रेल में सैलून का मजा लीजिए
देश की आजादी से पहले राजा-महाराजा रेल सफर को रोमांचक और शानदार बनाने के लिए सैलून से निकलते थे.
रेल में सैलून का मजा लीजिए |
इसके बाद अंग्रेजों ने फिर आजादी के बाद सैलून की सवारी रेलमंत्री और रेल अधिकारियों के लिए हो गयी. रेलवे के अधिकारी सैलून को अपने विभागीय कार्यो के लिए उपयोग में लाते हैं. यहां तक राष्ट्रपति के लिए सैलून की व्यवस्था है. जब राष्ट्रपति को रेल सफर पर जाना होता है तो उनके लिए सैलून की व्यवस्था की जाती है.
राष्ट्रपति का अपना सैलून होता है. यह रेलवे अपने अधीन रखता है. लेकिन अब कोई भी रेल सैलून का सफर कर सकता है. इसके लिए उसे रेलवे के फस्र्ट एसी किराया के 18 बर्थो के बराबर किराया चुकाना होगा. इसकी बुकिंग भी आसान है. बिना माथा-पच्ची के आईआरसीटीसी के माध्यम से कराया जा सकता है.
जाहिर है पर्यटन के हिसाब से रेल सफर को रोमांचक बनाने के लिए पैलेस ऑन व्हील और महाराजा एक्सप्रेस ट्रेनें चलती रही हैं. ये लक्जरी ट्रेनें अपने निर्धारित रूट पर चलती हैं लिहाजा इन ट्रेनों के लिए बहुत ज्यादा यात्री नहीं मिल पाते हैं. लेकिन अब रेलवे ने लोगों के लिए सैलून में सफर का रास्ता खोल दिया है.
इस सैलून में होटल और घर जैसी से सभी सुविधाएं मौजूद होंगी. इसमें दो बेडरूम, ड्राइंग रूम, ड्रायनिंग रूम, बाथरूम, किचन जैसी तमाम सुविधाएं होंगी. इतना नहीं सैलून में सफर करने के लिए दौरान एक अटेंडेंट भी मिलेगा, जो कि सैलून में सुविधाओं से संबंधी देखरेख करेगा.
सैलून में फस्र्ट एसी कोच की तरह छह बर्थ भी होगा. कुल मिलाकर एक परिवार के कई सदस्य और मित्रमंडली देश के किसी भी क्षेत्र में सैलून बुक कराकर रेल के शानदार सफर पर निकल सकते हैं. सैलून से यदि यात्री बाहर के नजारे को देखना चाहे तो उसे विंडो टेलिंग की सुविधा मिलेगी. सफर के दौरान किचन में खाना बनाने की सुविधा होगी.
vinodrsahara@gmail.com
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