सरोकार : मेनोपॉज पर बात करना जरूरी

Last Updated 09 Aug 2020 12:07:15 AM IST

मेनोपॉज औरतों के लिए नये अनुभव की तरह होता है। कुछ के लिए मानसिक और शारीरिक संत्रास का कारण बनता है।


सरोकार : मेनोपॉज पर बात करना जरूरी

अब यह महिलाओं के रोजगार के लिए भी भारी पड़ रहा है। ब्रिटेन से खबर है कि मेनोपॉज से गुजरने वाली महिला डॉक्टर्स अपने काम के घंटों में कटौती कर रही हैं तो उसका असर उनकी नौकरियों पर पड़ रहा है। वे कम वेतन वाली नौकरियों को चुन रही हैं या जल्द रिटायर हो रही हैं। कारण है कि अस्पतालों में भी उन्हें सेक्सिज्म और एजिस्म यानी उम्रदराज व्यक्तियों से होने वाले भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। 
ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के एक सर्वे में पता चला है कि मेनोपॉज से गुजरने वाली महिला डॉक्टरों को सिर्फ  इसलिए मेडिसिन जैसा क्षेत्र छोड़ना पड़ रहा है कि मैनेजमेंट या सहकर्मिंयों से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता। इंग्लैंड के अस्पतालों में करीब 30,000 महिला डॉक्टरों की उम्र 45 से 55 वर्ष के बीच है। इसी अवधि में ज्यादातर मेनोपॉज होता है। इतनी बड़ी संख्या में महिला डॉक्टर काम छोड़ देंगी तो यह देश के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बुरी तरह प्रभावित करेगा। यूं इस सर्वेक्षण में 90 फीसद से ज्यादा महिलाओं ने कहा कि मेनोपॉज ने उनके काम को प्रभावित किया है, लेकिन दो तिहाई ने कहा कि उनके अपने वर्किंग पैटर्न को बदलने में मैनेजमेंट की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई। लगभग आधी औरतों ने कहा कि वे अपने शारीरिक और मानसिक बदलावों पर बातचीत करना चाहती हैं। मदद चाहती हैं,  लेकिन उनके लिए इस बारे में बात करना बहुत मुश्किल है। कई ने तो यह भी कहा कि वे इस बारे में बात करती हैं तो अस्पताल का प्रबंधन और सहकर्मी उनका मजाक बनाते हैं। बहुत-सी महिला डॉक्टरों ने कहा कि वे अपने बदलावों के बारे में बात करेंगी तो उन्हें और अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ेगा। यह माना जाएगा कि वे काम करने लायक नहीं। सिर्फ 16 फीसद ने कहा कि वे अपने बदलावों के बारे में प्रबंधन से बातचीत कर पाई हैं।

इसे दक्षिण एशियाई देशों खासकर भारत के संदर्भ में देखें तो क्या पाएंगे। यहां मेनोपॉज पर कोई ध्यान नहीं देता। यूं मेनोपॉज दुनिया की लगभग आधी आबादी को प्रभावित करता है। अमेरिका के श्रम बल में 6 करोड़ से ज्यादा औरतें 50 साल से अधिक की हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के अध्ययन से पता चलता है कि 4 फीसद के करीब भारतीय औरतों को 29 साल से 34 साल की उम्र में ही मेनोपॉज से लक्षणों का अनुभव होता है। 35 से 39 साल के बीच की 8 फीसद के करीब औरतों को ऐसा अनुभव होता है। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट कहती है कि मेनोपॉज से पहले के लक्षण भी औरतों को परेशान करते हैं। इस चरण में 50 फीसद औरतों को हॉट फ्लैश होते हैं और 40 फीसद को सही से नींद नहीं आती। बेशक, मेनोपॉज पर बात करना आसान होगा, जब उच्च पदों पर पुरु षों की बजाय, औरतों बैठेंगी। जब बहनापा नजर आएगा। अध्ययनों से पता चलता है कि औरतें अपनी सफलता का श्रेय महिला अधिकारियों को देती हैं। जब बॉस महिला होती है तो महिलाओं की तनख्वाहों में इजाफा होता है। अध्ययन यह भी कहते हैं कि बोर्ड मेंबर्स में औरतों की संख्या ज्यादा होने पर कंपनियों में औरतों को अधिक नौकरियां मिलती हैं। यह सकारात्मक चक्र है, जिसमें कार्यस्थलों पर अधिक से अधिक औरतें काम कर पाती हैं-यूं एकाध अपवाद तो हर जगह होते ही हैं।

माशा


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