ईडी को ‘सुप्रीम’ नसीहत
तमिलनाडु की खुदरा शराब कंपनी टीएएसएमएसी के खिलाफ धनशोधन की जांच की ईडी की स्वत:स्फूर्त कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ी टिप्पणी की और यहां तक कह डाला कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सारी सीमाएं पार कर रहा है और शासन की संघीय अवधारणा का उल्लंघन कर रहा है।
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राज्य सरकार और टीएएसएमएसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से दो टूक कहा, प्रवर्तन निदेशालय सभी सीमाएं पार कर रहा है। धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की सख्त धाराओं के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कई पीठ पहले भी ईडी को जमकर फटकार लगा चुकी हैं।
विपक्षी दल तो ईडी के कथित दुरुपयोग के खिलाफ अक्सर विरोध जताते ही रहते हैं। पीठ ने राज्य सरकार और टीएएसएमएसी की दलीलों पर गौर करते हुए टीएएसएमएसी के खिलाफ जांच पर फिलहाल रोक लगा दी है। तमिलनाडु सरकार और टीएएसएमएसी का तर्क है कि शराब दुकानों के लाइसेंस देने में कथित अनियमितताओं को लेकर हम पहले ही आपराधिक कार्रवाई शुरू कर चुके हैं।
2014 से अब तक इस मामले में 41 प्राथमिकियां दर्ज की जा चुकी हैं और अब ईडी बीच में कूदकर टीएएसएमएसी पर ही छापेमारी कर रही है। इस पर पीठ ने फटकार लगाते हुए ईडी से तीखा सवाल किया कि आप राज्य द्वारा संचालित टीएएसएमएसी पर कैसे छापा मार सकते हैं। तमिलनाडु सरकार ने संवैधानिक अधिकारों और संघीय ढांचे के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अपनी याचिका में कानून के व्यापक प्रश्न उठाए हैं, जिनमें संघवाद का मुद्दा भी शामिल है।
जिसमें ईडी अपने दायरे से बाहर जाकर और राज्य के अपराध की जांच करने के अधिकार को हड़पने का प्रयास कर रहा है। राज्य सरकार की दलील है कि टीएएसएमएसी को इन प्राथमिकी में से किसी में भी आरोपी नहीं बनाया गया है और कई मामलों में वह शिकायतकर्ता है। दरअसल, यह मामला राज्य और केंद्र सरकार के बीच काफी समय से चल रही चांदमारी का ही एक और नमूना है जिसमें ईडी तो कभी सीबीआई निशाने पर आते रहते हैं। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इस शर्मनाक स्थिति से बचने के लिए ईडी अपनी कार्यपण्राली में बदलाव लाएगी।
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