Karnataka : सत्ता को लेकर खींचतान
कर्नाटक (Karnataka) में शपथ ग्रहण समारोह (Oath taking ceremony) के कुछ ही दिनों बाद सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) खेमे के बीच खटास सतह पर आती दिखने लगी है।
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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वफादार और कैबिनेट मंत्री एमबी पाटिल ने दावा किया है कि सिद्धारमैया पांच साल के पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे। कर्नाटक में नई सरकार के गठन में कई दिन तक अवरोध मात्र इसलिए बना रहा था कि सिद्धारमैया और शिवकुमार के खेमे इस बात को लेकर आमने-सामने आ गए थे कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनेंगे या शिवकुमार। काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस आलाकमान दोनों खेमों के बीच सुलह करा पाया था।
मुख्यमंत्री पद की शपथ सिद्धारमैया को दिलाई गई और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री पद पर संतोष करना पड़ा। पाटिल के बयान से स्थिति उलझन भरी हो गई है। पाटिल का कहना है कि सत्ता के बंटवारे के बारे में कोई बात नहीं हुई है। दूसरी तरफ, शिवकुमार खेमे का कहना है कि सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच 30:30 से सत्ता बंटवारे के फॉमरूले पर सहमति बनी थी। फॉमरूले के मुताबिक, दोनों 30-30 महीने मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे।
भले ही इस फॉमरूले की व्यापक चर्चा हो रही है, लेकिन इस बाबत अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। पूरे प्रकरण में कांग्रेस आला कमान ने चुप्पी साधी हुई है। वैसे तो यह एक बयान भर है, जिसे व्यक्तिगत राय कहकर खारिज किया जा सकता है, लेकिन जिस प्रकार से शिवकुमार ने इस पर नाराजगी जताई है, उससे लगता है कि आने वाले दिन कांग्रेस के लिए सुखद नहीं रहने वाले। अभी तो शिवकुमार ने यह कहकर बात खत्म कर दी है कि इस मामले को आलाकमान देखेगा।
दरअसल, निर्णय लेने में कांग्रेस का ऊहापोह जब-तब सामने आता रहा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी यही सब देखने को मिला। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सिंहदेव के बीच भी बताया गया था कि ढाई-ढाई साल के सत्ता बंटवारे की बात हुई थी। भूपेश ने ढाई साल पूरे करने के बाद भी सत्ता नहीं छोड़ी और सिंहदेव की नाराजगी आज तक बनी हुई है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलौत और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर खींचतान आज भी जारी है। सबसे बड़ी बात तो यह कि कांग्रेस अपने क्षत्रपों के सामने लाचार दिखलाई पड़ता है। ऐसी ही लाचारी कर्नाटक में दिखे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
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