एमएसएमई की मजबूती
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई - MSME) देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी - GDP) में महत्त्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही जमीनी स्तर पर नवाचार को भी बढ़ावा देते हैं।
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एमएसएमई दिवस समारोह (MSME Day Celebration) को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश के सतत आर्थिक विकास के मद्देनजर एमएसएमई के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम अनिवार्य है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि केंद्र सरकार ने इस अनिवार्यता को समझते हुए कई नीतिगत पहल की है।
एमएसएमई के लिए वर्गीकरण मानदंडों में संशोधन, ऋण की उपलब्धता में वृद्धि, केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और केंद्रीय सार्वजनिक के उद्यमों को अपनी वाषिर्क खरीद आवश्यकताओं का कम-से-कम 35 फीसद एमएसएमई उद्यमों से प्रापण करने के लिए प्रोत्साहन, पीएम विकर्मा योजना के तहत कारीगरों के कौशल विकास जैसी तमाम पहल ने एमएसएमई उद्यमों के लिए स्थितियां उत्साहजनक बनाई हैं।
इन प्रयासों ने पंजीकृत एमएसएमई की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। साथ ही, उम्मीद जगी है कि इन पहल से देश के समावेशी विकास में एमएसएमई पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण निभाने में सक्षम और सफल हो सकेंगे। चूंकि ये उद्यम बनिस्बत कम पूंजी लागत पर अधिक रोजगार अवसरों का सृजन करते हैं, और वह भी ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, इसलिए कमजोर वगरे को सशक्त बनाने और विकास के विकेंद्रीकरण में अपनी उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं।
कहना न होगा कि इससे ये उद्यम समावेशी विकास का महत्त्वपूर्ण जरिया बन सकते हैं। जमीनी स्तर पर नवाचार में भी एमएसएमई उद्यमों की भूमिका को समझा गया है। महिलाओं को इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाए तो समाज के सर्वागीण विकास की में नई ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।
बेशक, सरकार के स्तर पर तमाम प्रयास और पहल हो रही हैं, लेकिन इस तथ्य की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि यह क्षेत्र अनके चुनौतियों का भी सामना कर रहा है।
वित्त की समस्या, कंपनियों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नवीनतम प्रौद्योगिकी की कमी, कच्चे माल, सीमित बाजार, विलंबित भुगतान और कम कुशल कार्यबल आदि समस्याओं का निदान हो सका तो यकीनन यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के विकास में अपेक्षित योगदान देगा।
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