वैश्विकी : काशी में प्रवासी, कुंभ में पुण्य

Last Updated 20 Jan 2019 06:06:28 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सक्रिय विदेश नीति में देश की हाई पॉवर (रणनीतिक और आर्थिक) और सॉफ्ट पॉवर (संस्कृति, योग ओैर अध्यात्म) का अनोखा संगम कायम किया है, जिसका एक उदाहरण देश की सांस्कृति राजधानी वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन है।


वैश्विकी : काशी में प्रवासी, कुंभ में पुण्य

वैसे तो राजधानी दिल्ली के बाहर पहले भी ऐसे आयोजन हो चुके हैं, लेकिन वाराणसी के इस कार्यक्रम का अलग ही महत्त्व है।

निस्संदेह नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल में दुनिया भर में फैले भारतवंशियों को देश की विकास यात्रा में भागीदार बनाने में भी बहुत सफलता अर्जित की है। उनकी हर विदेश यात्रा में वहां के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से मिलने का कार्यक्रम तो था ही, साथ ही भारतवंशियों के साथ संवाद करना भी उनके कार्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा रहा है। इससे भारतवंशियों में एक नये ढंग का आत्मविश्वास और भारत के प्रति फिर से रागात्मक लगाव पैदा हुआ। विभिन्न देशों के राजनीतिक परिदृश्य में भी मतदाता के रूप में भारतवंशियों को विशेष महत्त्व मिलने लगा। स्वयं नरेन्द्र मोदी को घरेलू राजनीति में इसका बहुत फायदा मिला। अपनी चुनाव सभाओं में भी वह अक्सर इसको दोहराते नहीं थकते कि दुनिया में आज भारत का डंका बज रहा है।

इस वर्ष देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में 21, 22 और 23 जनवरी को होने जा रहे ‘प्रवासी दिवस’ पर दुनिया भर से करीब 10 हजार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विदेशी मेहमानों को भी काशी की संस्कृति, साहित्य, संगीत, नृत्य और अन्य ललित कलाओं को प्रत्यक्ष देखने का अवसर मिलेगा। सभी जानते हैं कि वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र है और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह चुनावी साल है। जाहिर है कि वह चाहेंगे कि हजारों काशीवासी इस वैश्विक घटना की साक्षी बनें। इसलिए उनकी देख-रेख में ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के आयोजन की जो रूप रेखा बनी है, उसमें नगरवासियों के साथ-साथ विदेशी मेहमानों को भी शामिल किया गया है। रूपरेखा के मुताबिक विदेशी मेहमान वाराणसी में प्रवासी सम्मेलन में भाग लेने के बाद 24 जनवरी को प्रयागराज में लगे कुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र नदियों के संगम में स्नान करेंगे और इसके बाद 25 और 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली पहुंचेंगे, जहां गणतंत्र के अवसर पर निकलने वाली परेड में शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक मोच्रे पर नये-नये अन्वेषण करते रहते हैं। अपनी इस प्रयोगधर्मिता को एक नया आयाम देते हुए उन्होंने इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सायरिल रामपोसा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। पिछली बार उन्होंने इस अवसर पर ब्रूनेई, फिलीपीन्स, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलयेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, म्यांमार, थाईलैंड और लाओस के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था। आसियान देशों के 10 राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करके मोदी ने इस क्षेत्र में भारत को मुख्य सुरक्षा संतुलनकारी शक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश की थी। इसी तरह, 2017 संयुक्त अरब अमीरात के राजकुमार मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान, 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा होलांद और 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को आमंत्रित करके सॉफ्ट कूटनीति को विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाया था।

योग भारत के सॉफ्ट पॉवर का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। अगर आज 21 जून की योग दिवस के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है तो इसका श्रेय भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। योग एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया है, जिसको अपनाने से किसी भी व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक लाभ होता है। दुनिया के करीब 170 देशों के लोग 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाते हैं और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लेते हैं। इस दृष्टि से यह भारत और विशेषकर नरेन्द्र मोदी की बहुत बड़ी उपलब्धि है। यानी विदेश नीति के स्तर पर देखा जाए तो इसे भारत की वैश्विक स्वीकृति के रूप में देखा जा सकता है। वाराणसी अपनी समृद्ध प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के कारण सॉफ्ट पॉवर का उद्गम स्थल है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश नीति में सॉफ्ट पॉवर के रूप में कूटनीति का एक नया अध्याय जोड़ा है और पिछले पांच वर्षो में यह विदेश नीति का अटूट हिस्सा बन गया है और आगे भी बना रहेगा।

डॉ. दिलीप चौबे


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