वैश्विकी : विवाद मगर सैन्य संघर्ष नहीं

Last Updated 31 May 2020 02:25:36 AM IST

लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संभावित टकराव के माहौल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने विदेश मंत्रालय के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।


वैश्विकी : विवाद मगर सैन्य संघर्ष नहीं

ट्रंप ने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत की है और चीन के रवैये के संबंध में मोदी खिन्न हैं। ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी। ट्रंप का यह बयान भारत के प्रति उनकी सदाशयता को दर्शाता है, लेकिन भारत चीन के साथ अपने सीमा विवाद की पेचीदगी को समझता है। वह न तो बिन मांगी सलाह चाहता है और न ही बिन मांगी सहायता। चीन के विदेश मंत्रालय ने तो ट्रंप की पेशकश को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि दोनों देश सीमा पर  उत्पन्न स्थिति का खुद समाधान कर लेंगे। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त की। हालांकि उसने ट्रंप की पेशकश पर कोई सीधे टिप्पणी नहीं की। विदेश मंत्रालय ने इस मामले में खुद को अलग करने की कोशिश करते हुए सरकारी सूत्रों के हवाले से मीडिया में यह जानकारी सार्वजनिक की कि मोदी और ट्रंप के बीच हाल के दिनों में कोई बातचीत नहीं हुई है। दोनों नेताओं के बीच पिछली बातचीत अप्रैल महीने में हुई थी, जिसमें कोरोना वायरस महामारी में सहायक औषधि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की अमेरिका को आपूर्ति पर चर्चा हुई थी। प्रकारांतर से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीमा विवाद में ट्रंप की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के निर्धारण को लेकर  दोनों देश अलग-अलग राय रखते हैं। स्थानीय स्तर पर तैनात सैन्य टुकड़ियां ऐसे क्षेत्रों में आती-जाती रहती हैं जिनपर दूसरा पक्ष दावा करता है। हर साल ऐसी सैकड़ों घटनाएं होती हैं। आमतौर पर ऐसे मामलों का स्थानीय स्तर पर सैन्य अधिकारियों की बातचीत से हल कर लिया जाता है। लेकिन इस बार लद्दाख की गालवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं की गतिविधि गंभीर रूप लेती दिखाई दे रही है। गालवान घाटी क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। और कोई भी पक्ष यहां पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। चीनी सैनिकों ने यहां भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ ही नहीं की बल्कि यहां अपने शिविर भी कायम कर लिये हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि भारी सैन्य उपकरण भी सीमा की ओर जा रहे हैं तथा वायुसेना भी हरकत में आ गई है।
चीन की ओर से यह आक्रामक तेवर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने तथा राज्य के पुनर्गठन के बाद और उजागर हो गए हैं। नवगठित लद् दाख केंद्र शासित क्षेत्र में पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के कब्जे वाला अक्साई चीन क्षेत्र शामिल है। गालवान घाटी क्षेत्र में चीन का अतिक्रमण मई महीने के शुरू में उजागर हुआ था। यह वह समय था, जब कोरोना वायरस महामारी की मार झेल रहे डोनाल्ड ट्रंप वायरस को अमेरिका भेजने के लिए चीन को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में थे। पिछले कुछ दिनों के दौरान हांगकांग में नये सुरक्षा कानून को लेकर अमेरिका और चीन के बीच नया तनाव पैदा हुआ है। ट्रंप ने जहां एक ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन से नाता तोड़ने की घोषणा की वहीं दूसरी ओर हांगकांग को दिया जाने वाला विशेष दरजा भी समाप्त कर दिया। अमेरिका का कहना है कि हांगकांग के बारे में चीन ने ‘एक देश दो शासन प्रणाली’ के सिद्धांत का परित्याग कर दिया है। ऐसी स्थिति में व्यापार और निवेश के बारे में हांगकांग को विशेष सुविधाएं देने की व्यवस्था समाप्त की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है कि वे मौजूदा विवाद को कितनी जल्दी हल करते हैं। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में मोदी और राष्ट्रपति शी ऐसे नेता हैं जिन्होंने अनौपचारिक शिखर वार्ता के माध्यम से सबसे अधिक समय बातचीत में गुजारा है। इनकी वार्ताओं के नतीजों से ‘वुहान भावना’ सामने आई, जिसमें मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देने का इरादा व्यक्त किया गया है। भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के के बीच वार्ता के करीब 20 दौर हो चुके हैं। भारत की ओर से ऐसे ही वार्ताकार रहे पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एन.के. नारायणन और पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले का कहना है कि मौजूदा विवाद भी स्थानीय सैनिक स्तर और कूटनीतिक विचार से हल कर लिया जाएगा। उनका मानना है कि सीमा पर गतिरोध के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष की कोई संभावना नहीं है।

डॉ. दिलीप चौबे


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment