सोने के दाम में उछाल, लाख पार
ईरान पर इजरायल के सैन्य हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच सोने के दाम में उछाल आया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोने के दाम में 2,200 रुपये का उछाल दर्ज किया गया और यह बढ़कर 1,01,540 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
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पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के साथ ही दुनिया भर के बाजार सहम गए हैं। भारत के बाजारों पर भी इसका असर पड़ा है।
शेयर बाजारों में लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भारी गिरावट आई। चूंकि ईरान बड़ा तेल निर्यातक देश है, और उसके युद्ध में पड़ जाने के चलते तेल विपणन कंपनियों, विमानन, पेंट्स और टायर कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई। विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम में उबाल आने से भारत के प्रमुख क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत के पास आने वाले महीनों के लिए तेल एवं गैस का पर्याप्त भंडार हैं, लेकिन जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर हालात बदतर हुए तो विश्व बाजार में तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं। स्वाभाविक है, भारत इससे अछूता नहीं रहेगा क्योंकि अपनी 80 फीसद से ज्यादा कच्चे तेल की जरूरतों के लिए भारत आयात पर निर्भर है।
ईरान-इजरायल के बीच युद्ध ने सोने के दाम इस कदर उछाल दिए हैं कि उच्च स्तर का रिकॉर्ड बनाने हुए सोने के दाम एक बार फिर एक लाख रुपये के पार हो चुके हैं। इससे पहले 22 अप्रैल को सोने के भाव इस स्तर के पार निकले थे, लेकिन ताजा संघर्ष के बाद पीली धातु और चांदी के दामों ने कहीं ज्यादा संवेदनशीलता दिखाई है। चांदी के दामों में शुक्रवार को 1,100 रुपये की तेजी आई और वह 1,08,100 रुपये प्रति किलोग्राम के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई।
विश्व बाजार में में सर्राफा बाजार संवेदनशीलता दर्शा रहा है, और सर्राफा 3,440 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चला गया। बेशक, चौतरफा बिकवाली से शेयर बाजार दबाव में आए गए हैं, तो कच्चे तेल और सोने-चांदी के दामों में जबरदस्त उछाल आया है, लेकिन तेजी कहां थमेगी कहा नहीं जा सकता। लगता नहीं कि युद्धरत ईरान और इजरायल परस्पर हमले और जवाबी हमले करने से पीछे हटेंगे।
यदि ब-जिद होकर एक दूसरे पर हमले जारी रखेंगे को वैश्विक बाजार खासकर शेयर बाजार, कच्चे तेल और सर्राफा में तेजी भड़कना तय है। भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत हैं, लेकिन पश्चिम एशिया में तनाव का दंश सहना ही पड़ेगा।
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