सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने की CJI की ओर जूता फेंकने की नाकाम कोशिश

Last Updated 06 Oct 2025 02:20:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में आज (सोमवार) को कार्यवाही के दौरान एक वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई - CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। यह जानकारी वकीलों ने ही दी।


यह घटना उस समय घटी जब प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए गए मामलों की सुनवाई कर रही थी।

हालांकि, जूता उनकी बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने फौरन ही उस आरोपी को पकड़ लिया और उसे बाहर ले गये। बाहर जाते वक्त आरोपी वकील ने सनातन के नारे लगाने शुरू कर दिये। इस घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा।

उन्होंने वकीलों से कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर और उसका सुप्रीम कोर्ट बार में रजिस्ट्रेशन 2011 का है। 

बताया जा रहा है कि वकील CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना पर की गई टिप्पणियों से नाराज था।

CJI ने 16 सितंबर को खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा था- जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।

जानिए क्या है मामला

मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में 16 सितंबर को भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिस पर याचिकाकर्ता ने इस फैसले पर नाराजगी जताई थी।

आरोपी वकील ने कहा था कि ये हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला है। कोर्ट ने कहा है कि प्रतिमा जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी। भक्तों को पूजा करनी है तो वे दूसरे मंदिर जा सकते हैं।

दरअसल, याचिकाकर्ता का दावा है कि यह मूर्ति मुगलों के आक्रमणों के दौरान खंडित हो गई थी और तब से यह इसी हालत में है, इसलिए श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा करने और मंदिर की पवित्रता को पुनर्जीवित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करे।

CJI ने दी थी सफाई

भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर दी टिप्पणी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।

बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को एंटी-सोशल मीडिया कहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरह से दिखाया गया है।

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा कि CJI के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाए गए बयान झूठे हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है।

18 सितंबर को ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।

मेहता ने कहा था कि न्यूटन का नियम है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो रही है।

वहीं, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताई और कहा कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को रोज दिक्कत उठानी पड़ती है।

विश्व हिन्दू परिषद के नेता बोले- सबका कर्तव्य है वाणी पर संयम रखना विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक्स पर लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे वरन और मजबूत हो। हम सब का यह भी कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें। विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर। यह जिम्मेदारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है।

समयलाइव डेस्क
नयी दिल्ली


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