रेलवे में समूह-ए सेवा की नई शुरुआत, विभागीय खींचतान से मिलेगी मुक्ति
भारतीय रेलवे में अर्से से विभागीय खींचतान से निजात मिलने का रास्ता साफ हो गया है। भारतीय रेलवे में समूह-ए के अधिकारियों के चयन और नियुक्ति संबंधी नियम और सेवा शत्रे तय कर दी गई है।
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लिहाजा अब भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) सेवा के तहत समूह-ए के अधिकारियों के चयन और नियुक्ति का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इस समूह में चयनित अधिकारी ही रेलवे में परिचालन, व्यवसाय विकास, वित्त, बुनियादी ढांचागत विकास, ट्रैक्शन और रोलिंग स्टाक विभागों की जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे रेलवे के कामकाज और विकास को लेकर विभागीय विवादों से दूर एकसमान दिशा मिल सकेगी।
दिसम्बर 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रेलवे की आठ समूह (कैडर) की सेवाओं को एक करके आईआरएमएस समूह बनाने का फैसला किया गया था। करीब दो वर्ष के बाद इस नए सेवा में समूह-ए के अधिकारियों के अधिकारियों के चयन और नियुक्ति के लिए रास्ता साफ हो सका है। अब रेल मंत्रालय अपनी जरूरत के लिहाज से संघ लोक सेवा आयोग के जरिये आईआरएमएस के समूह-ए अधिकारियों की चयन प्रक्रिया शुरू करेगा।
बीते दो वर्ष के दौरान नई सेवा समूह के नियम, सेवा-शत्रे नहीं तय हो पाने के कारण संघ लोक सेवा आयोग की ओर से समूह-ए के अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी थी। फिलहाल रेलवे में ट्रैफ्रिक, इलेक्ट्रिक, सिविल, मैकेनिकल, स्टोर, पर्सनल, फाइसेंस और मेडिकल सेवा के समूह-ए के अधिकारी कार्यरत हैं। इन अधिकारियों को उनकी वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति के लिए नियम बनाने की बात की गई थी।
वर्ष 2020 में रेलवे बोर्ड के शीर्ष स्तर पर मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार, अध्यक्ष के पद के साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी का भी नाम जोड़ दिया गया था। इसी के साथ चार सदस्य बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। पहले हर विभाग ने रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के शीर्ष अधिकारी बतौर सदस्य होते थे। वर्ष 2020 में सदस्यों की संख्या कम करके केवल चार कर दी गई। नए स्वरूप में रेलवे बोर्ड में अध्यक्ष-सीईओ, सदस्य परिचालन/सदस्य व्यवसाय विकास, सदस्य वित्त, सदस्य इंफ्रास्ट्रक्चर और सदस्य ट्रैक्शन/रोलिंग स्टॉक बनाए गए हैं।
रेलवे में नए सेवा समूह से पहले आठ सेवा समूहों के कारण शीर्ष स्तर लिये जाने वाले निर्णयों में एक समानता नहीं आती थी। विभिन्न सेवा समूहों के अधिकारियों की ओर अपने समूह के पक्ष में प्रस्ताव करने के कारण निर्णय नहीं होता था। इससे रेलवे के विकास और कामकाज में विलंब होता था। कई बार जरूरी और रेलवे के हित में लिये जाने वाले निर्णय विभागीय टकराव के कारण अर्से तक लंबित रहते थे अथवा उन पर अमल नहीं हो पाता था।
लेकिन अब नए सेवा समूह में चयनित होने वाले समूह-ए के अधिकारी सभी विभागों को कामकाज अपनी वरिष्ठता के अनुसार संभालेंगे और उनमें पदोन्नति को लेकर कोई टकराव नहीं होगा। नए समूह में अधिकारियों के चयन को लेकर सभी नियम तय किए गए हैं। रेलवे बोर्ड में और जोनल में कितने अधिकारी किस स्तर के होंगे उनकी संख्या, वेतनमान, पदोन्नति आदि के सभी प्रावधान किए गए हैं। इससे यह अब रेलवे में एक समूह के अधिकारियों के चयन और उनकी नियुक्तियों को सिलसिला शुरू हो जाएगा।
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