क्रिकेट : कोहली वाकई ‘विराट’ हैं
विराट कोहली के रिकार्ड बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है और अब वह कप्तानी की कला में भी पारंगत होने लगे हैं.
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विराट नैसर्गिक रूप से आक्रामक स्वभाव के हैं, इसलिए संयम से उनका कोई गहरा वास्ता नहीं रहा है. एक युवा आक्रामक स्वभाव के साथ महत्त्वाकांक्षी भी हो तो वह चाहता है, हर काम फटाफट हो जाए. यही स्थिति विराट की भी रही है. लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे अपने स्वभाव में धैर्य को भी शामिल कर लिया है.
आप इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीजों को देखें तो लंबी साझेदारियां चलने पर विराट पर गुस्सा हावी होने लगता था और एक आदि बार तो उन्होंने गेंद मैदान में पटककर अपने गुस्से का इजहार भी किया. लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट के दौरान संयमित स्वभाव के साथ मैदान में खड़े नजर आए. विराट इस खूबी की वजह से महान क्रिकेटर के साथ महान कप्तान बनने की तरफ भी बढ़ गए हैं. सचिन तेंदुलकर की तरह ही विराट कोहली का भी रिकाडरे से गहरा नाता बनता जा रहा है.
वह ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं कि हर सीरीज में किसी-न-किसी नये रिकार्ड से जुड़ना आम होता जा रहा है. बांग्लादेश पर जीत के साथ ही वह लगातार छह टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए हैं. इससे पहले 2008 से 2010 के बीच टीम इंडिया ने कुंबले, धोनी और सहवाग की कप्तानी में पांच सीरीज जीती थीं. यह सही है कि इन सीरीजों को जिताने में अिन और रविंद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी ने खासा योगदान किया है. अिन ने पिछले 20 टेस्ट में 127 और जडेजा ने 100 विकेट हासिल किए हैं. इस प्रदर्शन की वजह से ही अिन आस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली के रिकार्ड को तोड़कर सबसे तेजी से 250 टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं. विराट अपनी कप्तानी में 19 टेस्ट से अजेय बने हुए हैं.
इसमें उनका खुद का भी शानदार योगदान है. वह पिछली चार सीरीज में दोहरा शतक ठोककर आस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज और राहुल द्रविड़ के तीन दोहरे शतक के रिकार्ड को तोड़ने में सफल हो गए हैं. इसके अलावा उन्होंने गावस्कर के लगातार 18 टेस्ट में अजेय रहने के रिकार्ड को तोड़कर 19 टेस्ट से टीम इंडिया को अजेय बनाया हुआ है. पर इन दोनों प्रदर्शनों में जबर्दस्त अंतर है. विराट ने 19 टेस्ट में से 15 जीते हैं और चार ड्रा खेले हैं, जबकि गावस्कर ने 18 टेस्ट में छह जीते थे और 12 ड्रा खेले थे. लेकिन विराट अजेय रहने के विश्व रिकार्ड को अपने नाम करना चाहते हैं तो वेस्ट इंडीज के 1982 से 84 के बीच लगातार 27 टेस्ट में अजेय रहने के रिकार्ड को पार करना होगा. अिन घरेलू सीरीजों में लगातार चमकदार प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं.
लेकिन उन्हें शेन वार्न, मुथैया मुरलीधरन और अनिल कुंबले की जमात में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज में भी विकेट लेना सीखना होगा. हां, इतना जरूर है कि वह बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, इसलिए श्रीलंका के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर समरवीरा की इस बात पर भरोसा होने लगता है कि अिन यदि सात-आठ साल अपने का फिट रखकर खेलते रहे तो उनके विकेट 800 के पार जा सकते हैं. अिन के साथ ही जडेजा ने भी अपने के उच्चस्तरीय स्पिनर के तौर पर विकसित किया है और कम-से-कम भारत में खेलते हुए किसी भी बल्लेबाज के लिए इस जोड़ी से पार पाना आसान नहीं है.
टीम इंडिया के पूर्व निदेशक रवि शास्त्री का अश्विन के बारे में कहना है कि इस स्पिनर का दिमाग एस्ट्रानॉट वाला है. वह मैदान में उतरते ही माहौल को भांप लेते हैं और फिर उसी के हिसाब से गेंदबाजी करते हैं. वह कहते हैं कि वह बल्लेबाज के दिमाग में क्या चल रहा है, इसका भी सही अंदाजा लगा लेते हैं और इस कारण ही वह सफलता पाने में कामयाब हो जाते हैं. बांग्लादेश की टीम हार जरूर गई पर उसकी प्रशंसा भी की जानी चाहिए. वह एक मजबूत टीम के तौर पर उभर रहे हैं. बांग्लादेश ने इस टेस्ट में 247 ओवर खेले. वहीं 2012 के इंग्लैंड दौरे को छोड़ दें तो इसके बाद कोई भी विदेशी टीम दोनों पारियों में 200 से ज्यादा ओवर नहीं खेल सकी है, जबकि बांग्लादेश के बल्लेबाज इस टेस्ट में 247 ओवर खेलने में कामयाब हुए. बांग्लादेश टीम को यदि जल्द-जल्द बड़ी टीमों के दौरे करने को मिलें तो कोई वजह नहीं है कि टीम बराबर से टक्कर देती न दिखे. यह टेस्ट खत्म होते ही फोकस आस्ट्रेलिया के साथ सीरीज पर शिफ्ट हो गया है.
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