आखिरकार मंत्रिमंडल का विस्तार
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का बहुप्रतिक्षित पहला मंत्रिमंडलीय विस्तार मंगलवार को हो गया जब चार नये चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
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यह योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला विस्तार है। मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। नये मंत्रियों में दो भाजपा से और एक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और एक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से है। चार नये मंत्रियों को मिलाकर अब योगी मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 56 हो गई है।
विदित हो कि योगी सरकार में 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि लोक सभा चुनाव से ऐन पहले मंत्रिमंडल में इन्हें शामिल करना जरूरी था क्योंकि जिन दलों से ये भाजपा में आए हैं, वे भाजपा के साथी घटक दल हैं।
इस विस्तार के माध्यम से भाजपा ने लोक सभा चुनाव से पहले राज्य के विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न जातियों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने की पहल की है। भाजपा राज्य में छोटे क्षेत्रीय दलों को अपने साथ राजग में लाने को प्रयासरत है, और इस प्रकार इन दलों की ओर से आए नये नामों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। योगी मंत्रिमंडल का विस्तार दरअसल, भाजपा के राजनीतिक कौशल और रणनीति का हिस्सा है।
राजनीतिक पंडित इस विस्तार को प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के बरक्स भाजपा की रणनीति मान रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल में लिया जाना पूर्व अपेक्षित था क्योंकि वे काफी दिनों से इस बाबत मशक्कत कर रहे थे और मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए भाजपा हाई कमान तक का दरवाजा खटखटा चुके थे।
जैसे मंत्रिमंडल में शामिल होना ही उनकी भाजपा के साथ आने की पूर्वशर्त हो। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनावी बेला में राजभर मतों को अपने साथ जोड़ने को ध्यान में रखते हुए उनके आग्रह को टालने की स्थिति में नहीं था। मंत्रिमंडल में शामिल किए गए दारा सिंह चौहान अति पिछड़ी जाति से है, जबकि अनिल कुमार दलित समाज से और सुनील शर्मा ब्राह्मण समाज हैं।
भाजपा नेतृ्व को उम्मीद है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार से ‘विकसित भारत’ के मंसूबे को धरातल पर उतारने में मदद मिलेगी और सभी वगरे तक उसकी पहुंच को ताकत मिलेगी।
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