हिमाचल : गुड़िया को इंसाफ कब?
गुड़िया हम शर्मिदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में इन दिनों चारों ओर यही नारा गूंज रहा है.
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हर जुबां पर गुड़िया के साथ हुए बर्बर गैंगरेप और बेरहम र्मडर की चर्चा है. इस शर्मनाक वारदात के बाद से शांत, सुंदर और सौम्य हिमाचल प्रदेश अशांत है..माताएं और बहनें अंदर से आहत हैं. हर बेटी खुद को गुड़िया से जुड़ा महसूस कर रही है. हर मां गुड़िया में अपनी बेटी का अक्स देख रही है. उसके मन में डर घर कर गया है कि गुड़िया के साथ दरिंदों ने जैसी घिनौनी हरकत की बदकिस्मती से वैसा अगर उनकी बेटी के साथ हो गया तो क्या होगा? यही वजह है कि आज हिमाचल की हर बेटी, हर मां और हर महिला सड़कों पर उतरी है.
निर्भया गैंगरेप के बाद जैसा गुस्सा राजधानी दिल्ली और पूरे भारत में देखा गया था, ठीक वैसी ही स्थिति आज हिमाचल में है. देवभूमि हिमाचल को शर्मसार कर देने वाली गुड़िया गैंगरेप और र्मडर की घटना बीते 4 जुलाई की है. शिमला जिले की कोटखाई तहसील के एक गांव में 14 साल की एक लड़की (काल्पनिक नाम गुड़िया) शाम चार बजे अकेले स्कूल से घर लौट रही थी. रास्ते में उसके सामने एक गाड़ी रु की और लिफ्ट ऑफर की गई. गुड़िया गाड़ी में बैठ गई क्योंकि उसमें पहले से बैठे एक शख्स को वह पहचानती थी. मासूम गाड़ी में सवार बाकी पांच दरिंदों के मंसूबों को भांप नहीं पाई. धुत वहशी दरिंदे उसे अपने एक ठिकाने पर ले गए. उसके साथ दो दिनों तक गैंगरेप किया गया. दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए न सिर्फ गुड़िया की इज्जत तार-तार की गई बल्कि उसकी टांगें तक तोड़ डाली गई. सबूत मिटाने की एवज में उसे मौत के घाट तक उतार दिया गया. लाश को स्कूल से महज एक किलोमीटर दूर नाले में नग्नावस्था में फेंक दिया.
शुरु आती पुलिस जांच में 6 आरोपितों द्वारा इस कुकृत्य को अंजाम देने की बात सामने आई. चौंकाने वाली बात निकली कि आरोपित अमीर और रसूखदार पहाड़ी शहजादे ही थे. मामले में तब नया मोड़ ले लिया जब पुलिस ने असली आरोपितों की जगह नेपाली और गढ़वाली मूल के लोगों को गिरफ्तार किया. पीड़िता के माता-पिता को मुंह बंद रखने के लिए करोड़ों रुपये ऑफर किए गए. संवेदनशील मामले में पुलिस के ढीले रवैये से जनाक्रोश उपजा. लोग सड़कों पर उतरे. थाने में आग लगा दी. इस केस को लेकर हिमाचल की सियासत भी पूरी तरह गरमाई हुई है. सत्तारूढ़ कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार ने पहले मामले को हल्के में लिया. एसआईटी को जांच सौंपी गई, लेकिन बढ़ते जनाक्रोश के बाद उसे सीबीआई जांच की सिफारिश करनी ही पड़ी. यही नहीं मामले को डील करने को लेकर कांग्रेस दोफाड़ नजर आती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू खुलेआम मीडिया, सरकार और पुलिस की आलोचना कर चुके हैं. रही सही कसर विपक्षी बीजेपी पूरा कर रही है. राजधानी शिमला समेत तहसील स्तर पर रोजाना प्रदर्शन कर रही है. पार्टी हिमाचल बंद और शिमला बंद का आह्वान कर मामले को गर्माए रखना चाहती है. बीजेपी वीरभद्र के इस्तीफे की मांग कर रही है.
दूसरे ओर, हिमाचल हाई कोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई की एसआईटी से कराने के आदेश दिए. वीरभद्र सिंह बैकफुट पर है. गुड़िया गैंगरेप मामले का हिमाचल की सियासत पर असर अवश्यंभावी है. प्रदेश में इसी साल अक्टूबर-नवम्बर में चुनाव होना है. बीजेपी मिशन 50+ को लेकर पहले ही परिवर्तन यात्राओं और त्रिदेव सम्मेलनों का एक चक्र पूरा कर जनता के बीच है. वहीं कांग्रेस भी 18 जुलाई से पूरे प्रदेश में पथ यात्रा पर निकली है. लेकिन गुड़िया गैंगरेप मामले के बाद बैकफुट पर है. कांग्रेस कार्यकर्ता भी पूरे मामले पर लाजवाब हैं. जनता खासकर आम महिलाएं बेटियों की सुरक्षा को लेकर नेताओं से तीखे सवाल पूछ रही हैं. इसका सीधा जवाब कांग्रेस नेताओं को भारी पड़ रहा है.
पूरे आसार हैं कि विधान सभा चुनाव तक बीजेपी इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने में मूड में नहीं है ताकि पहले से ही आय से अधिक संपत्ति के कानूनी पचड़े में फंसे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा सके. बहरहाल, हिमाचल प्रदेश की जनता को इंतजार सीबीआई की जांच की रिपोर्ट आने का है क्योंकि जनता गुड़िया गैंगरेप और र्मडर मामले के असली गुनहगारों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे और फांसी के फंदे पर लटके हुए देखना चाहती है.
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