सेहरा बांधने का वक्त
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम के बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोहराया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाक व उसके आतंकवादी संचालकों को झुकने पर मजबूर कर दिया।
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राजस्थान के बीकानेर में रैली को संबोधित करते करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘जो लोग महिलाओं के माथे से सिंदूर पोंछने निकले थे, वे धूल में मिल गए। मोदी सीना तान कर खड़ा है, मोदी का दिमाग ठंडा है मगर खून गर्म है। उन्होंने यह भी जोड़ा, अब मेरी रगों में खून नहीं, सिंदूर दौड़ रहा है।’
बीकानेर पाकिस्तान से 168 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और पड़ोसी मुल्क के पंजाब के बहावलपुर जिले के बिल्कुल सामने है। इसलिए इस इलाके के बाशिंदों को सीमा पार से होने वाले हमलों या घसपैठियों का सीधा सामना करना पड़ता है। मोदी ने स्थानीय लोगों को परमाणु खतरों से भयभीत न होने के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर बात करने की भी चर्चा की।
कहा जा सकता है कि मोदी ने दुश्मन देश के भीतर घुसकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह आंतकवाद को लेकर अपनी नीति में तब्दीली ला रहा है और मासूम देशवासियों के खून का बदला लेने में किसी की सलाह का इंतजार नहीं करने वाला। अब दिखावटी भभकियां देने का वक्त नहीं रहा। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले दुश्मन मुल्क के सैन्य प्रतिष्ठानों पर आतंकवादी संगठनों से मिलीभगत रखने के आरोप पहले ही लगते रहे हैं।
राजनीतिक अस्थिरता, लोकतंत्र पर लगने वाली खरोचें और आर्थिक ढुलमुलाहट ने पाक को भीतर से झकझोर रखा है। वह मित्र देशों के बलबूते ज्यादा देर तक भारतीय सुरक्षा बलों के समक्ष खड़ा नहीं रह सकता, इसका उसे अहसास हो चुका है। तमाम संदेहों के बावजूद मोदी के कट्टर विरोधियों ने भी इस हमले को लेकर एक सुर में अहम बताया और सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी।
लाजिमी है कि सत्ता की बागडोर संभालने वालों को संवैधानिक ढांचे का सम्मान रखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था पर सदन में गंभीर चर्चा भी करनी चाहिए। यह किसी शख्स की जीत या हार नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ चालू हुआ ऑपरेशन कहा जा सकता है।
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