EPFO में अधिकारियों व कर्मचारियों का वर्गीकरण खत्म

Last Updated 12 Feb 2024 12:55:50 PM IST

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ में अधिकारियों व कर्मचारियों का वर्गीकरण खत्म कर दिया गया है।


EPFO में अधिकारियों व कर्मचारियों का वर्गीकरण खत्म

यह फैसला केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया। इसका असर सीधा कर्मचारियों व अधिकारियों पर पड़ेगा। ईपीएफओ सरकार का स्वायत्त संगठन है। इसने 2023-24 में ब्याज दर 8.25 करने का फैसला लिया है। कर्मचारी भविष्य निधि बीस या अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य योगदान है।

जिसके तहत कर्मचारी के वेतन का मासिक आधार पर 12% हिस्सा इस खाते में सीधा जमा किया जाता है। इतना ही योगदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है। व्यवस्थानुसार नियोक्ता के हिस्से से 3.67 फीसद ईपीएफ खाते में, बाकी 8.33 फीसद कर्मचारी पेंशन योजना में जमा किया जाता है।

इन ब्याज दरों की बढत से छह करोड़ से ज्यादा पीएफ खाताधारक प्रभावित होंगे। इसके अतिरिक्त ईपीएफओ निवेश पर रिटर्न बढाने के लिए शेयरों में निवेश को 10 फीसद से बढा कर 15 फीसद करने के लिए बोर्ड की मंजूरी लेने की भी संभावना बताई जा रही है।

पीएफ की यह राशि औसत नौकरीयाफ्ता के लिए लाभकारी व लोकप्रिय निवेशों में हैं। जो वेतनभोगियों की बचत में बड़ी भूमिका निभाती है। बीते साल श्रम मंत्रालय ने केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड से कहा था कि वह वित्त मंत्रालय की पूर्व अनुमति के बगैर ब्याज दरों की सार्वजनिक तौर पर घोषणा न करे। इस वर्ष चूंकि लोक सभा चुनाव होने हैं इसलिए सरकार पीएफ खाताधारियों को लुभाने का मौका हाथ से नहीं निकलने देना चाहेगी।

अगर यह ब्याज दर बढ़ जाती है तो पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा होगी, जिसका फायदा सीधा कर्मचारियों को होगा। 2022 में ये ब्याज दरें कम करते हुए बीते चार दशकों के मुकाबले 8.1 फीसद कर दिया गया था, जो 1977-78 के बाद सबसे कम था। इससे कर्मचारियों में गहरी निराशा थी।

अन्य बचतों के मुकाबले पीएफ व पेंशन राशि आम कर्मचारी के भविष्य का बड़ा सहारा होते हैं। हालांकि तमाम कड़ाई के बावजूद गैर सरकारी संस्थानों द्वारा कर्मचारियों के लाभ की अनदेखी करते हुए ईपीएफओ खाते खोलने में आना-कानी करते हैं।

मगर सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल व अन्य व्यवस्थाओं के चलते अब पहले की तुलना में काफी आसानी हो गई है। वित्तीय सुरक्षा व स्थिरता के चलते इस अंशदान के प्रति कर्मचारी बेहद आशांवित रहते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा ब्याज दर बढ़ाने के निर्णय से उनकी बांछे खिल उठी हैं।



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