युवा शक्ति : बेहतर इस्तेमाल से बनेगी बात
चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस के कहर से आज समूची दुनिया परेशान है। इस विषाणु ने अमेरिका जैसी आर्थिक महाशक्ति की चूलें हिला दी है।
युवा शक्ति : बेहतर इस्तेमाल से बनेगी बात |
समूची दुनिया का अर्थतंत्र चरमरा गया है; मगर तमाम चुनौतियों बावजूद इस विकराल संकटकाल में भी हमारा भारत सक्षम स्थिति में है। वजह है हमारा मजबूत युवा कार्यबल। युवा शक्ति के लिहाज से हमारा भारत आज दुनिया का सबसे समृद्ध देश है। वर्तमान में देश कीकुल युवा आबादी 46.9 फीसद है और इसमें से 57.2 फीसद युवा 25 साल से 40 साल के बीच के हैं। इनमें 47.4 फीसद पुरुष और 46. फीसद महिलाएं हैं। इसी युवा कार्यबल के बूते अगले दिनों जापान या चीन नहीं वरन हमारा भारत एशिया का ग्रोथ इंजन बनेगा।
जानकारों की मानें तो कोरोना बाद की दुनिया कई कारणों से भारत के अनुकूल होगी। कारण कि हमारी युवा आबादी को बीमार पड़ने का उतना खतरा नहीं है जितना कि उच्च आय वाले देशों की बुजुर्ग आबादी को है। बताते चलें की भारत सरकार द्वारा बीते दिनों जारी की गई एक रिपोर्ट भी भविष्य के युवा भारत की उजली तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक यानी अगले एक दशक में जहां चीन की युवा आबादी उसकी कुल आबादी की 22.31 फीसद और जापान की 20.10 फीसद होगी, वहीं भारत में कुल आबादी का 32.26 फीसदी हिस्सा युवाओं का होगा। देश के जाने माने अर्थशास्त्री अनीस चक्रवर्ती कहते हैं कि भारत की संभावित मानव शक्ति अगले 20 सालों में 88.5 करोड़ से बढ़कर 108 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इससे आने वाले समय में भारत की आर्थिक क्षमता बढ़ेगी तथा इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी भी बड़ी होगी। इस संदर्भ में सिलिकॉन वैली के शीर्ष उद्यमी पूंजीपति एम.आर. रंगास्वामी का भी यह कथन खासा उत्साहित करने वाला है कि भारत में ई कॉमर्स, फार्मा, प्रौद्योगिकी, कृषि, लघु उद्योग व विनिर्माण क्षेत्रों के लिए अगले दस साल स्वर्णिम रहेंगे।
आज भारत उन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के स्वाभाविक गंतव्य के रूप में उभर रहा है जो अभी तक चीन पर केंद्रित थीं। दवा से लेकर वाहनों के कलपुर्जों और परिधानों के निर्माण तक विभिन्न सेक्टरों में सक्रिय दुनिया की अनेक शीर्ष कंपनियां अब भारत में अपने उपक्रम लगाने के लिए स्थानों के चयन में जुट चुकी हैं। अमेरिका की दो सौ से अधिक कंपनियां अपने विनिर्माणकेंद्रों को भारत स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। ऐसे में भारत के पास खुद को मजबूत अर्थव्यवस्था में तब्दील करने का यह सुनहरा मौका है। इन दिनों चीनी उत्पादों के खिलाफ जिस तरह समूचे देश में प्रतिक्रियाएं दिख रही हैं, उसे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में सकारात्मक कदम माना जाना चाहिए। अगले दिनों स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी संभावनाओं को देखते हुए कौशल विकास मंत्रालय ने इन अवसरों की मैपिंग भी शुरू कर दी है। किस देश में, हेल्थ सर्विस में नये द्वार खुल रहे हैं। किस देश में, कौन से सर्विस सेक्टर में क्या डिमांड बन रही है, इससे जुड़ी तमाम जानकारी इस मैपिंग से देश के युवाओं को मिल सकेगी। एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक भारत और इंडोनेशिया जैसे सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाले देशों में हेल्थकेयर की डिमांड खूब बढ़ रही है और भारत के युवा इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। अगर इस क्षेत्र में कौशल को बढ़ाने पर काम किया जाए तो दुनिया भर को हम लाखों विशेषज्ञ दे सकते हैं। देश में श्रमिकों की स्किल मैपिंग का एक पोर्टल भी शुरू किया गया है।
यह पोर्टल स्किल्ड लोगों को, स्किल्ड श्रमिकों की मैपिंग करने में अहम भूमिका निभाएगा। खासकर जो श्रमिक, हाल फिलहाल में शहरों से अपने गांवों में गए हैं, उन्हें इससे बहुत मदद मिल पाएगी। इसी तरह इस मैपिंग पोर्टल से देश की कोस्टल इकोनॉमी भी मजबूत हो सकती हैं। आज भारत समेत पूरी दुनिया को सेलर्स की बहुत जरूरत है। बड़ी संख्या में हमारा युवा समुद्र और तटीय परिस्थितियों से परिचित है। इस मैपिंग की वजह से अब इस तरह की जानकारियां देने का काम आसान हो जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक आने वाले दिनों में कई सेक्टर्स में स्वदेशी उत्पादों के निर्माण में तेजी आएगी, जिससे इन सेक्टर्स को फायदा तो होगा ही, युवाओं को जॉब भी मिलेंगे। इसी स्वदेशी नीति के तहत ई-कॉमर्स, ई-ट्रेड और इंटरनेट से जु़ड़े हर सेक्टर में बड़े बदलाव किये जा रहे हैं। आज भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या तकरीबन 73 करोड़ है। करीब हर दूसरे हाथ में मोबाइल होने से ई-कॉमर्स, फांइनेंसियल टेक्नोलॉजी और मीडिया का पूूरा तौर-तरीका बदला दिख रहा है। यही वजह है की दुनियाभर की कंपनियां भारत के बढ़ते इंटरनेट मार्केट पर नजरें गड़ा चुकी हैं।
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