संसद से दिवाला संशोधन बिल पास

Last Updated 13 Mar 2020 04:31:14 AM IST

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता दूसरा (संशोधन) विधेयक 2020 को गुरुवार को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई। लोकसभा से इस विधेयक को पिछले सप्ताह शुक्रवार को ही मंजूरी मिल गई थी।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (file photo)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च सदन में पेश विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए घर खरीदारों और छोटे एवं मझोले उद्योगों को हरसंभव संरक्षण प्रदान करने का आश्वासन दिया। उच्च सदन में विधेयक पर लगभग डेढ़ घंटे तक चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। संसद के दोनों सदनों से इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बनने पर संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा।

इससे पहले सीतारमण ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन पटल पर पेश करते हुए कहा कि संबंधित अध्यादेश की अवधि गुरुवार मध्यरात्रि को समाप्त हो रही है। इसके मद्देनजर उन्होंने इस विधेयक को आज ही चर्चा कर पारित करने का सदन से अनुरोध किया। चर्चा के दौरान अधिकतर सदस्यों ने दिवाला और शोधन संहिता (आईबीसी) में बार बार संशोधन करने पर सवाल उठाते हुए सरकार से छोटे उद्योगों के हितों का संरक्षण नहीं हो पाने पर चिंता जताई।

कांग्रेस के जयराम रमेश ने विधेयक के बारे में संसदीय समिति की सिफारिशों को सरकार द्वारा नजरंदाज किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे कंपनियों के दिवाला होने का खतरा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर पहले से ही संकट से गुजर रहे छोटे उद्योगों पर पड़ेगा। रमेश ने कहा कि इसके बचाव का विधेयक में कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने आईबीसी में कंपनियों के विवादों से जुड़े लंबित मामलों का त्वरित निपटारा नहीं हो पाने पर भी चिंता जताई। भाजपा के महेश पोद्दार ने बार के संशोधनों को उचित बताते हुए कहा कि इससे तत्काल अनुभवों के आधार पर कमियों को दुरुस्त करने का मौका मिलता है।
तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुइयां ने कहा कि तीन साल में तीन बार अध्यादेश और चार बार कानून में संशोधन की जरूरत महसूस होने से इस विषय पर सरकार के अल्पज्ञान और कानून को लागू करने में उनकी कमी उजागर होती है। चर्चा में सपा के रविप्रकाश वर्मा, बीजद के अमर पटनायक, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, माकपा के केके रागेश, भाकपा के बिनय विस्वम, द्रमुक के पी विल्सन, वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी और आप के नारायण दास गुप्ता ने हिस्सा लिया। वित्त मंत्री सीतारमण ने आईबीसी के तहत लंबित मामलों के निपटारे की धीमी गति की आशंकाओं को गलत बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) में 31 जनवरी तक कुल पेश किए गए 64523 मामलों में से 43102 का निपटारा हो गया है।

भाषा
नई दिल्ली


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