सरोकार : महिला नेता जनता की ज्यादा सेवा करेंगी

Last Updated 25 Oct 2020 03:05:56 AM IST

एक स्टडी से पता चला है कि महिला नेता पुरुषों नेताओं के मुकाबले लोगों की ज्यादा सेवा करती हैं।


सरोकार : महिला नेता जनता की ज्यादा सेवा करेंगी

अमेरिका के राजनीति शास्त्र के दो प्रोफेसर्स की नई जेंडर एंड गवर्नमेंट रिस्पांसिवनेस में यह बात सामने आई है। इन प्रोफेसर्स जोएला पोन्स द लिओन और गैब्रियल मगनी ने अलग-अलग जेंडर वाले लोगों के तौर पर कई देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड्स, अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया, चिली, मैक्सिको और उरु ग्वे के सांसदों को मदद के लिए ईमेल भेजा। यूरोप में उन्होंने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की। लैटिन अमेरिका में मेडिकल सहायता मांगी। लगभग सभी यूरोपीयन और अधिकतर लैटिन अमेरिकी देशों में महिला नेताओं ने पुरु ष नेताओं की तुलना में जल्दी और अच्छी प्रतिक्रिया दी। महिला सांसदों ने 28 फीसद जवाब दिया, और पुरु ष सांसदों ने 23 फीसद। महिला सांसदों को दुनिया भर में सेवा भाव के लिए सराहा भी जाता है। इसकी मिसाल न्यूजीलैंड है जहां इस बार के चुनाव में सत्ताधारी लेबर पार्टी को फिर बहुमत मिला है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न के प्रदशर्न को दिया जाता है। यह समावेशीकरण के एक उदाहरण है कि भारी बहुमत मिलने के बावजूद वह अपने पूर्व सहयोगी दल के सदस्यों को साथ लेकर चलना चाहती हैं। यह उनका दूसरा कार्यकाल है और इस दौरान उनसे उम्मीद लगाई जा रही है कि वह इतनी विविधता भरी संसद के साथ देश को और भी प्रगतिशील बनाएंगी। आर्डर्न को दुनिया भर में और खासकर उनके अपने देश में महिला अधिकारों की समर्थक, बराबरी और सभी को साथ लेकर चलने वाली आधुनिक नेता माना जाता है।

एक खास बात और है। वहां चुनाव जीतने वाले सांसदों में आधी से ज्यादा महिलाएं हैं। इसके अलावा मूल माओरी समुदाय के 16 सांसद चुनकर आए हैं। नई संसद के लिए पहली बार अफ्रीकी मूल के इब्राहीम ओमार और श्रीलंकाई मूल की वानुषी वॉल्टर्स ने जीत हासिल की है। संसद में हर वर्ग के लोगों को शामिल किए जाने के मुद्दे पर मासे यूनिर्वसटिी में ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज विभाग में प्रो. पॉल स्पूनली का कहना है कि यह हमारी आज तक की सबसे विविधता वाली संसद होगी। लैंगिक विविधता के मामले में, सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के मामले में और मूल निवासियों के प्रतिनिधित्व के मामले में भी। विश्व स्तर पर देखा जाए तो भी इस संसद में रेनबो समुदाय (एलजीबीटीक्यू समूह) से आने वाले सबसे ज्यादा सदस्य होंगे। न्यूजीलैंड की 120 सीटों वाली संसद के करीब 10 फीसदी सदस्य घोषित रूप से लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर हैं। वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन घोषित तौर पर समलैंगिक हैं। जाहरि है कि जेसिंडा इन सभी लोगों के साथ मिलकर देश के लिए काम करना चाहती हैं।
यूं इससे पहले यूएन विमेन कह चुका है कि उसका लक्ष्य विभिन्न देशों की कैबिनेट में महिलाओं को बराबरी दिलाना है। संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था का नेतृत्व करने वाली फुमजिले म्लाम्बो-न्गुका दक्षिण अफ्रीका की उपराष्ट्रपति भी रह चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि अगले एक साल में विश्व भर में लैंगिक बराबरी वाले कैबिनेटों की संख्या को दोगुना करना उनका लक्ष्य है। लैंगिक संतुलन वाली कैबिनेट महिलाओं के लिए बेहतर फैसले भी लेती हैं। 2015 में कनाडा दुनिया का पहला देश बना था जिसने लैंगिक बराबरी वाली कैबिनेट बनाई थी। उसके अलावा इथियोपिया, सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका और रवांडा में भी संतुलित कैबिनेट हैं।

माशा


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