगे और जो बेपढ़े-अनपढ़ हैं उन्हें अनपढ़ बने रहने का अधिकार देंगे, जो चीख-चीखकर बोल सकते हैं उन्हें बोलने का अधिकार देंगे और जो सब कुछ देखकर भी मौन रहना चाहते हैं उन्हें मौन रहने का अधिकार देंगे, मदरे को मर्दाना अधिकार देंगे और जनानियों को जनाना अधिकार देंगे, ताकतवर को ताकत का अधिकार देंगे और कमजोर को कमजोरी का अधिकार देंगे। अपने अधिकारोें की इस लिस्ट को हम और आगे बढ़ाते जाएंगे और जो-जो नये अधिकार हमारे दिमाग में आएंगे, वो इस लिस्ट में जुड़ते जाएंगे।’
हमने गहन गंभीरता का लबादा ओढ़ा और झल्लन की बात से अपनी बात को जोड़ा, ‘झल्लन, तेरा ये घोषणापत्र तो राष्ट्रीय घोषणापत्र लग रहा है, पर इधर चुनाव तो बिहार में चल रहा है।’ झल्लन ने टोका, ‘कैसी बात करते हो ददाजू, हम राष्ट्र की बात कर लेंगे तभी न राज्य पर आएंगे और बिहार तो हमारे दिल में धड़कता है सो बिहार को कैसे बिसराएंगे? सो ददाजू, हम आपकी बात का संज्ञान ले रहे हैं इसलिए राष्ट्रीय विजन डाक्यूमेंट से पहले बिहार का विजन डाक्यूमेंट सुनाए दे रहे हैं। तो सुनिए ददाजू, ध्यान से सुनिएगा और अगर कोई बात अंडबंड लगे तो कहिएगा।’ हमने मुस्कुराते हुए कहा, ‘तूने बनाया है तो परफेक्ट ही बनाया होगा, थोड़ा-बहुत दिमाग तो लगाया ही होगा।’
झल्लन बोला, ‘तो ददाजू, हमारी पहली घोषणा है कि इससे पहले कि कोरोना का वैक्सीन आये और बिहार में बंट पाये, हम बिहार को कोरोना मुक्त घोषित कर देंगे और ऐसा करके हर बिहारी को खुश कर देंगे। हमारी अगली घोषणा है कि हम पचास लाख नयी नौकरियां लाएंगे और इनमें बारोजगार-बेरोजगार सबकी भर्ती करवाएंगे। हर गांव में एक-एक स्कूल और एक-एक अस्पताल खुलवाएंगे और शिक्षकों तथा डॉक्टरों की आपूर्ति के लिए हर जिले में एक विश्वविद्यालय और एक मेडिकल कॉलेज खुलवाएंगे। हर लड़की को जब तक वह पढ़े तब तक पढ़वाएंगे और उसके विवाह तक सारा खर्चा हम उठाएंगे। जो सड़कें टूट गयी हैं उन्हें खुदवाकर अलग फिकवाएंगे और उनकी जगह नयी निकोर सड़कें बनवाएंगे। और एक महत्वपूर्ण घोषणा ये है ददाजू कि भ्रष्टाचार से बिहार बहुत बदनाम होता है सो हम भ्रष्टाचार की चर्चा पर लगाम लगाएंगे, और ऐसी चर्चा को दंडनीय अपराध बनाएंगे। और आखिरी घोषणा ये ददाजू कि दारूबंदी ने बिहार को हलकान कर दिया है, दारूबाजों को परेशान कर दिया है। न जाने वे कैसी-कैसी जुगाड़ लगाते हैं, तिस पर दुगुनी-तिगुनी कीमत भी चुकाते हैं, सो बिहार को उसका यह मौलिक अधिकार वापस दिलाएंगे और दारूबंदी को तत्काल प्रभाव से हटाएंगे।’
झल्लन कुछ और कहता उससे पहले हमने कहा, ‘लेकिन झल्लन, तेरे इस घोषणापत्र को पूरा करने के लिए संसाधन कहां से आएगा, पैसा कहां से जुटाएगा?’ झल्लन बोला, ‘कैसी बात कर दी ददाजू, बाकी पार्टियां अपने-अपने घोषणापत्रों को पूरा करने के लिए जहां से धन का जुगाड़ लगाएंगी, वहीं से थोड़ा हम भी उठा लाएंगे और अपने घोषणापत्र को लोगों के दिमाग में नहीं पर दिलों में जरूर चढ़वाएंगे।’
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