चुनाव में धांधली का दावा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि पिछले लोक सभा चुनाव में करीब 100 सीटों पर धांधली हुई और इनमें से 15 सीटों पर धांधली नहीं हुई होती तो नरेन्द्र मोदी आज देश के प्रधानमंत्री नहीं होते।
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कांग्रेस पार्टी के विधि, मानवाधिकार एवं आरटीआई विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय विधिक सम्मेलन में राहुल गांधी ने दोहराया कि कर्नाटक में एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची में हेरफेर के जो सबूत मिले हैं, वे एटम बम की तरह हैं। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में इस बात का सबूत दिया जाएगा कि कैसे लोक सभा चुनाव में धांधली हुई। लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष पिछले कुछ दिनों से चुनाव में धांधली के दावे और आरोप लगा कर चुनाव आयोग पर हमलावर हैं।
उनका तो यहां तक कहना है कि वह तो 2014 से ही चुनाव प्रणाली को संदेह की नजर से देखते रहे हैं। उन्हें बारंबार लगा है कि प्रचंड जीत (भाजपा की) हासिल करने की क्षमता आश्चर्यजनक है। राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ, उसने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने के लिए उन्हें मजबूर कर दिया है।
तमाम आरोपों और संदेहों के बरक्स चुनाव आयोग ने ज्यादातर मौकों पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी। राहुल गांधी के ताजा दावे पर भी चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। चुनाव आयोग की चुप्पी के चलते अब विपक्ष यह बताने और साबित करने पर आमादा है कि चुनाव में धांधली को कैसे अंजाम दिया जाता है। बेशक, चुनाव आयोग के लिए प्राय: दुविधापूर्ण स्थिति दरपेश रहती है। पराजित पक्ष चुनावी धांधली का आरोप लगाने से नहीं चूकता।
ऐसे में चुनाव आयोग के लिए जरूरी हो जाता है कि तमाम संदेहों और आरोपों कर माकूल और संतोषजनक प्रतिक्रिया देते हुए स्थिति को साफ करे। उसके कार्यकलाप में कहीं से भी हड़बड़ी नहीं दिखनी चाहिए। न ही यह लगना चाहिए कि वह किसी प्रकार का पक्षपात कर रहा है।
चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है, और उसके लिए बहुत जरूरी है कि सख्ती से अपनी छवि को बनाए रखे। तभी वह चुनाव की शुचिता की अनिवार्यता को बनाए रख सकता है। जरूरी है कि चुनावी राजनीति में शिरकत करने वाले तमाम पक्षों के साथ बैठक करके उनके संदेहों का निराकरण करे। संदेहों (खासकर बेवजह के) की तो कतई कोई गुंजाइश रहने ही न पाए।
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