कोरोना की लड़ाई अर्थव्यवस्था ने कमजोर बनाई

Last Updated 09 Jun 2020 03:59:35 AM IST

कोरोना के मामले बढ़ने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य और जिला स्तर पर माइक्रो प्लानिंग और निगरानी के दो महीने पुराने मॉडल को बदलने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।


कोरोना की लड़ाई अर्थव्यवस्था ने कमजोर बनाई

महामारी पर काबू पाने के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग और जिला कंट्रोल रूम सरीखी जो व्यवस्था वि स्वास्थ्य संगठन की सलाह से बनाई गई थी वह सार्वजनिक स्थान और कार्यस्थल खोले जाने के बाद चरमरा गई है।
यह देखने में आ रहा है कि जो जिला कलक्टर पहले अपना शतप्रतिशत ध्यान कोरोना पर दे रहे थे अब वह अर्थव्यवस्था की खातिर कारोबार शुरू कराने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि जिला स्तर पर विभिन्न विभागों का जो सरकारी अमला कोरोना के रोगियों को तलाशने व अन्य कामों में स्वास्थ्य विभाग की मदद कर रहा था,अब अपने को उससे अलग करने लग गया है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि इसकी वजह से कंटेनमेंट जोन में पहले जैसी सख्ती बनाए रखना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के स्वास्थ्य विभाग से कह रहा है कि अब उन्हें अपने स्तर से अस्पतालों और कोरोना के संभावित रोगियों को तलाशने की व्यवस्था देखनी चाहिए।
इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना से लड़ने के लिए जो संसाधन जुटाए गए थे, उनको आगे जिला प्रशासन की बजाय स्वास्थ्य विभाग संभालेगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में महामारी को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय का संवाद जिला कलक्टर की बजाय प्रदेश और जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से हुआ करेगा।

अजय तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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