‘परिवारवाद’ की खिलाफत

Last Updated 07 Mar 2024 01:28:57 PM IST

परिवारवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है और नई प्रतिभाओं को यह उबरने नहीं देता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को एक सार्वजनिक सभा में यह कहा।


उन्होंने अरोप लगाया कि जम्मू-कशमीर से तमिलनाडु तक शासक परिवार मजबूत हो गए, जबकि राज्य कमजोर हो गये। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं परिवारवाद के खिलाफ हूं, लेकिन मैं व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाता। मोदी ने कहा कि वे मुझे गाली दे रहे हैं क्योंकि मैं उनके हजारों करोड़ रुपयों के घोटालों का परदाफाश करता रहा हूं। मैंने ऐसा मुख्यमंत्री भी देखा है, जिसके परिवार के पचास सदस्य उच्च पदों पर आसीन हैं।

वे कहते हैं परिवार पहले, मैं कहता हूं कि देश पहले। तो यह वैचारिक लड़ाई है। उनके लिए परिवार सब कुछ है, और मेरे लिए देश का हर परिवार सब कुछ है। मैंने देश के हितों के लिए खुद का बलिदान किया है। मोदी कांग्रेस और  उसके सहयोगी दलों पर जिस वक्त यह आरोप लगा रहे हैं तो उसी वक्त भाजपा द्वारा आगामी लोक सभा चुनाव के लिए जारी प्रत्याशियों की सूची में ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिन्हें परिवारवाद का स्पष्ट लाभ मिला है।

हालांकि कहा जा सकता है कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। मगर यह सच है कि मोदी अपनी पार्टी को इस परिवारवाद से अछूता रखने में सफल नहीं रहे हैं। किन्हीं दबावों, राजनैतिक जोड़-तोड़ या उच्च पदाधिकारियों के अनुरोध के चलते राजनीतिक हस्तियों के पुत्र/पुत्रियों को टिकट दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सभा में यह आरोप भी दोहराया कि परिवारवादियों ने काला धन छिपाने के लिए विदेशी बैंकों में खाते खोले। मोदी ने करोड़ों जन-धन खाते खोले, यही अंतर है जो पिछले दो चुनाव में बार-बार विभिन्न मंचों से कहा भी जा चुका है।

जबकि हकीकत में सत्ता पर दस वर्ष तक काबिज रहते हुए विदेशी काला धन वापस लाने के प्रति गंभीरतापूर्वक कुछ खास होता नहीं नजर आया। मोदी ने जनता के समक्ष स्वीकारा कि उन्होंने अपना एक घर तक नहीं बनाया। ऐसी बातें लोगों को अच्छी भी लगती हैं, और वे प्रधानमंत्री मोदी की इस सादगी के मुरीद भी होते हैं।

मगर एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे ये बातें प्रभावित नहीं करतीं। वे जानते हैं कि ये सब चुनावी भाषणबाजी है। मगर जनता को प्रभावित करने और चुनाव के मद्देनजर की जाने वाली बातें प्राय: बेअसर नहीं रहतीं। जिनके प्रति आमलोग किसी तरह का तर्क नहीं प्रयोग करते। वे परिवारवाद या भ्रष्टाचार का जबाव चुनाव के दरम्यान खुद ही देंगे, यह तो तय ही है।



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