भारत का बाजार पूंजीकरण 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना

Last Updated 22 Feb 2024 03:45:06 PM IST

विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत का बाजार पूँजीकरण (मार्केट कैप) वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 5वां सबसे बड़ा (4.5 ट्रिलियन डॉलर) है, लेकिन वैश्विक सूचकांकों में इसका भारांक अब भी 1.6 प्रतिशत (10वीं रैंक) से कम है।


भारत का बाजार पूंजीकरण

जैसे-जैसे बाजार में फ्री फ्लोट बढ़ता है और भारांक संबंधी विसंगतियां दूर होंगी और रैंकिंग मे सुधार होगा। फ्री फ्लोट उन शेयरों को कहते हैं जो आम निवेशकों के लिए खरीदने बेचने के लिए उपलब्ध होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 15-20 साल के इतिहास और नई लिस्टिंग के अनुरूप बाजार रिटर्न को देखते हुए भारत 2030 तक लगभग 10 ट्रिलियन डॉलर का बाजार बन जाएगा - बड़े वैश्विक निवेशकों के लिए इसे नजरअंदाज करना असंभव है।

पिछले 10 और 20 वर्षों में अमेरिकी डॉलर में सालाना औसत विकास दर 10-12 प्रतिशत के आसपास रही है। भारत अब पाँचवाँ सबसे बड़ा इक्विटी बाजार है और 2030 तक मार्केट कैप 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। निरंतर सुधारों से भारत की 'सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था' का दर्जा बरकरार रहना चाहिए। घरेलू प्रवाह में मजबूत रुझान ने बाजार की अस्थिरता को कम कर दिया है। एक दशक में सबसे कम विदेशी स्वामित्व से मूल्यांकन में राहत मिलती है।

जेफ़रीज़ ने कहा कि पाँच अरब डॉलर से अधिक मार्केट कैप वाली 167 कंपनियों वाला कॉर्पोरेट क्षेत्र, जिसका फोकस इक्विटी पर मिलने वाले लाभ पर है - निवेशकों को पर्याप्त विकल्प देता है।

बढ़ती उद्यमशीलता/जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र नवाचार को बढ़ावा दे रहा है। दस साल के निवेश चक्र तथा जोखिम से बचने की प्रवृत्ति अब विपरीत हो गई है और हाउसिंग अपसाइकल तथा कॉर्पोरेट डी/ई अनुपात अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 111 यूनिकॉर्न (बाजार मूल्य 350 अरब डॉलर) हैं, जो इसे अमेरिका और चीन के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न हब बनाता है।

डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार का ध्यान, विश्व स्तर पर सबसे सस्ती डेटा दरें और प्रचुर घरेलू प्रतिभा पूल प्रमुख चालक रहे हैं। भारत अब सेवा निर्यात केंद्र बनता जा रहा है। सेवाओं का निर्यात (प्रेषण सहित) अब लगभग 450 अरब डॉलर प्रति वर्ष है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बड़े वैश्विक संगठनों के 10-20 प्रतिशत कर्मचारी भारत में स्थित हैं, जिनमें जेपी मॉर्गन, इंटेल, एनटीटी आदि कंपनियां शामिल हैं। बेहतर डिजिटल इन्फ्रा, युवा और अच्छी तरह से शिक्षित मानव संसाधनों को इस सेगमेंट को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

इक्विटी पर मिलने वाले रिटर्न पर केंद्रित कॉर्पोरेट क्षेत्र अल्पसंख्यक निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक पहलू है। सूचीबद्ध इक्विटी बाजार सबसे विविध उभरते बाजारों में से एक है। नियामकों (सेबी, आरबीआई), मध्यस्थों (जिम्मेदार परिसंपत्ति प्रबंधकों) के मजबूत संस्थागत ढांचे ने एक बड़े घरेलू निवेशक आधार को विकसित करने में मदद की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सतत निवेश की आदतें घरेलू निवेशकों से इक्विटी में प्रति वर्ष 50 अरब डॉलर के प्रवाह की दृश्यता देती हैं, जिससे मूल्यांकन महंगे स्तर पर रहेगा, लेकिन बाजार में अस्थिरता भी कम होगी।

भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। पिछले 10 वर्षों में देश की जीडीपी अमेरिकी डॉलर में सात प्रतिशत की औसत सालाना दर से बढ़कर 3.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई है - 8वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। अगले चार साल में देश की जीडीपी संभवतः पाँच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे यह 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगी, जनसांख्यिकी (निरंतर श्रम आपूर्ति) मदद से सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, संस्थागत ताकत और शासन में सुधार होगा।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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