Trump Tariff on India: अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने टैरिफ को लेकर दिया चौंकाने वाला बयान- वार्ता के रवैये से निराश हैं ट्रंप

Last Updated 01 Aug 2025 11:16:49 AM IST

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने गुरूवार को कहा कि भारत के साथ जारी व्यापार वार्ताओं को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और समूची व्यापार वार्ता टीम ‘‘निराश’’ हुई है।


इस बीच, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना द्विपक्षीय संबंधों में परेशानी का कारण बन गया।
 

बेसेंट की टिप्पणी ट्रंप की तरफ से भारतीय उत्पादों पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत सीमा शुल्क के अलावा जुर्माना लगाने की घोषणा के एक दिन बाद आई है। इसके बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर जारी वार्ता पर भी असमंजस की स्थिति बन गई है। दोनों देश व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत कर चुके हैं।

अमेरिकी वित्त मंत्री ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा, “मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा। यह भारत पर निर्भर करता है। भारत बातचीत के लिए जल्दी आया था लेकिन उसने चीजों को धीमा कर दिया। राष्ट्रपति और पूरी व्यापार टीम इस रवैये से निराश हुई है।”

बेसेंट ने कहा कि भारत प्रतिबंधित रूसी तेल का बड़ा खरीदार रहा है और उसे रिफाइन किए गए उत्पादों के रूप में दोबारा निर्यात करता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “वह (भारत) वैश्विक मंच पर अच्छा साझेदार नहीं रहा है।”

वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों को जारी रखने में मदद कर रहा है और यह भारत-अमेरिका संबंधों में ‘‘निश्चित रूप से परेशानी का कारण’’ बना हुआ है।

रुबियो ने ‘फॉक्स रेडियो’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘देखिए, भारत वैश्विक व्यापार में एक सहयोगी है। यह एक रणनीतिक साझेदार है। विदेश नीति में आप हर समय हर मामले में 100 प्रतिशत एकमत नहीं हो सकते।’’

रुबियो से पूछा गया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने और रूसी सैन्य उपकरण व ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा किए जाने को वह कैसे देखते हैं तथा भारत के इस कदम से अमेरिका कितना निराश है।

रुबियो ने माना कि भारत की ‘‘ऊर्जा की जरूरतें बहुत अधिक हैं और इसमें तेल, कोयला, गैस और अन्य चीजें खरीदने की क्षमता शामिल है। हर देश की तरह भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए ऊर्जा की जरूरत है और वह इसे रूस से खरीदता है क्योंकि रूसी तेल पर प्रतिबंध है और यह सस्ता है। इसका अर्थ है कि उन्हें ऐसा करना पड़ता है। कई मामलों में प्रतिबंधों के कारण वे (रूस) इसे वैश्विक कीमत से कम पर बेच रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश, इससे रूसी युद्ध प्रयासों को जारी रखने में मदद मिल रही है। इसलिए यह निश्चित रूप से भारत के साथ हमारे संबंधों में परेशानी का एक कारण है - परेशानी का एकमात्र बिंदु नहीं। उनके साथ हमारे सहयोग के कई अन्य बिंदु भी हैं।’’

विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय आयात पर अधिक शुल्क लगाने की ट्रंप की घोषणा भारत पर दबाव बनाने की रणनीति है, ताकि वह व्यापार समझौते में अमेरिका की शर्तें मानने के लिए राजी हो जाए।भारत ने ट्रंप के इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा और प्रोत्साहन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा और शुल्क वृद्धि के प्रभावों की समीक्षा की जा रही है।

अमेरिका ने पिछले कुछ हफ्तों में जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख साझेदारों से व्यापार समझौते किए हैं।
 

भाषा
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन


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