बुनियाद बचाना जरूरी
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक स्कूल में बच्चे की पिटाई को लेकर वायरल हुए वीडियो को लेकर प्रशासन एक्शन में है। आरोपी शिक्षिका तृप्ता त्यागी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
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गांव खुब्बापुर के प्राइवेट स्कूल में यह शिक्षिका कक्षा में एक बच्चे को अन्य छात्रों से थप्पड़ लगवा रही हैं। तृप्ता छात्रों से कहती नजर आ रही हैं कि थप्पड़ जोर से मारो। धार्मिक टिप्पणी भी कर रही है क्योंकि बताया गया कि बच्चा मुसलमान है। आरोपी का कहना है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ हुई है। हालांकि वह कह रही हैं कि मुसलमान मांएं अपने बच्चों की पढ़ाई में ध्यान नहीं देतीं। साथ ही स्पष्टीकरण दिया कि मैं विकलांग हूं, इसलिए मेरे से उठा नहीं जाता।
बच्चे के पिता ने आनन-फानन उसका नाम उस स्कूल से कटवा दिया और शिक्षिका के खिलाफ कोई शिकायत करने को राजी नहीं थे। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। घटना के चर्चा में आते ही सियासत चालू हो गई, इसे नफरती एजेंडा कहा गया। अभी भी स्कूलों में अनुशासन की आड़ में बच्चों के साथ क्रूरता की जाती है। चूंकि इन सब चीजों के रिकॉर्ड नहीं होते, इसलिए इन पर एक्शन नहीं हो पाता। कुछ ही दिन पहले एक बच्चा स्कूल की छत से इसलिए कूद गया कि उसके बस्ते में मोबाइल पकड़ा गया था। घर में शिकायत की धमकी पर वह घबरा गया था। बदले हुए वक्त का ख्याल करते हुए हमें तमाम पाबंदियों व नियमों में नरमी लानी चाहिए।
लेकिन यह घटना तो निहायत ही अहमकाना है। शिक्षक का काम है कि आपसी प्रेम व सामाजिक सौहार्द बढ़ाने की सीख दे। उसके उलट जैसे कदम इस टीचर उठाए, वे काबिल ए माफी तो कतई नहीं। यूं तो यह निजी विद्यालय है, जहां प्रबंधन अपनी इज्जत बचाने के लिए शिक्षिका को निलांबित करने के लिए स्वतंत्र है। बावजूद समूचे विद्यालय, प्रबंधन और इस शिक्षिका को कड़ी सजा देनी चाहिए ताकि उन तमाम लोगों को स्पष्ट संदेश मिल सके, जो मासूम दिमागों में सांप्रदायिकता के बीज बोने जैसी घिनौनी साजिश में शामिल हैं।
इतनी कम उम्र में किसी भी बच्चे के साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव की खरोंचे ता-उम्र दिमाग में पड़ी रहती हैं। स्वस्थ समाज की बुनियाद ही सर्व धर्म हिताय में समाहित है। हमें अपनी नई पौध को इस तरह की जहरीली विचारधारा से बचाने के भरसक प्रयास करने होंगे।
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