दोस्ती में दगा कैसे दी राजदूत ने?
फिलिस्तीन का यह रवैया इस तस्वीर के सामने आते ही पूरे भारत में आक्रोश पैदा हो गया था. यह कतई अस्वाभाविक नहीं था.
फिलिस्तीन के राजदूत वलीद अबु अली ने हाफिज सईद की रैली में हिस्सा लिया. |
फिलिस्तीन के पाकिस्तान स्थित राजदूत वलीद अबु अली ने पाकिस्तान के रावलपिंडी के लियाकत बाग में जमात-उद-दावा की न सिर्फ रैली में भाग लिया बल्कि उन्होंने हाफिज सईद के साथ मंच भी साझा किया. वे हाफिज के साथ एकता दिखाते हुए हाथ मिलाकर ऊपर उठाते दिख रहे हैं. हाफिज सईद भारत में केवल मुंबई हमले का ही मुख्य सूत्रधार नहीं है, अन्य अनेक आतंकवादी हमलों के पीछे भी उसका हाथ माना जाता है. ऐसे व्यक्ति के साथ अगर भारत का दोस्त माने जाने वाले किसी देश का राजदूत इस ढंग से दिखाई पड़ता है तो सहन करना संभव नहीं है.
आखिर यही भारत है जिसने अभी एक सप्ताह भी नहीं हुए संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अमेरिका के उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जिसमें तेल अबीब की जगह यरुशलम को इस्राइल की राजधानी बनाने की बात थी. कुल 128 विरोधी देशों के साथ भारत खड़ा था. अमेरिका एवं भारत की निकटता इस समय जगजाहिर है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई सुरक्षा रणनीति में किसी एक देश को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया है और उसके बारे में सब कुछ सकारात्मक घोषित किया है तो वह है भारत. उसने हिंद प्रशांत से लेकर पूरे दक्षिण एशिया में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को स्वीकार किया है. यहां तक कि उसमें पाकिस्तान को भी सीमा पार आतंकवाद बंद करने के लिए दबाव डालने की बात की है. ऐसे देश के खिलाफ जाना एक बहुत बड़ा जोखिम था. लेकिन भारत ने ऐसा किया, क्योंकि यह हमारी संप्रभु विदेश नीति का हिस्सा है. फिलिस्तीन के बारे में भारत की विदेश नीति में एक निरंतरता है.
हालांकि बहुत सारे लोग भारत के इस रुख के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि इस्राइल हमारे पक्ष में आज हर स्तर पर खड़ा है. यह सच भी है कि वह हमें दुनिया का बेहतरीन रडार दे रहा है, मिसाइल दे रहा है, सीमा रक्षा की तकनीक तक प्रदान कर रहा है, कम सिंचाई में बेहतर खेती की तकनीक एवं प्रशिक्षण दे रहा है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं इस्राइल की यात्रा कर संबंधों को और ठोस आधार देने की कोशिश भी की. ऐसे दो देशों के खिलाफ हम गए और हमें बदले में मिला हमारे खिलाफ हिंसा फैलाने का सरेआम आह्वान करने वाले तथा उसे अंजाम दिलाने वाले आतंकवादी के साथ फिलिस्तीन राजदूत की एकता दिखाती हरकत.
भारत सरकार ने जन भावनाओं के अनुरूप फिलिस्तीन सरकार के समक्ष यह मामला उठाया. फिलिस्तीन से क्या कहा गया यह नहीं मालूम, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान के कुछ ही देर बाद फिलिस्तीन ने न सिर्फ अपने राजदूत के व्यवहार पर खेद प्रकट किया, बल्कि यह भी घोषणा कर दी कि वह पाकिस्तान से अपने इस राजदूत को वापस बुला रहा है.
फिलिस्तीन का यह कदम भारत के साथ उसकी दशकों की दोस्ती के अनुरूप है. इस घोषणा से हमें वाकई सुकून मिला है. इसका परिणाम यह होगा कि भारत से संबंध रखने की इच्छा रखने वाले दूसरे देशों के दूत भी हाफिज सईद के साथ खड़े होने या उसके पक्ष में कुछ बोलने से पहले सौ बार सोचेंगे.
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