बतंगड़ बेतुक : क्वारंटीन में जमाती के साथ झल्लन

Last Updated 19 Apr 2020 12:20:40 AM IST

खुद में कोरोना के कुलक्षण पाकर झल्लन खुद पर झल्लाया और खुद को लेकर सीधे क्वारंटीन सेंटर चला आया। यहां उसने अपने पास के पलंग पर एक जमाती प्रवक्ता को कसमसाते, कुड़मुड़ाते और करवटें बदलते पाया।


बतंगड़ बेतुक : क्वारंटीन में जमाती के साथ झल्लन

झल्लन समझ नहीं पाया कि यह भला इंसान बैठने की कोशिश में है, लेटने की या खड़े होने की। ये तीनों क्रियाएं इस व्यक्ति में एक साथ हो रही थीं और उसके चेहरे पर तनाव की आड़ी रेखाएं बार-बार तिरछी हो रही थीं। लग रहा था जैसे उसके पेट में तगड़ा दर्द हो रहा हो और वह दर्द को दबाने के लिए कभी लेट तो कभी खड़ा हो रहा हो। झल्लन ने सोचा क्वारंटीन धर्म निभाया जाये, इस बेचारे इंसान की तकलीफ में हमदर्दी का थोड़ा सा मरहम लगाया जाये। वह सहानुभूति से बोला, ‘भाईजान, आप पर कोरोना का असर हो रहा है या आपके पेट में दर्द हो रहा है? आप जरा डॉक्टर को बुलाइए और अपनी तकलीफ उसे बताइए।’
जमाती प्रवक्ता ने झल्लन की ओर आंखें तरेरीं और अपने मुंह पर लगे मास्क के भीतर पहले कुछ बड़बड़ाया, फिर जोर से चिल्लाया, ‘न हमारे ऊपर कोरोना का असर हो रहा है, न हमारे पेट में दर्द हो रहा है। ये लोग हमें जबर्दस्ती उठा लाये हैं, जबर्दस्ती हमें क्वारंटीन में रखवाए हैं। अल्लाह इनकी जिंदगी नर्क करेगा, जरूर इनका बेड़ा गर्क करेगा।’ झल्लन ने कहा, ‘भाईजान, यहां तो आपको आपकी हिफाजत के लिए लाया गया है। आपको कोरोना है या नहीं इसकी जांच हो जाये और अगर है तो आपकी वजह से दूसरों को कोरोना न हो पाये और आपका इलाज हो जाये।’ जमाती बोला, ‘कोरोना काफिरों को होता है, जमातियों को नहीं। जमातियों की हिफाजत खुदा करता है, काफिरों पर अजाब लाता है, उन्हीं का बुरा करता है।’ झल्लन ने कहा, ‘मगर भाईजान, मीडिया ने तो बार-बार बताया है कि कोरोना सबसे ज्यादा जमातियों ने फैलाया है।’ जमाती प्रवक्ता ने कहा, ‘मीडिया झूठ दिखा रहा है, झूठ बता रहा है, जमातियों के खिलाफ नफरत फैला रहा है।’ झल्लन ने कहा, ‘मीडिया तो वही बताता है जो सरकार बता रही है और सरकार देशभर में कोरोना फैलाने का इल्जाम जमातियों पर लगा रही है।’ जमाती बोला, ‘न किसी जमाती को कोरोना हुआ है, न किसी जमाती ने कोरोना फैलाया है। सरकार झूठ बोल रही है, अगर कोरोना किसी ने फैलाया है तो सरकार ने फैलाया है।’

झल्लन ने कहा, ‘आपकी यह बात गले से नहीं उतर रही है। सरकार जो कर रही है वह तो आपके भले के लिए ही कर रही है। जमातियों ने कोरोना फैलाया है, सबूतों के साथ इसकी ताईद कर रही है।’ जमाती बोला, ‘सरकार बहुत गंदा काम कर रही है, वह सिर्फ जमातियों को बदनाम कर रही है।’ झल्लन ने कहा, ‘सरकार न आपका बुरा चाहती है न आपको बदनाम कर रही है, जो उसे करना चाहिए वही काम कर रही है। सरकार पर उंगली उठाने के बजाय आपको खुद निकलकर आना चाहिए और कोरोना रोकने के काम में सरकार का हाथ बंटाना चाहिए। मगर आप लोग तो कहीं डॉक्टर-नसरे पर थूक रहे हैं, कहीं उन्हें मार रहे हैं और कहीं पुलिस पर डंडे चला रहे हैं तो कहीं पत्थर बरसा रहे हैं। ऐसे तो कोरोना नहीं रुक पाएगा और यही हाल रहा तो मुल्क तबाह हो जाएगा।’
जमाती बोला, ‘आप झूठ बोल रहे हैं। न जमातियों ने ऐसा कुछ किया न जमात ऐसा कुछ करवा रही है। सरकार ही लोगों को भड़का रही है, वही हमारे खिलाफ साजिश करवा रही है, वही लोगों को मरवा रही है।’ झल्लन ने कहा, ‘अगर ऐसा है तो आपके मौलाना क्यों छिपे बैठे हैं, बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं, जो सच है उसे सामने क्यों नहीं ला रहे हैं?’ जमाती बोला, ‘हमारे मौलाना सरकार के गुलाम थोड़े हैं जो सरकार के कहने पर बाहर आएंगे। वह अल्लाह का हुक्म मानते हैं, जब अल्लाह चाहेगा तब वह बाहर आएंगे और तभी सबको सच बताएंगे।’ झल्लन ने कहा, ‘तब तक तो बहुत देर हो जाएगी, देश की बड़ी आबादी कोरोनाग्रस्त हो जाएगी और फिर इसे संभालने में मुश्किल हो जाएगी।’
जमाती बोला, ‘संभालने की जिम्मेदारी सरकार की है सो सरकार संभाले, मगर हमारे मामले में हाथ न डाले। सरकार खुद तो कुछ कर नहीं पा रही है और अपनी नाकामी का सारा इल्जाम जमातियों पर लगा रही है। हम मजहबी लोग हैं, मजहब के हिसाब से चलते हैं। न सरकार की सुनते हैं न सरकार से डरते हैं।’ झल्लन ने कहा, ‘हम मजहबी आदमी नहीं हैं, मजहब के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन मजहब इंसान के जिस्म और जेहन को सुकून पहुंचाता है, इतना जरूर मानते हैं। इधर आप इंसान के जिस्म और जेहन दोनों को खतरे में डाल रहे हैं। आखिर मजहब के नाम पर यह जहालत क्यों पाल रहे हैं?’ जमाती बोला, ‘जब तुम मजहब के बारे में जानते ही नहीं हो तो तुम्हें अपनी जुबान नहीं खोलनी चाहिए। तुम्हारा भला इसी में है कि चुपचाप चुप हो जाओ और अपने पलंग पर चादर तानकर चुपचाप सो जाओ।’

विभांशु दिव्याल


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