निवेश करार : कारोबारी जुगलबंदी के मायने
इससे रिलायंस जियो में फेसबुक की हिस्सेदारी 9।99 प्रतिशत हो जाएगी। इस कारोबारी समझौते के बाद मुकेश अंबानी फिर से एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गए हैं।
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एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2028 तक भारत में ऑनलाइन ई-कॉमर्स बाजार 200 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जो वर्ष 2018 में 30 बिलियन डॉलर का था। फेसबुक के निवेश से जियोमार्ट का गठन किया जाएगा, जिसका उद्देश्य है, कारोबारियों के लिए लाभकारी ई-कॉमर्स क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित करना। हालांकि, इस क्षेत्र में पहले से छोटे और बड़े दोनों खिलाड़ी मौजूद हैं, लेकिन जियोमार्ट के सामने इनका टिकना आसान नहीं होगा। जियोमार्ट और व्हाट्सएप मिलकर एक नई व्यवस्था विकसित करना चाहते हैं, जिसके तहत लगभग 3 करोड़ छोटे किराना दुकानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे लोग किराना दुकानों से भी ऑनलाइन सामानों की खरीदारी कर सकेंगे। इससे छोटे किराना दुकानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किराना सामान कम कीमत पर उपभोक्ताओं को मिल सकेगा। वर्ष 2019 में रिलायंस जियो ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ 10 वर्षो के लिए समझौता किया था। आज माइक्रोसॉफ्ट की भारत में व्यापक पैमाने पर उपस्थिति है। रिलायंस जियो भारत भर में डेटा केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करना चाहता है। जियो, स्टार्टअप्स को संयुक्त क्लाउड-माइक्रोसॉफ्ट ऐप आधारभूत संरचना मुफ्त में उपलब्ध कराएगा, जबकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उधमियों को यह सुविधा 1500 रुपये के मासिक शुल्क पर उपलब्ध कराएगा। फेसबुक के साथ ताजा करारनामा से उम्मीद है कि भारत में समावेशी डिजिटल क्रांति को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि फेसबुक भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
फेसबुक के साथ गठबंधन करने से रिलायंस जियो को भुगतान क्षेत्र की कंपनियों जैसे, फोन-पे, पेटीएम, गूगल-पे, अमेजन-पे आदि कंपनियों पर बढ़त बनाने में मदद मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 तक भारत में डिजिटल भुगतान में 5 गुना तक की बढ़ोतरी हो सकती है। राशि में यह 1 लाख डॉलर तक पहुंच सकता है। फेसबुक के लिए भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है और यहां इसके लगभग 32।8 करोड़ उपभोक्ता हैं। मैसेजिंग ऐप वाट्सऐप के भी लगभग 40 करोड़ उपभोक्ता हैं। एक अनुमान के मुताबिक जियोमार्ट ग्रॉसरी के दुकानों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। चूंकि, जियोमार्ट के पास पूंजी की किल्लत नहीं होगी, इसलिए यह अपना विस्तार देश के दूरदराज के इलाकों में कर सकता है। रिलायंस जियो से मुकाबला करने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि को अपने बिजनेस मॉडल और लॉजिस्टिक में बदलाव लाने की जरूरत होगी। कहा जा रहा है कि जियोमार्ट को व्हाट्सएप और फेसबुक से देश की एक बड़ी जनसंख्या का डेटा मिल जाएगा, जिसका इस्तेमाल वह अपने कारोबार को बढ़ाने में करेगा। देखा जाए तो आज डेटा सबसे बड़ी ताकत है। इसकी मदद से ग्राहकों की पसंद-नापसंद को जाना जा सकता है। तदुपरांत, विज्ञापन एवं अन्य माध्यमों से ग्राहकों की पसंद को प्रभावित किया जा सकता है। भले ही, कोरोना महामारी के कारण जियोमार्ट तुरत-फुरत अमेजन और फ्लिपकार्ट को नहीं हरा पाएगा, लेकिन लंबी अवधि में उसके लिए देश में मौजूद ई-कॉमर्स कंपनियों को हराने में परेशानी नहीं होगी।
रिलायंस जियो और फेसबुक के बीच हुए ताजा करारनामा के बाद उपभोक्ताओं की निजी जानकारियों के दुरुपयोग की आशंका बढ़ गई है। हाल ही में रिलायंस ने आर्टििफशियल इंटेलिजेंस में भारी-भरकम निवेश किया है। चूंकि, रिलायंस जियो डिजिटल मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में है, उसकी दखल आर्टििफशियल इंटेलिजेंस में भी है। इसलिए, जियोमार्ट लोगों की निजी जानकारियों का उपयोग कारोबारी फायदे के लिये कर सकता है। देखा जाए तो आज व्हाट्सऐप और फेसबुक के डेटा का उपयोग करके देश की एक बड़ी आबादी की आदत, तौर-तरीके, अभिरुचि, लोगों के राजनीतिक रु झान आदि को जाना जा सकता है। साथ ही इनका उपयोग कारोबारी फायदे और राजनीति रुख को प्रभावित करने में भी किया जा सकता है। अस्तु, रिलायंस जियो का फेसबुक के साथ हुए कारोबारी समझौते को वृहद् फलक में देखने की जरूरत है। आने वाले दिनों में इसका प्रभाव कारोबार के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में भी देखा जा सकता है।
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