मां-पिता की सेवा : पूरे देश में हो समान कानून

Last Updated 20 Jun 2019 06:50:29 AM IST

बिहार सरकार ने हाल ही में एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई संतान अपने मां-बाप की सेवा नहीं करेगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा।


मां-पिता की सेवा : पूरे देश में हो समान कानून

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में राज्य कैबिनेट ने हाल ही में इससे जुड़े कानून को मंजूरी दे दी है। बिहार सरकार के इस फैसले के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राज्य कैबिनेट को मां-बाप की सेवा से संबंधित कानून को मंजूरी देनी पड़ी? दरअसल, राज्य सरकार ने एक सर्वे रिपोर्ट के सामने आने के बाद कानून बनाने की दिशा में पहल की है। सर्वे में माता-पिता की बदतर हालात सामने आई थी। भले ही यह सर्वे बिहार में किया गया हो और वहां बुजुर्ग माता-पिता की हालात खराब बताई गई हो लेकिन ऐसा लगता है कि इस तरह के मामलों से देश का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रह गया है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक बहू अपनी बुजुर्ग सास को पीटती नजर आ रही थी। यह घटना देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा की थी। वीडियो में दिखने वाली यह घटना हमारे जेहन में कई सवाल पैदा करती है कि क्या हमारे समाज का युवा बुजुगरे को लेकर इतना असंवदेनशील होता जा रहा है कि वह उनकी पिटाई भी कर सकता है? वर्तमान समय में सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में इस तरह की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। हाल में एक और खबर सामने आई थी, जिसमें लखनऊ के एक बुजुर्ग दंपति ने अपनी बहू के अत्याचार से परेशान होकर आशा ज्योति केंद्र में न्याय की गुहार लगाई थी। दंपति ने बहू पर चप्पल से मारने का आरोप लगाया था। जब माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं और अपनी देखभाल करने में सक्षम नहीं होते तब हम उन्हें बोझ मानने लगें, उनकी अनदेखी करें या पिटाई करें यह बिल्कुल गलत बात है। ऐसी घटनाएं सिर्फ  अक्षम या लाचार माता-पिता के साथ ही देखने को नहीं मिलतीं, बल्कि पेंशनभोगी अभिभावकों के साथ भी ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।

गाहे-बगाहे मीडिया और सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें सामने आती हैं, जब मां-पिता को न्याय के लिए अपने ही बच्चों के खिलाफ न्यायालय तक का रुख करना पड़ता है। आमतौर जब कोई कानून बनता है तो हम उसके दुरुपयोग को लेकर भी चिंतित हो जाते हैं। हालांकि, इस मामले में इसके बेजा इस्तेमाल की आशंका नहीं के बराबर है। ऐसा नहीं लगता है कि कोई मां-बाप जानबूझ कर या अपने बच्चों को परेशान करने के इरादे से इस कानून का सहारा लेंगे। हाल में समाज में बढ़ती असहिष्णुता और भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने कर्तव्यों से भागने लगे हैं। ऐसे में वह न सिर्फ  अपने माता-पिता की अनदेखी करते हैं बल्कि उनके साथ र्दुव्‍यवहार और मारपीट तक भी करते हैं। ऐसी घटनाओं को देखने और सुनने के बाद रूह कांपना स्वाभाविक है। मां-पिता के साथ होने वाले इस तरह के व्यवहार के दौर में बिहार सरकार का फैसला निश्चित रूप से आस जगाने वाला फैसला है। शायद यह बिहार सरकार की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि उसने मां-बाप के दुखों को समझा और इसके लिए सामने आने तक की पहल की। हमें नहीं भूलना चाहिए कि आज के बदले सामाजिक परिवेश में अपने बच्चों को परवरिश देने वाले माता-पिता को सामाजिक सम्मान के साथ-साथ देखभाल की सख्त जरूरत होती है। बिहार सरकार के इस कानून में व्यवस्था की गई है कि माता-पिता की सेवा करना संतान के लिए अनिवार्य होगा।
सरकार का कर्तव्य सिर्फ कानून-व्यवस्था और बिजली-पानी जैसे मुद्दों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। सरकार को सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए भी सतत प्रयास करते रहना चाहिए। समय के साथ-साथ समाज में कई बुराइयों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। उन बुराइयों में मां-बाप की देखभाल नहीं करना, उन्हें बोझ मानना, उनके साथ र्दुव्‍यवहार करना और उनके साथ मारपीट करना भी शामिल है। यह एक सर्वव्यापी बुराई के रूप  में सामने आई है और इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने की दिशा में बिहार सरकार ने एक अच्छी पहल की है। ऐसे में दूसरे राज्यों को भी बिहार की तर्ज पर काम करना चाहिए। अगर कोई दूसरा राज्य भी इस तरह का कोई प्रयास करता है तो निश्चित रूप से उसका स्वागत होना चाहिए। ऐसे मामलों में सिर्फ  राज्य सरकारों को नहीं बल्कि केंद्र सरकार को भी पहल करनी चाहिए।
केंद्र सरकार को मां-बाप की देखभाल के लिए सख्त एवं कठोर कानून बनाना चाहिए और उनके अनादर करने जैसी सामाजिक बुराई को दूर करना चाहिए। वहीं, एक जागरूक नागरिक होने के कारण हमें नहीं भूलना चाहिए कि ऐसी घटनाएं एक जहर की तरह होती है, जिसका प्रभाव तेजी से फैलता है। ऐसे में अगर समाज में कोई अपने बुजुर्ग अभिभावकों के साथ कोई र्दुव्‍यवहार करता है तो निश्चित रूप से उसे रोका जाना चाहिए। इस तरह के अ-संस्कारी आचरण करने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए ताकि आने वाले दिनों में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।

चंदन चौधरी


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