विदेशी निवेश नियमों पर विशेषज्ञों ने खारिज किया चीन का ऐतराज

Last Updated 22 Apr 2020 01:46:50 AM IST

विशेषज्ञों ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ताजा संशोधन पर चीन की आपत्तियों को खारिज किया है।


विदेशी निवेश नियमों पर विशेषज्ञों ने खारिज किया चीन का ऐतराज

उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है, उसमें अपने उद्योगों को बचाना प्रत्येक देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं किया है।
इससे पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के सिद्धांतों और मुक्त व्यापार के सामान्य चलन के विरुद्ध हैं।

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विजीत धर ने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है। इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते। इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है।’

उन्होंने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी प्रावधान हैं निर्यात और आयात से जुड़े हैं। इस संबंध में उन्होंनें निर्यात में स्थानीय सामग्री की शर्त का उदाहरण दिया। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा, ‘भारत आपने आप ही आपनी एफडीआई नीति उदार करता रहा है। अपने उद्योग को बचाने का कोई निर्णय डब्ल्यूटीओ के दायरे में नहीं आता।’ जोशी ने कहा यह संकट का समय है इसमें भारत को अपने उद्योग को बचाने का फैसला करने की जरूरत है।

फिंडाक समूह के वरिष्ठ निवेश सलाहकार सुमित कोचर ने कहा कि भारत सरकार का यह नीतिगत निर्णय जवाबी है क्यों कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले भारत की वित्तीय सेवा कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (एचडीएफसी) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर एक प्रतिशत से कुछ अधिक कर ली है।

भाषा
नई दिल्ली


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