वैश्विकी : काम नहीं आई यह दोस्ती

Last Updated 06 Aug 2017 07:15:19 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रूस से संबंधों को सामान्य करने के कूटनीतिक प्रयासों और आशा पर पानी फिर गया.


वैश्विकी : काम नहीं आई यह दोस्ती

शीत युद्ध की मानसिकता से अमेरिकी सांसद अभी तक उबर नहीं पाए हैं. वहां की कांग्रेस (संसद) के ऊपरी सदन सीनेट ने 02 के मुकाबले 98 मतों से रूस के खिलाफ नये और पहले की तुलना में कड़े प्रतिबंधों की सिफारिश वाले विधेयक को पारित कर दिया. रूस की अर्थव्यवस्था तेल पर आधारित है. लिहाजा, इसे ध्यान में रखते हुए जो पाबंदी लगाई गई है, उसके मुताबिक, अमेरिकी निवेशक रूस के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश नहीं कर सकते. इसका असर रूसी हथियार निर्यातकों पर भी पड़ेगा. रूस और वहां के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के प्रति सकारात्मक रुख रखने वाले राष्ट्रपति ट्रंप को न चाहते हुए भी इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने पड़े. ट्रंप चाहते तो वीटो कर सकते थे, लेकिन उन्होंने भलाई इसी में समझी कि विधेयक पर हस्ताक्षर कर उसे स्वीकार लिया जाए. यदि वह ऐसा नहीं करते तो सीनेट उनके वीटो को ही खारिज कर देती और घरेलू राजनीति के कारण पहले से ही लड़खड़ा रहे ट्रंप के लिए मुश्किलें और बढ़ जातीं. नये कानून से ट्रंप के हाथ बंध गए हैं, और वह रूस के संदर्भ में विदेश नीति संबंधी कोई नई पहल नहीं कर सकते. पुतिन के प्रति उनकी सद्भावना अमल में नहीं आ सकती.
जाहिर है कि रूस के राजनयिक हलकों में इस पाबंदी की कड़ी प्रतिक्रिया हुई. वहां के प्रधानमंत्री दिमित्र मेदेवेदेव ने इस विधेयक को ‘रूस के विरुद्ध पूर्ण आर्थिक युद्ध’ तक कह दिया और अमेरिकी प्रशासन को इसके नतीजे भुगतने तक की चेतावनी भी दे दी. अभी पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश में तैनात 755 अमेरिकी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था. इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यह स्वीकारोक्ति बहुत मायने रखती है कि रूस के साथ संबंध अब तक के अपने सबसे निचले और खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके हैं. दोनों देशों के रिश्तों को इस हद तक पहुंचाने के लिए उन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. दरअसल, यह घटना ऐसे समय हुई है, जब समूची दुनिया राजनीतिक अव्यवस्था के दौर से गुजर रही है. विश्व अर्थव्यवस्था सामान्य नहीं हुई है, और दुनिया के अन्य भागों में संघर्ष के मुद्दे सिर उठा रहे हैं. जाहिर है कि आने वाले दिनों में अमेरिका-रूस की तनातनी विश्व राजनीति को भी प्रभावित करेगी.

यह घटना बतला रही है कि ट्रंप के विरोधियों ने चुनावों में अपनी उम्मीदवार हेलरी क्लिंटन की पराजय का मानो बदला ले लिया. डेमोक्रेटिक पार्टी और अमेरिका को संचालित करने वाला सत्ता तंत्र हिलेरी की हार के लिए रूस और उसके राष्ट्रपति पुतिन को जिम्मेदार मानता है. स्वयं राष्ट्रपति ट्रंप और उनके परिवार के लोग चुनाव प्रचार के दौरान रूस के साथ संबंधों को लेकर जांच के घेरे में हैं. यह जांच तथ्यों से अधिक घरेलू राजनीति की उठा-पटक के कारण है. अब इसका असर दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के बीच लंबी तनातनी में बदल गया है. इससे शीत युद्ध के दौर की वापसी की आशंका बनती जा रही है. ट्रंप और पुतिन के लिए यह चुनौती होगी कि वे द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर कैसे लाएं?

डॉ. दिलीप चौबे
लेखक


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