अर्थव्यवस्था : वायरस के साइड इफेक्ट
कोरोना वायरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव दृष्टिगोचर होने लगा है। चीन में नववर्ष का अवकाश होने के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को कुछ कम नुकसान हुआ है, लेकिन इसमें बढ़ोतरी की संभावना है।
अर्थव्यवस्था : वायरस के साइड इफेक्ट |
कंसल्टेंसी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुताबिक कोरोना वायरस अगर महामारी का रूप लेती है तो वर्ष 2020 की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था पिछले साल के मुक़ाबले 4 प्रतिशत कम की दर से आगे बढ़ेगी। इस एजेंसी के अनुसार वर्ष 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था 5.6 प्रतिशत के औसत दर से आगे बढ़ेगी। कोरोना वायरस का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी उल्लेखनीय रूप से पड़ा है। इस वजह से इस एजेंसी का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.2 प्रतिशत की कम वृद्धि होगी।
चीन आज कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का बादशाह है। वह वैश्विक स्तर पर इनके कल-पुजरे का विभिन्न देशों में निर्यात करता है। चीन में ऑटोमोबाइल, मोबाइल और कंप्यूटर के कल-पुजरे का बड़ी मात्रा में निर्माण किया जाता है। ऑटोमोबाइल उद्योग पर कोरोना वायरस का नकारात्मक प्रभाव पड़ने के कारण देश में 1 अप्रैल, 2020 से लागू होने वाली बीएस-6 पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। चीन में कारोबारी गतिविधियों में आई गिरावट के कारण तेल की मांग में भी कमी आई है। एक अनुमान के मुताबिक विगत 15 दिनों में कच्चे तेल की मांग में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। लिहाजा, तेल उत्पादक देश इसकी कीमत को नियंत्रित करने के लिए इसके उत्पादन को कम करने की मांग कर रहे हैं।
कंप्यूटर, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, ऑटोमोबाइल, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे अनेकों उद्योगों की अधिकांश फैक्टरियां कोरोना वायरस के कारण अस्थायी रूप से चीन में बंद हो चुकी हैं। अभी चीन से भारत आयात किए जाने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स का 20.6 प्रतिशत, मशीनरी का 13.4 प्रतिशत, ऑर्गेनिक केमिकल्स का 8.6 प्रतिशत और प्लास्टिक उत्पादों का 2.7 प्रतिशत योगदान है, जबकि भारत से चीन निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में ऑर्गेनिक केमिकल्स का 3.2 प्रतिशत और कॉटन का 1.8 प्रतिशत का योगदान है। भारत इलेक्ट्रिकल मशीनरी, मैकेनिकल उपकरण, ऑग्रेनिक केमिकल, प्लास्टिक और ऑप्टिकल सर्जिकल उपकरणों का सबसे ज्यादा आयात करता है, जो भारत के कुल आयात का 28 प्रतिशत है। भारत चीन से सबसे ज्यादा यानी 40 प्रतिशत ऑर्गेनिक केमिकल्स का आयात करता है और इससे बने उत्पादों का निर्यात भी। भारत में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्र कंप्यूटर, खिलौने, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फार्मा हैं। इन उद्योगों के लिए कच्चे माल या कल-पुजरे का फिलहाल भारत में चीन से आयात बंद है। कुछ उत्पादों जैसे, मोबाइल और खिलौने के स्टॉक खत्म होने वाले हैं, जिनकी वजह से इन उत्पादों की भारत में कालाबाजारी की जा रही है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संबंधित क्षेत्रों को मामले में सतर्क रहने के लिए कहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि जरूरी वस्तुओं की कालाबाजारी पर नियंत्रण रखने का हरसंभव कोशिश की जाए और कारोबारी कृत्रिम संकट पैदा करने से बाज आएं।
कोरोना वायरस से विनिर्माण, परिवहन, मशीनरी विनिर्माण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा सकता है। भारत इन वस्तुओं का चीन से 73 अरब डॉलर का आयात करता है, जबकि भारत का कुल आयात 507 अरब डॉलर का है। भारत चीन को अपने कुल निर्यात का महज 5 प्रतिशत ही निर्यात करता है। भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसम्बर के दौरान चीन से 3,65,377 करोड़ रुपये का आयात किया था, जबकि समान अवधि में 91,983 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। इस प्रकार, वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से दिसम्बर के दौरान भारत को चीन के साथ कुल 2,73,394 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ था।
ऐसे में कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस की वजह से भारत का चीन के साथ होने वाले आयात और निर्यात दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन आयात पर प्रभाव ज्यादा पड़ सकता है, क्योंकि भारत चीन से निर्यात की जगह आयात ज्यादा करता है। भारत में भले ही चाइनीज सामानों के बहिष्कार की बात कही जाती है, लेकिन भारत के बहुत सारे उद्योग कच्चे माल एवं कल-पुजरे के लिए चीन पर निर्भर हैं। चीन से आयात बंद होने पर भारत के कई उद्योग बंद हो सकते हैं। इसके लिए सरकार को संजीदगी से सोचने की जरूरत है।
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