भ्रामक विज्ञापन देने पर अब जाना होगा जेल, 20 जुलाई से लागू होगा नया कानून

Last Updated 19 Jul 2020 09:16:32 PM IST

भ्रामक विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करना अब किसी वस्तु के विनिर्माता व सेवा प्रदाता के लिए महंगा पड़ सकता है, क्योंकि नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में इसके लिए 10 लाख रुपये तक जुर्माना और दो साल कारावास की सजा का प्रावधान है।


केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान

कानून के जानकार बताते हैं कि भ्रामक विज्ञापन करने पर मशहूर हस्तियों को भी नहीं बख्शा जाएगा और इसके लिए उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। नया उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 अगले सप्ताह 20 जुलाई से देशभर में लागू होने जा रहा है, जो उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 की जगह लेगा। नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में विवादों के त्वरित निपटारे के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का प्रावधान है।

करीब 34 साल बाद नई शक्ल में आने वाले उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 के अध्याय-7 में अपराध और दंड का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि कोई विनिर्माता या सेवा प्रदाता अगर झूठा या भ्रामक विज्ञापन देता है तो इसके लिए दो साल कारावास की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।

सजा का यह प्रावधान पहली बार भ्रामक व झूठा विज्ञापन का दोषी पाए जाने पर है। जबकि अगली बार भी दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कारावास की सजा और 50 लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है।

कोलकाता उच्च न्यायालय की अधिवक्ता दिशा शुक्ला ने आईएएनएस से कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में उपभोक्ता के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है और झूठे व गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नये कानून के लागू होने पर फिल्म जगत के अभिनेता, अभिनेत्री समेत तमाम मशहूर हस्तियां किसी कंपनी के उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए अनुबंध करने से पहले उत्पाद की गुणवत्ता को जरूर परखेंगे क्योंकि भ्रामक विज्ञापन देने पर उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।

हालांकि केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने पिछले ही साल एक टीवी कार्यक्रम के दौरान सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का संदेह दूर करते हुए कहा था कि अगर सेलिब्रिटी विज्ञापन में वही पढ़ते हैं, जो उनको लिखकर दिया जाता है तो उनको फिर घबराने की जरूरत नहीं है।

अगर कोई नये उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 20 और 21 के तहत केंद्रीय प्राधिकरण के निर्देशों का अनुपालन नहीं करता है तो उसे छह महीने जेल की सजा या 20 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकता है।

कानून में मिलावटी व खतरनाक वस्तु बनाने और बेचने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अगर ऐसे उत्पाद से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में छह महीने तक जेल की सजा और एक लाख रुपये तक जुमार्ना का प्रावधान है।

उपभोक्ताओं को मिलावटी वस्तु से जब नुकसान होता है, लेकिन गंभीर नुकसान नहीं होता है तो उस स्थिति में एक साल तक जेल की सजा और तीन लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

लेकिन जब ऐसी वस्तु से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो वैसी स्थिति में सात साल तक जेल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

नये उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, मिलावटी व खतरनाक वस्तु के कारण अगर उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो ऐसी वस्तु बनाने वाले या बेचने वाले को कम से कम सात साल की जेल की सजा होगी, लेकिन उसे बढ़ाकर उम्रकैद तक की जा सकती है। साथ ही, जुर्माना भी 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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